लोग पैसा कमाने के लिए किस हद तक गिर सकते हैं। इस बात का उदाहरण मध्यप्रदेश के सिंगरौली में देखने को मिला। दरअसल, एमपी से यूपी को जोड़ने के लिए सिंगरौली-प्रयागराज हाईवे बनने वाला है। इसके लिए भूमि अधिग्रहण भी किया जाएगा। यह बात सर्वविदित है कि सरकार बांध, सड़क, हाईवे, फ्लाईओवर बनाने के लिए जो भूमि अधिग्रहित करती है। उसके बदले में मुआवजा देती है। ऐसे में मुआवजा पाने के लिए चिह्नित भूमि के आसपास लगभग दो हजार से अधिक घर बना लिए गए हैं। और तो और यह कार्य अभी भी जारी है।
जानकारी के लिए बता दें कि इस हाईवे के लिए सर्वे का काम पूरा हो चुका है। सिंगरौली जिले में लगभग 70 किलोमीटर के एरिया में हाईवे बनाया जाना है। इसके लिए दो तहसीलों चितरंगी और दुधमुनिया के करीब 32 गांवों का सर्वे किया जा चुका है। इन गांवों की करीब 114.153 हेक्टेयर भूमि के अधिग्रहण की सूचना मार्च में जारी हो चुकी है।
अधिग्रहण की सूचना जारी होने के बाद ही चिह्नित जमीन के हिस्से की खरीद फरोख्त और उस पर किसी भी तरह के निर्माण कार्य पर रोक लगा दी जाती है। लेकिन, मुआवजे के लालच में हाईवे के आस-पास की जमीन पर लोगों ने 2 हजार से अधिक मकान बना दिए हैं। लगभग सभी मकानों के केवल स्ट्रक्चर ही बनाए गए हैं। मकान बनाने वालों में क्षेत्र के कई नेता और कारोबारी भी शामिल हैं।
फोटो देखकर पता चलता है कि किस तरह एक ही लाइन में सैंकड़ों अधूरे घर बना लिए गए हैं। कई लोगों ने तो तीन शेड डालकर ही निर्माण कर लिया है। घर बनाने वाले ग्रामीणों से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि जब तक मुआवजे की राशि नहीं मिल जाती, तब तक जमीन हमारी है। प्रशासन हमें निर्माण करने से नहीं रोक सकता।
प्रशासन को जैसे ही मामले की जानकारी हुई, वैसे ही इन सभी को अपात्र घोषित कर दिया गया है। अब इन्हें मुआवजा नहीं दिया जाएगा। और तो और इन सभी निर्माणों को भी तोड़ा जाएगा। प्रशासन का कहना है कि जिला प्रशासन इस बात की जानकारी निकाल रहा है कि इनमें से कितने घर अधिसूचना जारी होने के बाद बनाए गए हैं। दो तीन दिन में ये आँकड़े सामने आ जाएंगे। उसके बाद इन्हें नोटिस भेजा जाएगा। यदि इसके बाद भी हाईवे के रास्ते में आने वाले इन घरों को नहीं हटाया गया तो प्रशासन द्वारा इन्हें तोड़ दिया जाएगा।