नए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने बुधवार को प्रदेश की 1 करोड़ 29 लाख लाड़ली बहनों के खाते में 1576 करोड़ रुपए ट्रांसफर कर दिए हैं। हालांकि, 2 महीने से भी कम समय में लाड़ली बहनों की संख्या 1.75 लाख गिर गई है। विधानसभा चुनावों के पूर्व लाड़ली बहनों की संख्या 1.31 करोड़ थी, जो अब घटकर 1.29 करोड़ हो गई है। इस बात को लेकर कांग्रेस नेताओं ने बीजेपी को घेरना शुरू कर दिया है।
सरकार ने लाड़ली बहनों की संख्या कम होने की वजह बताते हुए कहा है कि कुछ बहनों की मृत्यु हो जाने के कारण उनका नाम हटाया गया, जबकि कुछ की उम्र 60 के पार हो चुकी थी। इस तर्क से विपक्षी दल सहमत नहीं है। कांग्रेस का कहना है कि इस योजना की शुरुआत भाजपा ने चुनावी माहौल अपने पक्ष में करने के लिए की थी। भाजपा का लक्ष्य पूरा हुआ, शिवराज सिंह चौहान भी चले गए, इसलिए धीरे-धीरे यह योजना भी बंद कर दी जाएगी।
गंधवानी से कांग्रेस विधायक व उपनेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने कहा है कि शिवराज सिंह चौहान के मुख्यमंत्री पद त्यागने के 2 माह बाद ही लाड़ली बहनों की संख्या कम हो गई है। सरकारी विज्ञापन खुद इस बात का सबूत हैं, जनता खुद देख ले। लोकसभा चुनावों के बाद यह संख्या कितनी बचेगी, यह नए सीएम तय करेंगे। ये महज़ चुनावी पाखंड है, जिसका रंग फीका पड़ने वाला है। लाड़ली बहना योजना को लेकर जनता का संदेह सही था। सरकार की इस योजना पर तलवार लटक रही है।
किश्त जारी करने के बाद सीएम मोहन यादव ने कहा कि पता नहीं कांग्रेस के पेट में दर्द क्यों है। पहले वे कहते थे कि नई सरकार लाड़ली बहना योजना की किश्त नहीं दे पाएगी। हमने दे दी, तो अब वे कह रहे हैं कि हम अगली किश्त नहीं दे पाएंगे। कांग्रेस उम्मीद में बैठे रहे, हम हर बार पैसे डालते जाएंगे। उन्होंने तो कभी डाले नहीं, जो डाल रहे हैं, कांग्रेस उनपर उंगली उठा रही है।