मंगलवार सुबह 11 बजकर 20 मिनट की बात है। हरदा के बैरागढ़ में स्थित एक फटाका फैक्ट्री में 7 मिनट के भीतर 2 भयंकर धमाके होते हैं। धमाके इतने तेज़ थे कि आस-पास के इलाके में भूकंप के झटके तक महसूस किए जाते हैं। आग से निकला धुआँ 5-7 किलोमीटर दूर तक दिखाई पड़ता है। हादसे के दौरान फैक्ट्री में करीब 300 लोग मौजूद थे, जिनमें भारी संख्या में महिलाएं-बच्चे भी शामिल थे। सभी आग की चपेट में आ जाते हैं। धमाकों के कारण टूटी आस-पास के घरों की दीवारों के ईंट-पत्थर एक-एक किलोमीटर दूर खड़े लोगों में छर्रों की तरह जा घुसते हैं। देखते ही देखते खबर आती है कि हरदा फटाका फैक्ट्री धमाके में 11 लोगों की मौत हुई और 200 घायलों को अस्पताल में भर्ती किया गया। NDRF, SDRF का सर्च ऑपरेशन अभी भी जारी है।
बता दें कि यह फैक्ट्री रिहायशी इलाके में मौजूद थी। यह फैक्ट्री कितनी बड़ी थी इस बात का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि पूरे देश में सुतली बम और मिट्टी वाले अनार यहीं से सप्लाई होते थे। यह फैक्ट्री अवैध है, जिसे महीनों पहले कलेक्टर द्वारा सील कर दिया गया था। फिर संभागयुक्त ने स्टे नोटिस दिया, जिसके बाद फैक्ट्री फिर ऑपरैट करने लगी। पोलिस ने देर शाम फैक्ट्री मालिक राजेश अग्रवाल और सोमेश अग्रवाल को गिरफ्तार कर लिया है। सुपरवाइजर रफ़ीक़ खान से पूछताछ जारी है।
मंगलवार दोपहर हादसे के वीडियो वायरल होते ही प्रशासन एक्शन में आया। हादसे के चश्मदीद बताते हैं कि धमाका इतना तेज़ था कि कुछ देर तक किसी को कुछ समझ नहीं आया। कुछ देर बाद आस-पास के लोगों ने एम्बुलेंस को कॉल किया और खुद भी राहत-बचाव कार्य में लग गए। हादसे एक 2 घंटे बाद सीएम मोहन यादव ने भोपाल दफ्तर में उच्चस्तरीय बैठक बुलवाई, जिसमें विभिन्न फोर्सेस के चीफ, अधिकारी और मंत्री मौजूद थे। बैठक के बाद परिवहन मंत्री उदय प्रताप सिंह अधिकारियों के साथ हेलिकाप्टर से हरदा पहुंचे और स्वास्थ्य सुविधाओं का जायजा लिया।
प्रदेश में ऐसा पहली बार हुआ, जब 11 जिलों की 120 से ज्यादा एम्बुलेंस एक साथ ऑपरैट हुईं। देर रात तक भोपाल व आस-पास के इलाकों से 100 से अधिक दमकलें घटनास्थल पर पहुँच चुकी थीं। 10 घंटे तक लगातार पानी डालने के बाद भी आग पर पूरी तरह काबू नहीं पाया जा सका। गाड़ियां पानी डालती जा रही थीं और सुतली बम फटते जा रहे थे। फैक्ट्री के ऊपर के दो फ्लोर पूरी तरह से खाक हो चुके हैं। नीचे स्थित 2 मंज़िला बैस्मन्ट तक टीम अभी नहीं पहुँच पाई है, क्योंकि आग की लपटें रास्ता रोक रही हैं।
फैक्ट्री से सटकर पीएम आवास भी बने हुए थे, जो आग की चपेट में आगर खाक हो गए। इसके अलावा 50 फीट दूर खड़े ट्रक, मोटरसाइकिल, वैन आदि भी आग की लपटों से नहीं बच पाए। गनीमत ये रही कि फैक्ट्री से 10 मीटर दूर बारूद का एक और गोदाम स्थित है, जो बच गया। वरना और हताहत हो सकती थी। तफ़तीश से जानकारी मिली कि 2022 में फैक्ट्री की जांच हुई थी, जिसमें 11 बड़ी गड़बड़ियाँ सामने आई थीं। लेकिन, इसके बाद भी कोई एक्शन नहीं लिया गया।
फिलहाल, आग के कारणों की जांच की जा रही है। फैक्ट्री से सटे खेत में काम कर रहे लोगों के अनुसार फैक्ट्री के पास सूख रहे फटाकों को लोडिंग ऑटो में रखते हुए आग लगी। इसके अलावा कुछ मजदूरों ने बताया कि आग का कारण शॉर्ट-सर्किट है।
हादसे पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, उप-राष्ट्रपति व पीएम मोदी ने खेद जताया। पीएम रिलीफ़ फंड की ओर से मृतक के परिवारों को 2-2 लाख व ज्ञाकालों को 50 हजार रुपए दिए जाएंगे। देर शाम सीएम मोहन यादव ने भी घोषणा की कि राज्य सरकार मृतकों को 4-4 लाख, गंभीर घायलों को 2-2 लाख व साधारण रूप से घायल लोगों को 50-50 हजार रुपए देगी। सीएम मोहन बुधवार को हरदा पहुचेंगे। सीएम यादव ने गृह सचिव संजय दुबे की अध्यक्षता में एक जांच कमिटी का गठन भी किया है। उन्होंने कहा कि ऐसी दोषियों के खिलाफ़ ऐसी कार्रवाई की जाएगी कि वे याद रखेंगे। देर रात NDRF, SDRF की ओर से बयान आया कि मलबे में और कई लाशों के फंसे होने की आशंका है। उन्हें शीघ्र ही निकाला जाएगा। बुधवार सुबह कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी भी घटना स्थल पर पहुंचे। मीडिया से चर्चा के दौरान उन्होंने सवाल उठाए कि जब धमाका इतनी जोर का था, तो मृतकों की संख्या 11 ही क्यों बताई जा रही है? सरकार मृतकों का आंकड़ा क्यों छुपाना चाह रही है?
मरीजों का उपचार जारी है। भोपाल, इंदौर के अस्पतालों की बर्न यूनिट से जरूरी इक्विप्मन्ट और सामग्री भेजी जा रही हैं। राहत बचाव में टीमें लगी हुई हैं। भारी संख्या में आम लोग भी टीम का सहयोग कर रहे हैं। बुधवार दोपहर 3 बजे तक के आंकड़ों के अनुसार, कुल रेस्क्यू- 217, भर्ती-73, रेफर-38, मौत-11, डिस्चार्ज-95, वर्कर-51 और रहवासी-22.