राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग ने आरोप लगाया है कि देवास के आदिवासी इलाकों में अनियमित तरीकों से संचालित की जा रहीं ईसाई मिशनरियाँ बच्चों का गैर-कानूनी रूप से धर्मांतरण कर रहीं हैं। आयोग इस पर अपनी रिपोर्ट तैयार कर चीफ सेक्रेटरी को पेश करेगा, जिसके बाद इन संस्थाओं को सरकार की ओर से लीगल नोटिस भेजा जाएगा। फिलहाल, आयोग ने 2 संस्थाओं की जांच की है।
मध्यप्रदेश के मालवा-निमाड़ खंडों के आदिवासी बाहुल्य इलाकों में ईसाई मिशनरियों द्वारा आदिवासी बच्चों को ईसाई धर्म में परिवर्तित करने का यह कोई पहला मामला नहीं है। इसके पूर्व भी भिंड, सतना, धार, मंदसौर आदि जिलों से धर्मांतरण के कई मामले सामने आ चुके हैं। देवास से आई इस हालिया खबर की बात की जाए तो बाल अधिकार व संरक्षण आयोग के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने प्रदेश के आदिवासी इलाकों में अनियमित रूप से संचालित ईसाई मिशनरियों का दौरा किया।
कानूनगो ने बताया कि मिशनरियों द्वारा अनाथालय संचालित किए जाने की जानकारी मिली, जिसका रजिस्ट्रेशन सरकार के पास नहीं है। इस अनाथालय में जर्मनी से करोड़ों की फन्डिंग आने की पुष्टि भी कानूनगो ने की। अनाथालय की आड़ में यह संस्था बड़े स्तर पर बच्चों का धर्मांतरण कर रहीं हैं। इन्हें ईसाई प्रार्थनाएं भी सिखाई जा रही हैं।
यह बच्चे एक किलोमीटर दूर स्थित सरकार स्कूल में पढ़ते हैं। कायदे से इन्हें बाल कल्याण समिति के माध्यम से रजिस्टर्ड संस्थाओं को सौंपा जाना चाहिए। लेकिन, इन्हें अनाथालय आने के प्रलोभन दिए जा रहे हैं। आयोग अध्यक्ष कानूनगो का कहना है कि अनाथालय में बच्चों से झाड़ू-पोंछा आदि कार्य भी कराया जा रहा है।