2023 के लोकसभा चुनाव में मध्यप्रदेश की कोई सीट यदि सबसे ज्यादा चर्चाओं में है, तो वह है छिंदवाड़ा लोकसभा सीट। इस समय छिंदवाड़ा में जो सियासी ड्रामा चल रहा है, वह दशकों में किसी चुनाव के पहले नहीं देखा गया। 40 सालों से कांग्रेस का गढ़ माने जाने वाली छिंदवाड़ा सीट को इस बार 29 में से 29 का नारा लेकर चलने वाली बीजेपी से कड़ी चुनौती मिल रही है। बीजेपी अपनी ओर से वो हर प्रयास करने में लगी है, जिससे कमलनाथ के किले को भेदा जा सके। आज की इस बेहद स्पेशल रिपोर्ट में बात छिंदवाड़ा लोकसभा सीट की होगी। बात करेंगे छिंदवाड़ा के चुनावी इतिहास के बारे में और ढूँढेंगे के सवाल का जवाब, जो सबकी जुबान पर है कि क्या कमलनाथ का छिंदवाड़ा बीजेपी जीत पाएगी?
छिंदवाड़ा की राजनीत समझने से पहले क्षेत्र विकास की वर्तमान स्थिति समझना जरूरी है। छिंदवाड़ा आने के 4 रास्ते हैं – सिवनी रोड़, पिपरिया रोड़, नागपुर रोड़ और नरसिंहपुर रोड़। चारों फोरलेन है। भोपाल की रिंग रोड़ अभी कागजों में है, लेकिन छिंदवाड़ा में 26 किलोमीटर लंबी रिंग रोड़ है। क्षेत्र में पानी की कमी नहीं है। छिंदवाड़ा सब्जी का भी बड़ा उत्पादक है। यहाँ रेमंड, पार्ले, हिंदुस्तान यूनीलीवर, अदानी जैसी कंपनियां भी किसी न किसी रूप में स्थित हैं। कुल मिलाकर बात की जाए, तो छिंदवाड़ा में विकास तो है। लेकिन, यह विकास किसने किया, इसे लेकर मतभेद है। शहर के युवा पीएम मोदी और भाजपा का नाम लेते हैं। तो 50 वर्ष से ऊपर के लोग इसे कमलनाथ का छिंदवाड़ा मॉडल बताते हैं।
छिंदवाड़ा सीट पर कांग्रेस के वर्चस्व का अंदाज़ा आप इस बात से लगा सकते हैं की आजादी के बाद से अब तक ये सीट कांग्रेस के ही पाले में है, जिसमें से 40 साल से ज्यादा तो कमलनाथ और उनके परिवार को ही हो गए। 1997 में भाजपा के सुंदरलाल पटवा जीते तो थे, लेकिन एक साल से ज्यादा टिक नहीं पाए। पिछले लोकसभा चुनाव की ही बात कर ली जीत तो कांग्रेस की ही हुई थी, लेकिन वोटों का अंतर केवल 40 हजार के आस पास ही था। 2019 में मध्यप्रदेश की 29 सीटों में से 28 पर कमल खिला, लेकिन पार्टी छिंदवाड़ा को कांग्रेस के पंजे से छुड़ा नहीं पाई। हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में भी पलड़ा कांग्रेस का ही भारी रहा।
इस बार प्रधानमंत्री मोदी के ‘अबकी बार, 400 पार’ के नारे की तर्ज पर प्रदेश भाजपा ने भी 29 की 29 सीटें जीतने का लक्ष्य निर्धारित किया है। इस रास्ते में जो सबसे बड़ी बाधा है, वह है छिंदवाड़ा लोकसभा सीट। भाजपा 2023 के विधानसभा चुनाव के बाद से ही छिंदवाड़ा में सेंध लगाना शुरू कर चुकी थी। इस सीट से गिरिराज सिंह, प्रह्लाद पटेल, शिवराज सिंह चौहान जैसे बड़े चेहरों को चुनाव लड़ाने की खबरें चलीं, लेकिन टिकट छिंदवाड़ा भाजपा ज़िला अध्यक्ष विवेक बंटी साहू को ही मिला, जो एकदम नया चेहरा हैं।
कांग्रेस की ओर से तो पहले ही फाइनल था कि टिकट कमलनाथ के पुत्र और देश के सबसे अमीर प्रत्याशी नकुलनाथ को ही मिलना है। हुआ भी यही। नकुलनाथ को टिकट मिला, पहले चरण के नामांकन के तहत उन्होंने पर्चा भरा, जिसमें उनकी संपत्ति के आगे जो राशि लिखी थी, वह 700 करोड़ से भी ज्यादा की थी। भाजपाई इस चुनाव को नकुलनाथ बनाम पीएम मोदी करना चाहते हैं, वहीं कांग्रेसी चाहते हैं कि चुनाव नकुलनाथ बनाम विवेक बंटी साहू हो। कांग्रेस के कई स्थानीय नेता नकुलनाथ से खफा हैं। उनका कहना है कि 40 साल में कमलनाथ ने छिंदवाड़ा में जो बोया है, यदि नकुलनाथ उसे ठीक से भी काटते तो 20 साल तक उन्हें राजनीति से कोई हिला नहीं सकता था। वहीं, भाजपा का एक धड़ा विवेक बंटी साहू से भी नाराज़ है। इसमें पूर्व विधायक और तीन बार सांसदी लड़ चुके चौधरी चंद्रभान सिंह का भी नाम है। हालांकि, विवेक का विरोध खुलकर किसी नेता ने ज़ाहिर नहीं किया।
