इस साल लोकसभा चुनाव होने वाले हैं। 3 राज्यों में प्रचंड जीत, राम मंदिर के मुद्दे और प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता के चलते फिलहाल भाजपा अधिक ताकतवर पार्टी बनकर उभर रही है। मध्यप्रदेश की बात की जाए तो लोकसभा चुनावों में भाजपा 29 में से 29 सीटें जीतने का दावा कर रही है। ऐसे में अब ये खबर आ रही है कि जिस तरह भाजपा ने विधानसभा चुनावों में प्रत्याशी के रूप में लोकसभा सांसदों को उतारा था, वैसे ही पार्टी लोकसभा चुनावों में राज्यसभा सदस्यों को चुनाव लड़वा सकती है।
विधानसभा चुनावों में जीत के कारण जिस प्रकार भाजपा को फायदा हुआ है, उससे भाजपा और कांग्रेस में जीत का अंतर बढ़ गया है। ऐसे में यह कहा जा सकता है कि पार्टी को राज्यसभा सीटों का नुकसान नहीं होगा। विधानसभा के लिए भी भाजपा ने 7 सांसदों को उतारा था, जिनमें 5 ने जीत हासिल की थी। इस बात से भाजपा यह समझ गई है कि राष्ट्रीय राजनीति से जुड़े चेहरों को प्रादेशिक चुनावों में उतारने का फार्मूला कारगर है।
खबर आ रही है कि बीजेपी केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को सांसदी लड़वा सकती है। ऐसा माना जाता है कि सिंधिया खुद भी गुना,शिवपुरी या ग्वालियर से लड़ना चाहते हैं। इसके अलावा राज्यसभा सांसद कविता पाटिदार भी लोकसभा चुनाव लड़ सकती हैं। वे राष्ट्रीय नेतृत्व को पसंद भी हैं साथ ही जमीनी राजनीत से जुड़ी नेत्री हैं।
गौरतलब है कि राज्यसभा सदस्य अजय प्रताप सिंह, धर्मेन्द्र प्रधान और कैलाश सोनी का कार्यकाल पूरा होने जा रहा है। अगर सिंधिया और कविता पाटिदार लोकसभा चुनाव लड़ते हैं, तो भाजपा नए चेहरों को राज्यसभा भेज सकती है। कहा जाता है कि राज्यसभा चुनावों के लिए भाजपा ने आंतरिक रूप से एक नियम बना रखा है, जिसके मुताबिक कोई भी नेता 2 बार से ज्यादा राज्यसभा सदस्य नहीं बनाया जा सकता। लोकसभा चुनावों से पहले राज्यसभा सदस्य के रूप में धर्मेन्द्र प्रधान का दूसरा कार्यकाल पूर्ण हो रहा है। इससे यह कहा जा सकता है कि उनका रिप्लेस होना लगभग तय है।
इन दोनों नामों के अलावा पार्टी भोपाल से नरोत्तम मिश्रा को लोकसभा चुनाव लड़ाने पर विचार कर रही है। जिस तरह भोपाल में कांग्रेस के दो मुस्लिम प्रत्याशी आरिफ़ मसूद और आतिफ अकील ने जीत हासिल की है, ऐसे में पार्टी चाहती है कि भोपाल से कोई हिंदुवादी नेता चुनाव लड़े। गृह मंत्री के रूप में नरोत्तम मिश्रा के कार्यकाल पर नज़र डाली जाए, तो प्रदेश में उनसे बड़ा हिंदुवादी नेता शायद ही देखने को मिले। अपने कार्यकाल में उन्होंने हिंदू भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाली फिल्मों के खिलाफ़ कार्रवाई करने जैसे फैसले कई बार लिए हैं। लव-जिहाद और पत्थरबाजी के खिलाफ़ कानून बनाने की पहल भी उन्होंने ही की थी।
लोकसभा चुनावों के ध्यान में आते ही एक और नाम सामने आता है। यह नाम है मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का। उनके सीएम पद छोड़ने के बाद से ही उनके समर्थकों में यह चर्चाएं हैं कि उनके साथ अन्याय हुआ है। पुनः सीएम न बनने की वजह बताते हुए उन्होंने हाल ही में अपने भाषण में कहा कि कभी कभी राजतिलक होते-होते वनवास हो जाता है, लेकिन इसके पीछे कोई उद्देश्य जरूर होता है। यह संभव है कि पार्टी उन्हें लोकसभा चुनाव में उतारे।
कहा जा रहा है कि शिवराज छिंदवाड़ा से सांसदी लड़ सकते हैं। पिछली बार मध्यप्रदेश की 29 लोकसभा सीटों में छिंदवाड़ा ही ऐसी सीट थी, जो भाजपा नहीं जीत पाई थी। यहाँ से पूर्व सीएम कमलनाथ के बेटे नकुलनाथ सांसद बने थे। लाड़ली बहना योजना के चलते शिवराज छिंदवाड़ा में भी काफी लोकप्रिय हैं। हाल ही में जब वे छिंदवाड़ा गए थे, तो उनके भव्य स्वागत हुआ था। चर्चाएं यह भी हैं कि सांसदी जीतकर शिवराज केंद्रीय कृषि मंत्रालय संभाल सकते हैं। बता दें कि इस वर्ष अप्रैल से जून के बीच हो सकते हैं।