क्या इंदौर कांग्रेस के बड़े नेताओं की नए प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी से नहीं बन रही? पिछले कुछ हफ्तों से एक के बाद एक कांग्रेस के बड़े नेताओं के भाजपा में शामिल होने के बाद से ये सवाल कई बार उठ रहा है। इंदौर एक से पूर्व विधायक संजय शुक्ला, देपालपुर से पूर्व विधायक विशाल पटेल के बाद अब 2019 में इंदौर लोकसभा सीट से कांग्रेस के प्रत्याशी रहे, पार्टी के बड़े नेता पंकज संघवी और महू से विधायक रहे अंतर सिंह दरबार भी भाजपा का दामन थाम चुके हैं। 2 हफ्तों के भीतर ही हजारों कार्यकर्ताओं समेत कांग्रेस के बड़े-बड़े नेताओं ने पाला बदला, लेकिन भोपाल में चुनाव तैयारियों में व्यस्त जीतू पटवारी को इसकी भनक तक नहीं लगी।
अंतर सिंह दरबार तो अपने साथ महू के 25 सरपंच, 3 जिला पंचायत, 10 जनपद सदस्यों और करीब 2 हजार कार्यकर्ताओं को भी भाजपा में ले गए हैं। मालूम हो कि बीते विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने दरबार को टिकट नहीं दिया था। यह इसलिए क्योंकि 3 बार चुनाव हार जाने के कारण वे प्रदेश कांग्रेस समिति के क्राइटीरिया पर खरे नहीं उतर रहे थे। लिहाज़ा उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला किया। इससे कांग्रेस के वोट कटे और भाजपा प्रत्याशी उषा ठाकुर ने जीत दर्ज की। चुनावों के बाद कांग्रेस की अनुशासन समिति ने अधिकृत प्रत्याशियों के खिलाफ चुनाव लड़ने वाले कांग्रेसी नेताओं को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया, जिसमें अंतर सिंह दरबार का भी नाम था।
अब बारी आती है पंकज संघवी की, जो 2019 लोकसभा चुनाव में इंदौर सीट से कांग्रेस के प्रत्याशी थे। उनका बीजेपी में आना कांग्रेस के लिए खासा नुकसान है, क्योंकि वे शहर के बड़े नेता हैं। भाजपा का दामन थामने के बाद इंदौर कांग्रेस के नेताओं की नए प्रदेश अध्यक्ष से नाराजगी पर पंकज संघवी ने आखिरकार चुप्पी तोड़ ही दी। उन्होंने कहा कि इंदौर के ऐसे कई बड़े नेता हैं, जिनसे अध्यक्ष महोदय का संवाद ही नहीं है। वे अब बड़े आदमी बन गए हैं। 98 में जब हम चुनाव लड़े थे, तो वे पीछे-पीछे घूमते थे। अब वो सोचते हैं कि हम उ नके पीछे-पीछे घूमेंगे, लेकिन ऐसा होता नहीं है।
इसके बाद पंकज संघवी ने कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए मंत्री तुलसी सिलावट की भी तारीफ की। उन्होंने कहा कि भाजपा में जाने के बाद भी तुलसी सिलावट मुझसे अक्सर मिलने और मेरे साथ चाय पीने आया करते थे। भला उन्हें (सिलावट) को मुझसे क्या लेना देना? लेकिन ऐसा नहीं है। दोस्ती थी इसलिए वे निभाते भी थे। संघवी ने बताया कि जीतू पटवारी के साथ ऐसा नहीं है। उन्होंने मुझसे कभी फोन पर बात नहीं की।
पंकज संघवी से जब पूछा गया कि कांग्रेस ने जीतू पटवारी, उमंग सिंघार और हेमंत कटारे के रूप में युवाओं को प्रदेश कांग्रेस की कमान सौंपी है, तो इससे क्या बदलाव आएंगे? इस पर उन्होंने कहा कि “इनसे कुछ नहीं होगा, बल्कि पार्टी की और 12 बजेगी”। पंकज संघवी के इस बयान से तस्वीर साफ़ है कि कहीं न कहीं प्रदेश कांग्रेस समिति और इंदौर कांग्रेस के नेताओं के बीच समन्वय ठीक नहीं चल रहा है।
बहरहाल, संजय शुक्ला और पंकज संघवी के भाजपा में आने से कांग्रेस के पास इंदौर सीट से लोकसभा प्रत्याशी के रूप में कोई बड़ा चेहरा नहीं है। इसी बीच जीतू पटवारी ने कहा है कि 18 मार्च को बचे हुए 18 प्रत्याशियों के नाम घोषित किए जाएंगे। अब देखना ये होगा कि वर्तमान सांसद शंकर लालवानी के सामने कांग्रेस किसे मैदान में उतारती है।