2 दिन पहले ही मध्यप्रदेश की मोहन सरकार ने अपना पहला फुल बजट जारी किया और तीसरे ही दिन वह अपने खराब वित्तीय प्रबंधन को लेकर कटघरे में आ खड़ी हुई है। भारत सरकार के उपक्रम नियन्त्रक एवं महालेखापरीक्षक (CAG) द्वारा जारी की गई एक रिपोर्ट ने वल्लभ भवन के दफ़्तरों में खलबली मचा दी है। ख़बर आई है कि मध्यप्रदेश सरकार अब पुराना कर्ज़ चुकाने के लिए भी नया कर्ज़ लेने जा रही है। सीएजी ने मोहन सरकार को यह सलाह भी दी है कि पुराने कर्ज को चुकाने के लिए नया कर्ज लेना ठीक नहीं है। इस मामले पर पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ समेत कई कांग्रेस नेताओं ने सरकार पर निशाना भी साधा है।
बता दें कि वर्तमान में मध्यप्रदेश सरकार पर 3 लाख 75 हजार करोड़ रुपए का कर्ज है। अमूमन राज्य सरकारें अपनी योजनाओं को संचालित करने और प्रदेश के विकास के लिए कर्ज़ लेती हैं। मध्यप्रदेश सरकार पर लाड़ली बहना योजना, किसान सम्मान निधि जैसी बड़ी-बड़ी योजनाओं को चलाने का भार है। ऐसे में हर महीने सरकार द्वारा भारी भरकम कर्ज़ लेने की खबरें सामने आती रहती हैं।
लेकिन, अब जो ख़बर आई है उसने सबको हैरत में डाल दिया है। मध्यप्रदेश सरकार फिर से कर्ज़ लेने जा रही है। लेकिन, इस बार ये कर्ज़ विकास कार्यों और योजनाओं को संचालित करने के लिए नहीं। बल्कि, पूर्व में लिए गए कर्ज़ को चुकता करने के लिए लिया जा रहा है। सीएजी की रिपोर्ट में ये खुलासा भी हुआ है कि पिछले साल लिए गए कर्ज़ का 32 प्रतिशत भी लोन चुकाने में ही गया था।
इस मामले पर पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने अपने ट्विटर अकाउंट के माध्यम से सरकार पर जमकर निशाना साधा है। कमलनाथ ने कहा है कि राज्य सरकार पर इस समय क़रीब पौने 4 लाख करोड़ रुपये का कर्ज़ है। यदि प्रति व्यक्ति कर्ज़ के लिहाज़ से देखें तो एक साल पहले मध्य प्रदेश के हर नागरिक पर 39 हज़ार रुपया कर्ज़ था, जो इस वर्ष बढ़कर 45 हज़ार रुपया हो गया और मार्च 2025 तक 55 हज़ार रुपया प्रति व्यक्ति कर्ज़ हो जाएगा। राज्य सरकार की आमदनी का एक बड़ा हिस्सा कर्ज़ का ब्याज चुकाने में ख़र्च होता है।
कमलनाथ ने बढ़ती महँगाई को लेकर भी सरकार पर प्रहार किया है। उनका कहना है कि प्रदेश सरकार की इसी कर्ज़ नीति का परिणाम है कि मध्य प्रदेश की जनता पेट्रोल,डीज़ल,रसोई गैस सिलेंडर और बिजली सबसे ज़्यादा महँगी क़ीमत पर ख़रीदती है। जनता जो टैक्स जमा करती है, उसका इस्तेमाल सरकार कर्ज़ का ब्याज चुकाने में कर रही है। इस भारी भरकम कर्ज़ का उपयोग जनता के कल्याण के बजाए ठेका और कमीशनराज में हो रहा है।