छिंदवाड़ा में लोकसभा चुनाव के पहले चरण के तहत 19 अप्रैल को मतदान होना है। लेकिन, शहर में कांग्रेस के झंडे दिखाई ही नहीं दे रहे। सारा शहर रामनाम और भाजपा के झंडों से ढंका हुआ है। ग्रामीण इलाकों का हाल भी कुछ ऐसा ही है, पर यहाँ ज्यादा लोग कमलनाथ का नाम लेने वाले हैं।
भाजपा का माहौल बनाया है कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आने वाले नेताओं ने। भाजपा प्रवक्ता पंकज चतुर्वेदी का कहना है कि पिछले कुछ हफ्तों में कांग्रेस के 3000 से ज्यादा नेता बीजेपी में शामिल हुए हैं। इस सूची में विधायक, महापौर, जनपद अध्यक्ष, पूर्व विधायक सब शामिल हैं। अमरवाड़ा से विधायक गोंड विधायक कमलेश शाह, पूर्व विधायक पारुल साहू, महापौर विक्रम अहके और कमलनाथ के लिए सीट छोड़ने वाले, उनके बेहद करीबी दीपक सक्सेना हाल के दिनों में सैंकड़ों कार्यकर्ताओं के साथ भाजपा में आए हैं। विधानसभा चुनाव के बाद तो खुद पिता पुत्र कमलनाथ और नकुलनाथ की भी भाजपा में आने की अटकलें तेज़ हुई थीं, कमलनाथ दिल्ली भी पहुँच गए थे। लेकिन, ऐसा दोनों कांग्रेस में ही रहे।
छिंदवाड़ा में भाजपा के राष्ट्रीय नेताओं की ताबड़तोड़ रैलियाँ इस बात का सबूत है कि भाजपा यह सीट किसी हालात में नहीं हारना चाहती। केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह छिंदवाड़ा आ ही चुके हैं। इनके अलावा सीएम, वीडी, शिवराज आते जाते रहते हैं। वहीं कांग्रेस की ओर से कमलनाथ ने ही मोर्चा संभाला हुआ है। वे गाँव-गाँव जाकर सभाएं कर रहे हैं, छिंदवाड़ा के लोगों से उनके रिश्ते को लेकर भावुक हो रहे हैं और लोगों को भी कर रहे हैं।
लोकसभा चुनाव के पहले छिंदवाड़ा किस तरह मध्यप्रदेश की राजनीति का एपीसेंटर बन गया है। यह पिछले कुछ दिनों के अखबारों की हेडलाइन पढ़कर मालूम किया जा सकता है। आइए कुछ ताज़े घटनाक्रमों पर नज़र डालते हैं।
– कमलनाथ ने सीएम मोहन यादव, वीडी शर्मा व अन्य भाजपा नेताओं पर आरोप लगाया कि बीजेपी छिंदवाड़ा को एमपी का रण बनाना चाहती है। कांग्रेस के नेताओं को पार्टी छोड़ने के लिए धमकाया जा रहा है।
– डिप्टी कलेक्टर से राजनीत में आईं, कांग्रेस में शामिल हुईं और हाल ही में कांग्रेस छोड़ चुकी निशा बांगरे का कहना है कि कमलनाथ ने मेरे साथ धोखा किया है, मैं चुनाव में उनका विरोध करूंगी।
– मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने एक कार्यक्रम में कहा कि मैं छिंदवाड़ा को गोद लूँगा और इसे देश का नंबर 1 जिला बनाऊँगा।
– भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने छिंदवाड़ा में कहा कहा कि अब जाति के आधार पर बांटने की राजनीति नहीं होगी।
– मंत्री विजयवर्गीय ने मीडिया को बताया कि छिंदवाड़ा में वोटरों को लुभाने के लिए कांग्रेस शराब और नोट बांट रही है।
– इसके ठीक अगले दिन पांढुर्ना विधायक नीलेश उइके के घर आबकारी विभाग का छापा पड़ता है, विभाग खाली हाथ लौटता है।
छिंदवाड़ा से लैटस्ट अपडेट ये है कि भाजपा प्रत्याशी विवेक बंटी साहू ने कमलनाथ के निज सहायक मिगलानी पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने पत्र जारी करते हुए कहा है कि मिगलानी ने एक अन्य व्यक्ति के साथ मिलकर एआई की मदद से मेरा अश्लील वीडियो बनाकर वायरल किया है। शिकायत के बाद पुलिस कमलनाथ के छिंदवाड़ा और भोपाल स्थित बंगलों पर भी पहुंची है।
बहरहाल, छिंदवाड़ा सीट यूं तो कांग्रेस का गढ़ मानी जाती है, लेकिन पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत का मार्जिन सिर्फ 40 हजार का ही था। कांग्रेस के बड़े नेता भी ये सोचकर भाजपा में आ गए हैं कि इस बार कांग्रेस की लुटिया डूबने वाली है। वहीं, दूसरी ओर कांग्रेस अपनी जीत को लेकर आश्वस्त दिखाई दे रही है। छिंदवाड़ा समेत प्रदेश कि 6 सीटों पर 19 अप्रैल को वोटिंग होनी है। अब देखना ये होगा कि छिंदवाड़ा के 15 लाख से ज्यादा वोटर किसे अपना नेता चुनते हैं।