दो सप्ताहों से जारी भोपाल से दिल्ली तक की बैठकों के बाद सोमवार, 25 दिसंबर की दोपहर साढ़े 3 बजे मध्यप्रदेश की मोहन कैबिनेट की घोषणा हो सकती है। कहा जा रहा है कि 20 से अधिक विधायक मंत्री पद की शपथ ले सकते हैं। मंत्रिमंडल का गठन लोकसभा चुनावों के मद्देनजर किया जा सकता है। ऐसे में मंत्रिमंडल के विस्तार पर कानून क्या कहता है, आइए जानने की कोशिश करते हैं।
किसी राज्य की सरकार के मंत्रिमंडल में कितने मंत्री होंगे, इसका निर्धारण उस राज्य की कुल विधानसभा सीटों के हिसाब से होता है। संविधान के 91वें संशोधन के हिसाब से राज्य में मंत्रियों की संख्या मुख्यमंत्री को मिलाकर 15 प्रतिशत से अधिक नहीं होनी चाहिए। उदाहरण के तौर पर 100 विधानसभा सीटों पर केवल 15 मंत्री बनाए जा सकते हैं।
मध्यप्रदेश में 230 विधानसभा सीटें हैं। इसलिए यहाँ कुल 32-34 विधायकों को मंत्री बनाया जा सकता है। मंत्रालयों की संख्या ज्यादा होने पर एक मंत्री को 2 या उससे अधिक मंत्रालय सौंपे जाते हैं। प्रदेश में मोहन यादव को मुख्यमंत्री और जगदीश देवड़ा व राजेन्द्र शुक्ल को पहले ही उपमुख्यमंत्री बनाया जा चुका है। इस सूरत में अब केवल 31 ही पद रिक्त हैं, जिनकी घोषणा आज दोपहर तक कर दी जाएगी।