स्टेडियम दर्शकों से लबालब भरा था। सलामी बल्लेबाज़ी कर रही टीम ने संभलकर खेलते हुए एक सम्मानजनक स्कोर खड़ा कर दिया था। लेकिन, मैच जीतने के लिए इतना काफ़ी नहीं था। आखिरी के 10 ओवरों में प्रेशर से लड़कर तेज़ खेलने की जरूरत थी। फिर एक विकेट गिरने के बाद जो बल्लेबाज़ आया, उसनें आते ही ताबड़तोड़ बल्लेबाज़ी शुरू कर दी। चौकों-छक्कों के अलावा बात ही नहीं की। विरोधी टीम के सारे प्लान फैल हो गए। क्योंकि, जो हुआ उसकी उम्मीद किसी ने नहीं की थी। क्रीस पर आते ही धमाका करने वाले इस बल्लेबाज़ को देख सबको आश्चर्य हुआ, जिसके कारण उसने खूब सुर्खियां भी बटोरी। कॉमेंटरी बॉक्स से आवाज आई – ”ऐसा लगता है कि बल्लेबाज़ डग आउट से ही तैयार होकर आए हैं”
अब इस उदाहरण को मध्यप्रदेश की वर्तमान राजनीति से जोड़कर देखिए। ताबड़तोड़ बल्लेबाज़ हैं मुख्यमंत्री बनने के एक महीने के भीतर ही अपने कड़े फैसलों से सुर्खियां बटोरने वाले डॉ. मोहन यादव, दर्शक हैं मध्यप्रदेश की जनता और विरोधी दल कौन? ये आप बेहतर जानते हैं। मध्यप्रदेश में भाजपा की रिकार्ड जीत के बाद 13 दिसंबर को डॉ. यादव मुख्यमंत्री बने। पदभार ग्रहण किए 1 महीना भी पूरा नहीं हुआ और उन्होंने अपनी छवि एक Firebrand हिंदुत्ववादी नेता के रूप में स्थापित करना शुरू दी।
आमतौर पर किसी राज्य में जब कोई नया मुख्यमंत्री बनता है, तो 15-20 तो उसे अपने अधिकारों और जिम्मेदारियों को समझने में ही लग जाते हैं। हालांकि, मुख्यमंत्री मोहन काफ़ी पढे-लिखे हैं, विधि और राजनीतिक विज्ञान के छात्र रह चुके हैं। लेकिन, उन्हें सुनकर ऐसा लगता है कि विधायक होते हुए ही उन्होंने ये सोच लिया था कि अगर मैं मुख्यमंत्री बनूँगा, तो किस तरह सरकार चलाऊँगा। तो आइए विस्तार से जानते हैं डॉ. मोहन यादव द्वारा अब तक लिए गए कुछ चर्चित फैसलों के बारे में
आते ही लाउडस्पीकरों और खुले में माँस विक्रय पर प्रतिबंध:
मुख्यमंत्री बनने के बाद सीएम मोहन ने पहला ही फैसला ऐसा ले डाला, जो प्रदेश के साथ देशभर के अखबारों-न्यूज चैनलों की हेडलाइन बन गया। यह फैसला था प्रदेशभर के धार्मिक स्थलों (मंदिर, मस्जिद व अन्य) पर लगे लाउडस्पीकरों और खुले में माँस-मछली की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने का। इस घोषणा का क्रियान्वयन भी कड़ाई के साथ किया। कुछ ही दिनों में उज्जैन, इंदौर, देवास, भोपाल आदि प्रमुख शहरों से वीडियो आने लगे, जिनमें लोग धर्मस्थलों से लाउडस्पीकर उतारते दिख रहे थे। इस फैसले पर मुस्लिम समाज की ओर से आपत्ति भी दर्ज कराई गई कि घोषणा के पहले सभी धर्मों व मज़हबों के नुमाइंदों से सलाह मशविरा नहीं किया गया।
”राजा तो बाबा महाँकाल हैं, हम सब तो बेटे है उनके, क्यों रात नहीं रुकेंगे” – CM मोहन
सीएम मोहन के पदभार ग्रहण करते ही यह ख़बर बहुत प्रचारित हुई कि उज्जैन के राजा बाबा महंकाल हैं। प्रदेश का मुखिया उज्जैन में रात नहीं रुक सकता। और सीएम मोहन तो खुद उज्जैन दक्षिण सीट से चुनकर आते हैं, तो ऐसे में क्या वे अपने घर पर भी रात नहीं रुक पाएंगे? इस सवाल का जवाब सीएम ने तब दिया जब वे स्वयं उज्जैन पहुंचे। उन्होनें कहा कि राजा तो बाबा महाँकाल हैं, हम सब तो बेटे है उनके, क्यों रात नहीं रुकेंगे? क्या राज्य के अन्य जिले बाबा की पहुँच से बाहर है? अगर उन्हें हटवाना ही होगा, तो वे संसार के किसी भी कोने से बुलाकर हटवा देंगे।” उनके इस बयान ने मुद्दे को लगभग बंद ही कर दिया।
”जहाँ-जहाँ श्री कृष्ण के पाँव पड़े, उन जगहों को तीर्थ बनाएंगे” – CM मोहन
