इंदौर में 29 अप्रैल, सोमवार की दोपहर सोशल मीडिया पर एक ख़बर सामने आई, जिसने मध्यप्रदेश से लेकर देशभर के सियासी गलियारों में हलचल मचा दी। हुआ यूं कि इंदौर लोकसभा सीट से कांग्रेस के प्रत्याशी अक्षय कांति बम ने अपना नामांकन वापस ले लिया। पर्चा वापस करने वे कलेक्टर ऑफिस पहुंचे, साथ में इंदौर-2 से विधायक रमेश मेंदोला भी थे। कुछ ही देर बाद मंत्री कैलाश विजयवर्गीय की एक सेल्फ़ी सामने आई, जिसमें वे कार के आगे की सीट पर बैठे थे। पीछे रमेश मेंदोला के साथ अक्षय कांति बम बैठे थे और कैप्शन में लिखा था – अक्षय कांति बम का भाजपा में स्वागत है। ये सब कुछ इतने गुपचुप अंदाज़ में हुआ कि कांग्रेस के किसी नेता को इसकी भनक तक नहीं लगी। लोगों का कहना है कि एमपी में ‘सूरत कांड’ हो गया है।
एक हिसाब से देखा जाए तो अब इंदौर लोकसभा सीट पर भाजपा प्रत्याशी शंकर लालवानी का जीतना तय है। ख़बर भले ही सोमवार को मिली, लेकिन सूत्रों की मानें तो रविवार को ही अक्षय बम को भाजपा में लाने की तैयारी कर ली गई थी। इस पूरी कहानी की स्क्रिप्ट तैयार की मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने। इसकी प्रेरणा उन्हें खजुराहो और सूरत में हुए खेल से मिली। इस सियासी खेल से इंदौर का नाम इस समय देशभर में लिया जा रहा है। ट्विटर पर अक्षय कांति बम और कैलाश विजयवर्गीय पहले नंबर पर ट्रेंड कर रहे हैं।
लेकिन, क्या वजह रही कि पिछले 15-20 दिनों से बड़े स्तर पर कांग्रेस के लिए चुनावी प्रचार संभालने वाले, टीवी डिबेट शो में भाजपा नेताओं के खिलाफ दहाड़ कर बयान देने वाले अक्षय ने एक झटके में पार्टी ही बदल ली? क्या है वो महिला संबंधी मामला, जिससे डरकर अक्षय ने उठाया ये कदम? मंत्री विजयवर्गीय ने कैसे लिखी पटकथा? क्या इंदौर धीरे-धीरे कांग्रेस मुक्त हो रहा है? बम के इस फैसले पर भाजपा-कांग्रेस के नेताओं और जनता ने क्या कहा? इन सभी सवालों के पुख्ता जवाब आपको इस खास रिपोर्ट में मिलेंगे। आइए जानते हैं..
पिछले महीने खजुराहो लोकसभा सीट से सपा प्रत्याशी मीरा यादव का पर्चा निरस्त हुआ। वजह ये थी कि नामांकन फॉर्म में त्रुटि की चलते आयोग ने उनका फॉर्म रिजेक्ट किया। लेकिन, ख़बर ये भी मिली कि मीरा का मैदान छोड़ना एक सुनियोजित साज़िश थी। इसके बाद गुजरात की सूरत सीट से कांग्रेस प्रत्याशी नीलेश कुंभाणी ने फॉर्म वापस लिया। यह भी भाजपा द्वारा की गई प्लानिंग के आधार पर हुआ। इन्हीं दोनों घटनाओं से प्रेरणा ली, एमपी की राजनीति के चाणक्य कहे जाने वाले मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने और इंदौर से कांग्रेस प्रत्याशी अक्षय कांति बम से नामांकन वापस करवाकर भाजपा में शामिल करवा लिया। अपने स्तर पर बिसात बिछाने के बाद विजयवर्गीय ने भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा को सूचित किया और वहाँ से हरी झंडी मिलते ही आगे की कार्रवाई को अंजाम दे दिया गया।
सूत्रों की मानें तो इस कार्य को एक होटल में एक्सिक्यूट किया गया। अक्षय को इस बात का डर था कि कांग्रेस के नेता बवाल मचा देंगे। उसी समय विधायक रमेश मेंदोला की एंट्री हुई। मेंदोला ने बम को आश्वस्त किया कि ऐसा कुछ नहीं होगा। इसके बाद वे नामांकन वापस लेने और भाजपा में शामिल होने के लिए राज़ी हो गए। बम व उनके परिवार को किसी तरह की परेशानी न हो, इसलिए मेंदोला ने पत्रकार कॉलोनी स्थित उनके निवास के पास बेरीकैड लगवाकर पुलिस भी तैनात करवा दी। ख़बर ये भी है कि बाकी प्रत्याशियों से बात करके उन्हें भी मना लिया गया है। संभावना जताई जा रही है कि दूसरी पार्टियों के अलावा निर्दलीय प्रत्याशी भी अपना नामांकन वापस ले लेंगे।
