काफ़ी समय से चर्चाओं का हिस्सा बनी हुई भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा की खजुराहो लोकसभा सीट अब एकतरफ़ा होती नज़र आ रही है। इसकी वजह समाजवादी पार्टी की उम्मीदवार और उनकी सबसे बड़ी प्रतिद्वंदी मीरा यादव का चुनावी नामांकन निरस्त होना है। मध्यप्रदेश की इस एकमात्र सीट पर कांग्रेस ने इंडिया गठबंधन के सीट शेयरिंग फार्मूला के तहत सपा से समझौता किया था। मीरा यादव का पर्चा खारिज होनी की वजह नामांकन फॉर्म भरने में हुई गलतियों को बताया जा रहा है। इस खास रिपोर्ट में जानेंगे कि क्या है ये पूरा मामला और साथ ही करेंगे खजुराहो सीट का क्रमवार विश्लेषण…
खजुराहो सीट पर बीजेपी के विपक्षी दलों की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। कांग्रेस को समझौता करते हुए पहले यह सीट सपा को देनी पड़ी। सपा ने मनोज यादव को प्रत्याशी बनाया, लेकिन एक दिन के भीतर ही उन्हें बदलकर मीरा यादव को मैदान में उतार दिया। इतना होने तक ही वीडी शर्मा समेत भाजपा के बड़े नेताओं ने कांग्रेस पर मैदान छोड़कर भागने के आरोप लगा दिए थे। वीडी शर्मा ने कहा था कि “कांग्रेस चुनाव के पहले ही डर गई और सीट सपा को दे दी। सपा भी किसे उतारना है यह तय नहीं कर पा रही।”
यह पूरा घटनाक्रम ही काफ़ी नहीं था कि शुक्रवार को सीट पर एक और बड़ा खेल हो गया, जिसके बाद इस सीट पर भाजपा को बढ़त मिलना तय माना जा रहा है। दरअसल, वीडी शर्मा के सामने चुनाव लड़ रही समाजवादी पार्टी की प्रत्याशी मीरा यादव का नामांकन चुनाव आयोग ने खारिज कर दिया है। खजुराहो के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी अनुपम राजन का कहना है कि 3 पन्नों के फॉर्म पर दो जगह साइन करने होते हैं। लेकिन, मीरा यादव ने एक जगह साइन ही नहीं किए। इसके अलावा उन्होंने 2023 की वोटर लिस्ट लगा दी, जबकि उन्हें सर्टिफाइड और नई वोटर लिस्ट लगाना था।
राजन ने आगे कहा कि बाकी सभी प्रत्याशी फॉर्म के 4 से 5 सेट भर रहे हैं। लेकिन, मीरा यादव ने एक ही सेट भरा। हमने उनसे कहा कि एक जगह आपके हस्ताक्षर नहीं हैं। उन्होंने कहा कि मैं मीडिया से बात करके वापस आती हूँ, मगर वे नहीं लौटी। इस पर सपा व कांग्रेस के नेता मीरा यादव के बचाव में आए हैं। उनके पति दीप नारायण का कहना है कि चुनाव आयोग ने अनपढ़ की मदद नहीं की, हम कोर्ट जाएंगे। दीप नारायण का ये भी कहना है कि हमने 3 अप्रैल को वॉटर लिस्ट के लिए आवेदन दिया था। 3 अप्रैल को लिस्ट नहीं मिली, तो जो उपलब्ध थी उसे ही लगा दिया। अगर अधिकारी यह बात 4 अप्रैल को बता देते, तो हम इसे पूरा करते।
इस मामले पर सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने कहा कि यह सरेआम लोकतंत्र की हत्या है। यदि हस्ताक्षर नहीं थे, तो अधिकारी ने फॉर्म लिया ही क्यों? कांग्रेस नेता और पूर्व मंत्री अरुण यादव ने तो एक कदम आगे बढ़ते हुए इसे राष्ट्रद्रोह ही बता दिया। उनका कहना है कि यह सुनियोजित साज़िश है, जिसे वीडी शर्मा के दबाव में अंजाम दिया गया है।
वीडी का समर्थन करते हुए मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि यदि कोई प्रत्याशी नामांकन फॉर्म पर साइन करना ही भूल जाए, तो उसका चुनाव लड़ना लोकतंत्र के लिए खतरा है। समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के नेता इसे बीजेपी का षड्यंत्र बता रहे हैं। वहीं मीरा यादव के पति दीप नारायण का कहना है कि सीट पर 15 प्रत्याशी और हैं। कांग्रेस से चर्चा करके किसी एक को समर्थन दे दिया जाएगा।
सपा प्रत्याशी का नामांकन निरस्त होने से भाजपा के लिए चुनावी मैदान साफ हो गया है। खजुराहो लोकसभा सीट के इतिहास को देखा जाए, तो इस सीट पर पिछले 20 सालों से भाजपा ही जीत दर्ज करती आई है। आखिरी बार 1999 में कांग्रेस के सत्यव्रत चतुर्वेदी यहाँ से चुनाव जीते थे। 2019 लोकसभा चुनाव की ही बात की जाए, तो जीत भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा को मिली थी और जीत का अंतर 5 लाख वोटों के आस-पास का था। यहाँ की आठों विधानसभा सीटों पर भी बीजेपी ही काबिज़ है।
बहरहाल, खजुराहो में दूसरे फेज़ के तहत 26 अप्रैल को वोटिंग होनी है। अगर मीरा यादव का पर्चा निरस्त नहीं होता, तब भी उनके लिए वीडी शर्मा को हराना बड़ी चुनौती थी। नामांकन खारिज होने के बाद तो यहाँ वीडी शर्मा का काम और आसान हो गया है।