भोजशाला के सर्वे को शुरू हुए 10 दिन से अधिक का समय बीत चुका है। एएसआई की टीम बारीकी से हर चीज़ की जांच कर रही है। जरूरत पड़ने पर बाहर से भी विशेषज्ञ बुलाए जा रहे हैं। आज की बात की जाए, तो टीम परिसर की नींव खोजने में लगी हुई है। इसी बीच गर्भगृह के पिछले हिस्से में कुछ ऐसा नज़र आया है, जिसने कई बातों से पर्दा उठा दिया है।
भोजशाला के सर्वे के 11वे दिन एएसआई की टीम को गर्भगृह के पिछले भाग में प्राचीन सीढ़ियां दिखाई दी हैं। इस पर टीम ने खुदाई का दायरा बढ़ाते हुए 50 मीटर के क्षेत्र में नए स्पॉट चिह्नित किए हैं। अब यहाँ खुदाई कर साक्ष्य जुटाए जाएंगे। एएसआई की टीम यह देखना चाहती है कि कहीं परिसर में कोई तलघर या बेसमेंट तो नहीं है। कोर्ट ने आदेश दिया है कि परिसर की भौतिक स्थिति से किसी तरह की कोई छेड़छाड़ नहीं होना चाहिए। इसलिए, खुदाई के दौरान टीम विशेष सावधानी बरत रही है, जिससे परिसर के मूल स्वरूप में किसी तरह का परिवर्तन न हो।
सूत्रों की मानें तो एएसआई की टीम इसी सप्ताह मांडू के 56 महल संग्रहालय और धार के किले स्थित संग्रहालय भी जाएगी, जहां दशकों पूर्व भोजशाला से मांडू भेजे गए शिलालेखों का अध्ययन किया जाएगा।
परिसर के भीतर सर्वे जारी है तो बाहर सियासत। यह सर्वविदित है कि एएसआई की टीम जब सर्वे करती है, तो दोनों पक्षों के प्रतिनिधि भी साथ में होते हैं, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि एएसआई किसी तरह का पक्षपात तो नहीं कर रही। दिनभर का सर्वे खत्म होने के बाद बाहर आकर दोनों पक्षों के याचिककर्ताओं का क्या कहना है, यह जानना भी अहम है। हिंदू पक्ष का कहना है कि सर्वे का कार्य गतिशीलता के साथ जारी है। जल्द ही भोजशाला का सच सामने आएगा। वहीं मुस्लिम पक्ष का कहना है कि अब तक के सर्वे में ऐसा कुछ भी प्राप्त नहीं हुआ है, जो विवादास्पद हो।
वहीं दूसरी ओर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में मुस्लिम पक्ष द्वारा भोजशाला के वैज्ञानिक सर्वे पर रोक लगाने की मांग पर आधे घंटे सुनवाई हुई, जिसमें उच्चतम न्यायालय ने सर्वे पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। मौलाना कमलउद्दीन वेलफेयर सोसाइटी की ओर से केस सीनियर एडवोकेट सलमान खुर्शीद ने लड़ा, तो वहीं हिंदू फ्रंट का पक्ष सीनियर एडवोकेट एस. गुरुमूर्ति, विष्णु शंकर जैन और विनय जोशी ने रखा।