इंदौर में 13 मई को मतदान है। आज नामांकन वापस करने की आखिरी तारीख थी। अक्षय बम ने नामांकन वापस लिया और निर्वाचन आयोग ने 3 अन्य प्रत्याशियों का नामांकन भी रद्द कर दिया। अब कुल 23 प्रत्याशी मैदान में हैं। अब देखना ये होगा कि कांग्रेस व अन्य दल किस उम्मीदवार को अपना संयुक्त समर्थन देंगे। कांग्रेस शहर अध्यक्ष सुरजीत सिंह चड्ढा का कहना है कि हम अक्षय के साथ लगातार जनसम्पर्क कर रहे हैं। सुबह भी जनसंपर्क किया था। लेकिन, वे ऐसे गद्दार निकलेंगे, हमने इसकी कल्पना भी नहीं की थी। अब सवाल ये निकलकर आता है कि आखिर किस दबाव में आकर अक्षय कांति बम ने नामांकन वापस लिया। इसकी कई वजहें हैं। आइए एक-एक करके सभी के बारे में जानते हैं।
सबसे बड़ी वजह बना एक महिला संबंधी मामला। एक पुराने केस की फ़ाइल खोलकर अक्षय बम के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने की प्लानिंग की जा रही थी। इसके अलावा खजराना थाने में दर्ज 17 साल पुराने मामले में हाल ही में गवाह के बयान के बाद उन पर मारपीट, धमकाने व हत्या की कोशिश जैसे गंभीर आरोपों के तहत धारा 307 लगाने की प्रक्रिया शुरू की जा रही थी। एक और विवाद ये था कि अक्षय को टिकट मिलने के बाद से ही भाजपा नेता उनके कॉलेजों के पीछे पड़े हुए थे। शिक्षकों की अनियमितता, कागजों में गड़बड़ी जैसे आरोपों से अक्षय कथित तौर पर सहम गए और उन्हें इतना बड़ा कदम उठाने पर मजबूर होना पड़ा। जब अक्षय ने नामांकन भरा था, तब भी भाजपा ने सवाल उठाए थे कि उन्होंने इसमें धारा 307 से जुड़े मामले का जिक्र नहीं किया है। लेकिन, जैसे तैसे उनका फॉर्म स्वीकार कर लिया गया था।
ये वही अक्षय कांति कम हैं, जो कल-परसों ही अपने जोशीले भाषणों से भाजपा के नेताओं पर निशाना साध रहे थे। जब भाजपा ने दावा किया कि इंदौर सीट 8 लाख वोटों से जीतेंगे, तो बम ने कहा था कि मंत्री विजयवर्गीय ये लिखकर दें कि अगर लालवानी 8 लाख वोटों से नहीं जीते, तो वे इस्तीफ़ा देंगे। गलियों दुकानों पर जाकर बांटे गर पर्चे में भी उन्होंने इंदौर की समस्याओं को उजागर करते हुए भाजपा पर निशाना साधा था। उनकी पीआर टीम ने लालवानी को घेरे में लेते हुए इंस्टाग्राम पर ‘सांसद लापता है’ नाम का ट्रेंड भी चला दिया था। किसे ख़बर थी कि उन्हीं विजयवर्गीय के कहने पर अक्षय भाजपा में आ जाएंगे।
अक्षय के भाजपा में शामिल होने के बाद इंदौर कांग्रेस के कार्यवाहक अध्यक्ष देवेंद्र यादव का वीडियो सामने आया है, जिसमें वे कह रहे हैं कि मैंने और मेरे जैसे कई पुराने जमीनी कार्यकर्ताओं ने कांग्रेस से टिकट मांगा था। लेकिन, पार्टी ने उस प्रत्याशी को टिकट दिया, जिसके पास पैसा ज्यादा था। हमने पहले ही कह दिया था कि अक्षय कांति बम कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थामेंगे। हालांकि, इसके अलावा कांग्रेस के किसी बड़े नेता की ओर से कोई बयान सामने नहीं आया है।
ख़बर मिल रही है कि कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़े राजा मांधवानी भी बीजेपी में आने वाले हैं। उनका कहना है कि वे विजयवर्गीय के कहने पर भाजपा में आ रहे हैं। जब से पार्टी ने राम मंदिर का न्योता ठुकराया, तब ही वे मन बना चुके थे। आपको बात दें कि संजय शुक्ला, विशाल पटेल, पंकज संघवी, अंतर सिंह दरबार, स्वप्निल कोठारी जैसे नेता पहले ही पार्टी छोड़ चुके हैं। ऐसे में ट्विटर पर यूजर्स कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी के नेतृत्व पर सवाल उठने लगे हैं। हालांकि, उनकी ओर से भी इस मामले पर अभी तक कोई बयान सामने नहीं आया है। सोशल मीडिया पर यूजर्स ने ये तक कह दिया कि बागेश्वर धाम सरकार की इंदौर कथा के पहले ही दिन ये खेल हो गया।