इंदौर नगर निगम के 150 करोड़ रुपए के फर्जी बिल घोटाले की चर्चा प्रदेशभर में हो रही है। इसी बीच मंगलवार को एक और बड़ा घोटाला सामने आया है। इस बार स्मार्ट सिटी बोर्ड के अफसरों ने कारस्तानी की है। अफसरों ने मनमाने तरीके से एक विशेष कंपनी का अनुबंध सात साल के लिए बढ़ा दिया, जबकि वह 2025 में ही खत्म होने वाला था। इस घोटाले की जानकारी लगते ही महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने मुख्यसचिव को पत्र लिखकर लोकायुक्त और ईओडब्ल्यू से उच्चस्तरीय जांच कराने की मांग की है।
महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने स्मार्ट सिटी कंपनी बोर्ड के पूर्व अफसरों पर आरोप लगाए हैं कि 2021 में अफसरों ने मनमाने तरीके से कंपनी का कान्ट्रैक्ट या अनुबंध 7 साल के लिए बढ़ा दिया। वहीं कोविड के 2 सालों को जोड़कर इस अनुबंध को 9 साल तक के लिए बढ़ा देने की बात भी लिखी गई है। कंपनी ने इसके लिए निगम को किसी तरह की रॉयल्टी भी नहीं दी, इसके बावजूद अनुबंध की अवधि को बढ़ाया गया।
मुख्य सचिव को लिखे हुए पत्र में महापौर ने किसी कंपनी का उल्लेख तो नहीं किया, लेकिन ऐसा मना जा रहा है कि उन्होंने वेस्ट मैनेजमेंट कंपनी नेप्रा को लाभ पहुंचाने पर सवाल उठाया है। उन्होंने मुख्य सचिव को पत्र लिखकर इस घोटाले की जानकारी दी है और लोकयुक्त व आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (ईओडब्ल्यू) से इसकी हाई-लेवल जांच कराने की मांग भी की है।
महापौर का कहना है कि नेप्रा के साथ अनुबंध 2025 में पूरा होना था। अधिकारियों ने 4 साल पहले इसे बढ़ाते हुए 2033 तक कर दिया। महापौर ने कंपनी के साथ निगम के कान्ट्रैक्ट को तत्काल प्रभाव से कैन्सल करने और दोषियों के खिलाफ़ सख्त कार्रवाई करने की मांग रखी है।
इसी बीच मध्यप्रदेश यूथ कांग्रेस अध्यक्ष मितेंद्र दर्शन सिंह ने इंदौर नगर निगम में लगातार हो रहे घोटालों को लेकर महापौर पुष्यमित्र भार्गव के इस्तीफे की मांग की है। उनका कहना है कि इतने बड़े घोटाले से शहर की प्रतिष्ठा धूमिल हुई है। उन्होंने सवाल उठाया है कि ऐसे कैसे कोई कंपनी फर्जी बिल लगाकर निगम से जनता का पैसे लूट सकती है? बहरहाल, इस संबंध में अब तक मुख्य सचिव कार्यालय की ओर से कोई अपडेट नहीं आई है।