शिवराज सिंह चौहान मध्यप्रदेश के राजनैतिक इतिहास के सबसे बड़े नेताओं में से एक माने जाते हैं। 2023 के विधानसभा चुनाव में जब 6 माह पूर्व हर ओर भाजपा की हार को लेकर चर्चाएं थी, उस समय शिवराज की महत्वकांक्षी लाड़ली बहना योजना ने खेल ही पलट कर रख दिया। भाजपा विधानसभा चुनाव में भारी मतों से विजयी हुई। मोहन यादव के मुख्यमंत्री बनने के बाद से ही शिवराज के भविष्य को लेकर कई सवाल उठने लगे थे। शिवराज मध्यप्रदेश की जनता में पॉपुलर हैं, 18 बरस एक सूबे के प्रमुख रहे हैं, भाजपा की रीति-नीति की अच्छी समझ भी रखते हैं। इन्हीं वजहों से बीजेपी आलाकमान ने शिवराज को केंद्र ले जाने का फैसला किया।
शिवराज के दिल्ली जाने के बाद उनकी बुधनी विधानसभा सीट रिक्त हो जाएगी। ये ज़ाहिर है कि बुधनी में दोबारा से चुनाव हों। लेकिन, बुधनी से भाजपा किसे टिकट देगी, यह बड़ा सवाल है। नाम तो कई हैं, लेकिन जो नाम सबसे ज्यादा चर्चाओं में है – वह है शिवराज सिंह चौहान के पुत्र कार्तिकेय का नाम। शिवराज सिंह चौहान पिछले करीब 17 सालों से बुधनी के विधायक हैं और अब उनके बेटे कार्तिकेय को इस सीट से भावी विधायक के रूप में देखा जा रहा है।
कार्तिकेय के लिए राजनीति नई नहीं हैं। वे कई सालों से राजनीति में ऐक्टिव हैं। विधानसभा चुनाव में उन्होंने अपने पिता के लिए जमकर प्रचार किया। लोकसभा चुनाव में भी जब पिता शिवराज प्रदेश की अन्य सीटों पर व्यस्त थे, तब कार्तिकेय ही प्रचार संभाल रहे थे। उनके दो बयान वायरल भी हुए हैं। पहला जब उन्होंने विधानसभा चुनाव के पहले कहा था कि यह चुनाव एक तरफा नहीं है, कांग्रेस का वोटबैंक कायम है और भाजपा कार्यकर्ताओं को जीत के लिए मेहनत करना पड़ेगा। दूसरा जब उन्होंने कहा था कि जनता को न्याय दिलाने के लिए मैं अपनी सरकार से लड़ने के लिए भी तैयार हूँ।
इसके अलावा कार्तिकेय क्षेत्र के युवाओं में भी खासी लोकप्रियता रखते हैं। वे समय समय पर बुधनी में क्रिकेट टूर्नामेंट में आयोजित करवाते रहते हैं। ऐसे में बीजेपी आलाकमान इस बार उपचुनाव में उन्हें टिकट दे सकती है। हालांकि, परिवारवाद को लेकर शुरू से सख्त रहने वाले बीजेपी नेता पुत्र को टिकट देती है या नहीं? ये सवाल अब भी बरकरार है। 4 जून को लोकसभा चुनाव के परिणाम घोषित होंगे। इसके बाद संभवतः मध्यप्रदेश की 7 सीटों पर उपचुनाव कराए जाने हैं। अब देखना ये होगा कि बीजेपी उपचुनाव को लेकर क्या रणनीति बनाती है?