
शारदीय नवरात्रि माँ की भक्ति और साधना के लिए तो विख्यात है ही, लेकिन सबसे अधिक यह त्यौहार गरबों के लिए जाना जाता है। गरबे नवरात्रि के ऐसे अंग हैं, जिनके बिना नवरात्रि अधूरी सी लगती है। पूरे देश में कई मंदिरों और पंडालों में गरबा होता है जहां बच्चों से लेकर बड़ों तक सभी हिस्सा लेते हैं।
लेकिन मध्यप्रदेश में एक ऐसा मंदिर भी है जहां सुबह 4 बजे गरबे होते हैं। यह मंदिर है रतलाम में स्थित कालिकामाता मंदिर। जहां पूरे देश में रात में गरबे होते हैं तो वहीं मध्यप्रदेश के रतलाम में स्थित कालिका मन्दिर में ब्रह्म मुहूर्त में सुबह 4 बजे गरबे शुरू होते हैं जो सुबह 6 बजे तक चलते हैं।
1960 में 5 महिलाओं ने की शुरुआत, अब बनी परंपरा
इन गरबों की शुरुआत 1960 से हुई थी जो आज एक परंपरा बन चुकी है। उस समय मोती बेन वाघेला ने केवल 5 महिलाओं के साथ इन गरबों की शुरुआत की थी। बताया जाता है कि उस समय बिजली ना होने के कारण लालटेन की रोशनी में गरबे होते थे, लेकिन आज समय कुछ और है, आज यहाँ सैंकड़ों की संख्या में महिलाएं आती हैं और मंदिर परिसर में सुबह-सुबह गरबा करती हैं।
अखंड रामायण से जुड़ा है गरबों का नाता
इन गरबों के शुरू होने के पीछे एक कहानी भी बताई जाती है। कहते हैं कि नवरात्रि में इस कालिका माता मंदिर में अखंड रामायण का पाठ होता था। जो महिलाएं यहाँ पाठ करने आती थी सबसे पहले उन्होंने ही सुबह 4 बजे गरबा खेलना चालू किया। इसके बाद से तो मानों परंपरा ही बन गई और हर शारदीय नवरात्रि को यहाँ ब्रह्म मुहूर्त में गरबे होने लगे। अब तो मंदिर को भी सुबह वाले गरबों के लिए पहचाना जाने लगा है।


















