मध्यप्रदेश में इस समय आगामी प्रतियोगी परीक्षाओं की तारीखों और पूर्व में हुई परीक्षाओं के परिणाम जारी करने मे हो रही देरी को लेकर एक बड़ा आंदोलन चल रहा है। इस संबंध में विद्यार्थियों द्वारा ट्विटर पर कैंपेन चलाया जा रहा है। पिछले दिनों #MPPSC_तिथि_बदलो काफी समय तक ट्रेंडिंग में रहा। छात्रों का कहना कि UPSC की तरह MPPSC का एक कैलेंडर क्यों नहीं है? क्यों अधिकारी आंदोलन के बाद ही हरकत में आते हैं? और आयोगों की नाकामी के चलते कब तक मध्यप्रदेश का युवा रोजगार के लिए लड़ता रहेगा?
मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनावों के प्रचार के दौरान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंचों से युवाओं को साधने का भरसक प्रयास किया। रोज़गार, सीखो कमाओ और कौशल विकास जैसे विषयों का खूब प्रचार हुआ। लेकिन, हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है। मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग (MPPSC) और मध्यप्रदेश कर्मचारी चयन बोर्ड (MPESB) की कार्यप्रणाली पर आए दिन सवाल उठाए जा रहे हैं।
दरअसल, पिछले दिनों आई एक खबर ने मध्यप्रदेश के प्रतियोगी परीक्षार्थियों की परेशानियां बढ़ा दी। मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग (MPPSC) द्वारा 15 दिनों के भीतर 3 महत्वपूर्ण प्रतियोगी परीक्षाएं करवाने के निर्णय को लेकर छात्रों में आक्रोश और पसोपेश की स्थिति है। ट्विटर पर अनेकों ट्रेंड चलाए जा रहे हैं, जिनमें तीनों परीक्षाओं की तिथियों को बदलने के साथ-साथ शिवराज सरकार और MPPSC की नाकामी पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं।
एक महीने में पीएससी की तीन परीक्षाएं होनी हैं। इसके साथ कुछ अन्य प्रतियोगी भर्ती परीक्षाओं की तारीख भी पड़ रही है। अभ्यर्थी इंसान हैं, रोबोट नहीं। एक महीने में कोई तीन तो कोई पांच परीक्षाएं आखिर कैसे देगा? ये कहना है आचार संहिता की परवाह किए बिना भोपाल स्थित PSC मुख्यालय पहुंचे अभ्यर्थियों की, जो परीक्षाओं की तिथि बदलने की मांग कर रहे हैं। ये सभी छात्र इंदौर के भँवरकुआँ में रहकर तैयारी करते हैं। छात्रों ने बताया कि MPPSC की प्री परीक्षा और मुख्य परीक्षा राज्य की सबसे कठिन परीक्षा है। दोनों का सिलेबस अलग है, तैयारी अलग है। ऐसे में एक हफ्ते के भीतर दो परीक्षाएं दे पाना संभव नहीं है।
इनका कहना है कि आयोग ने 10 दिसंबर को स्टेट फारेस्ट मेंस की परीक्षा, 17 दिसंबर को MPPSC2023 की प्री परीक्षा और 26 दिसंबर से राज्य सेवा मुख्य परीक्षा होना घोषित कर दिया। 15 दिन के भीतर 3 परीक्षाओं की तैयारी करना और अलग-अलग शहरों में जाकर पेपर लिखना आसान काम नहीं है। यूँ तो MPPSC परीक्षाओं को महीनों तक अटकाता रहता है, और अब एक साथ इतनी 3 परीक्षाओं का आयोजन प्रबंधन की नाकामी को दर्शाता है। इसलिए हम आज यहाँ उपस्थित हुए हैं। हमारी मांग है कि आयोग परीक्षाओं के बीच 40 दिनों का गैप रखे। हालांकि, लोक सेवा आयोग के अधिकारियों ने ज्ञापन लेकर उन्हें आश्वासन दिया है कि उनकी मांग आयोग के सामने रखी जाएगी।
इस संबंध में The Journalist की टीम ने नेशनल एजुकेटेड स्टूडेंट्स यूनियन से बात की। NEYU के प्रवक्ता ने बताया कि हमने सामान्य प्रशासन विभाग, भोपाल को पत्र लिखते हुए कहा है कि पूर्व में आयोजित हुई कृषि विस्तार अधिकारी परीक्षा, स्टेनो टाइपिस्ट-स्टेनो ग्राफर भर्ती परीक्षा, ग्रामीण उद्यान विस्तार अधिकारी परीक्षा, स्टाफ नर्स, पशु चिकित्सक भर्ती परीक्षा आदि कई परीक्षाओं के परिणाम महीनों से लंबित है। अगर MPESB परिणाम जारी नहीं करता है, तो आचार संहिता के बाद इंदौर और भोपाल में एक बड़ा छात्र आंदोलन किया जाएगा, जिसमें हज़ारों विद्यार्थी जुटेंगे। NEYU ने परीक्षार्थियों से अपील की है कि वे इसे ईमेल के माध्यम से अधिकारियों तक पहुंचाएं।
NEYU ने बताया कि इसके पहले हमने व्यापम और पटवारी भर्ती घोटाला के विरोध में प्रशासनिक संकुल (कलेक्टर ऑफिस, इंदौर) के सामने एक बड़ा प्रदर्शन किया। हमारा ये पत्र अधिकारियों के लिए अल्टीमेटम है कि अगर हमारी मांगें पूर्ण नहीं हुई, हमे फिर से ऐसा आंदोलन करने पर मजबूर होना पड़ेगा।