पिछले कुछ हफ्तों में मध्यप्रदेश की जनता ने कांग्रेस के कई बड़े नेताओं से लेकर सरपंचों, पार्षदों और कार्यकर्ताओं को भाजपा में शामिल होते देखा है। लोकसभा चुनाव से पहले नेताओं का पार्टियां बदलना आम बात है। लेकिन, ये कार्य इतने बड़े स्तर पर होता देख भारतीय जनता पार्टी के कई नेता भी हैरान हैं। इंदौर सीट की ही बात की जाए, तो पंकज संघवी, अंतर सिंह दरबार, विशाल पटेल, संजय शुक्ला जैसे कद्दावर नेताओं ने पार्टी का साथ छोड़ दिया।
ऐसा होने से भाजपा में कहीं ने कहीं संतुष्टि है कि भाजपा के नेताओं व कार्यकर्ताओं की संख्या बढ़ रही है और सीटों पर पार्टी का माहौल बन रहा है। तो वहीं कुछ कार्यकर्ताओं में इस बात को लेकर चिंता भी है कि ऐसे में बीजेपी के मूल कार्यकर्ताओं का क्या होगा? क्या पार्टी में जुडने वाले नए चेहरों को खुश करने के लिए लंबे समय से प्रायसरत भाजपा के मूल कार्यकर्ताओं को दरकिनार कर दिया जाएगा? ये दोनों सवाल किसी से छुपे नहीं हैं।
कार्यकर्ताओं के इस सवाल का जवाब पछले दिनों नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने एक बैठक के दौरान दिया। उन्होंने कहा कि भाजपा कार्यकर्ता किसी बात की चिंता न करें। कलदार सिक्का, कलदार ही होता है। पार्टी कमिटमेंट देखती है, आप अपनी पार्टी और अपने काम के प्रति कितना कमिटेड हैं। अगर आप हैं, तो पार्टी आपको आगे बढ़ाएगी।
अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बैठक में उपस्थित मंत्री तुलसी सिलावट का उदाहरण दिया। विजयवर्गीय ने कहा कि देखिए इन्हें, इन्हें देखकर लगता ही नहीं कि ये कभी कांग्रेस में थे। जब मंत्री पद के लिए इनके नाम का प्रस्ताव आया, तो 30 सेकंड के अंदर ही निर्णय हो गया और किसी ने आपत्ति नहीं ली।
विजयवर्गीय ने बैठक में इंदौर के कार्यकर्ताओं को ‘इस बार, 8 लाख पार’ का नारा भी दिया। उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव में शंकर लालवानी को 8 लाख से अधिक वोटों से जीत दिलाने के लिए लगातार बूथों पर संपर्क करना है। राहुल गाँधी की भारत जोड़ों न्याय यात्रा पर तंज कसते हुए विजयवर्गीय ने कहा कि कांग्रेस के पास नेताओं की भीड़ है तो मोदीजी के पास मतदाताओं की भीड़ है।