इसके बाद बारी आई विधानसभा के सत्र में CM मोहन के पहले भाषण की, जिसमें उन्होनें कई बड़ी घोषणाएं की। उन्होनें कहा कि राम काज पूर्ण हुआ, अब कृष्ण काज की बारी। इसलिए प्रदेश में जहां-जहां प्रभु श्री कृष्ण के पाँव पड़े, उन स्थलों को तीर्थ स्थल के रूप में विकसित करेंगे। विपक्षियों पर निशाना साधते हुए उन्होनें कहा कि कांग्रेस ने राम मंदिर मामले में अवरोध उत्पन्न किया। अगर वे सचमुच धर्म के लिए कुछ अच्छा करना चाहते हैं, तो मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि विवाद के निराकरण के लिए सामने आएं। उन्होनें यह भी साफ कर दिया कि पिछली सरकार में शुरू की गई कोई योजना बंद नहीं होगी, सभी योजनाओं के लिए सरकार ने पर्याप्त व्यवस्था कर रखी है।
25 दिसंबर को ग्वालियर में आयोजित एक कार्यक्रम में तबला वादकों की प्रस्तुति से प्रसन्न होकर उन्होनें 25 दिसंबर को तबला दिवस के रूप में मनाने की ही घोषणा कर दी। इसके अलावा प्रदेश के सभी जिलों में एक्सेलेंस कॉलेज, राम मंदिर के लिए विशेष ट्रेन व बस सुविधा, हुकुमचंद मिल मजदूरों की लंबित राशि का भुगतान आदि घोषणाएं भी सीएम मोहन ने की।
अब बारी आती है ‘टीम मोहन यादव’ को खड़ा करने की। इसे आप मोहन मंत्रिमंडल का विस्तार भी कह सकते हैं। सीएम मोहन ने अनुभवी विधायकों से ज्यादा भरोसा नए विधायकों पर दिखाया। कुल 10 विधायक तो ऐसे थे, जो पहली बात मंत्री बनाए गए। शिवराज कैबिनेट में मंत्री रहे गोपाल भार्गव, ॐप्रकाश सखलेचा, उषा ठाकुर, अर्चना चिटनीस जैसे कई नाम नदारद रहे। देखा जाए तो एकदम नए सिरे से कैबिनेट का गठन किया गया।
गुना बस हादसे के बाद लिया एक्शन, एक साथ कई बड़े अधिकारी नापे:
28 दिसंबर को गुना में एक भयंकर हादसा हुआ। बस और डंपर की टक्कर हुई, जिसमें 13 लोग जिंदा जल गए और कई घायल हो गए। सीएम मोहन ने खुद अस्पताल पहुंचकर मरीजों का कुशलक्षेम जाना, मृतकों के परिवारों को 4-4 लाख रुपए का मुआवजा देने का ऐलान भी किया। अस्पताल जाकर मरीजों से मिलने और मुआवजा देना कोई नई बात नहीं है। लेकिन अगले दिन सीएम मोहन ने जो किया, उसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी। उन्होनें इस लापरवाही के लिए प्रमुख सचिव, प्रदेश परिवहन आयुक्त, गुना कलेक्टर, एसपी, नगर आयुक्त के साथ RTO को तत्काल प्रभाव से हटा दिया।
इसी तरह CM मोहन ने प्रदेश में बड़ी प्रशसनिक सर्जरी भी की। एक एक करके पूर्व सीएम शिवराज के कई करीबी अधिकारियों को हटा दिया। इनमें से मनीष रस्तोगी, मनीष सिंह, नीरज वशिष्ठ, तरुण राठी, विजय कुमार खत्री और संजय झा तो ऐसे अधिकारी हैं, जिनको हटाने के बाद अब तक नई नियुक्ति ही नहीं मिली।
शाजापुर कलेक्टर को हटाया, तो कांग्रेस नेता ने भी की तारीफ:
इन सभी फैसलों के साथ साल 2023 समाप्त होता है। 1 जनवरी 2024 को देशभर में ड्राइवरों ने हिट एण्ड रन कानून में हुए संशोधन को लेकर उग्र प्रदर्शन किया। उसी सिलसिले में शाजापुर जिले के कलेक्टर द्वारा एक बैठक ली गई, जिसमें ड्राइवरों व उनसे जुड़े संगठनों को बुलाकर उन्हें समझाने का प्रयास किया गया। मीटिंग के दौरान शाजापुर कलेक्टर किशोर कन्याल ने गुस्से में आकर एक ड्राइवर से कह दिया कि ‘तुम्हारी औकात क्या है? तुम क्या कर लोगे?’ इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ। खुद कन्याल को भी अहसास हुआ कि ऐसी भाषा का प्रयोग उन्हें नहीं करना चाहिए था। इसलिए उन्होनें अपनी भाषा पर खेद भी व्यक्त किया। लेकिन, सीएम मोहन ने अगले ही दिन उन्हें नाप दिया। उनकी जगह नरसिंहपुर कलेक्टर ऋजु बाफ़ना को मिली। सीएम ने कहा कि यह गरीबों की सरकार है, ऐसी भाषा किसी हालत में बर्दाश्त नहीं की जाएगी। इस फैसले की सराहना जनता और भाजपा नेताओं के साथ-साथ गंधवानी के विधायक और कांग्रेस की ओर से नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने तक की।
जबलपुर में लहराई तलवार, वीडियो हुआ वायरल:
3 जनवरी को मोहन यादव पहली कैबिनेट बैठक के लिए जबलपुर पहुंचे, जहां वे एक स्वागत मंच पर खड़े होकर तलवार लहराते दिखे। इस घटना के वीडियो को भी खूब देखा गया। आमतौर पर आप मुख्यमंत्री को तलवार लहराते नहीं देखते। लेकिन, मोहन यादव पिछले मुख्यमंत्रियों से थोड़े अलग हैं।
क्या सीएम योगी से प्रेरित हैं डॉ. मोहन यादव?
सीएम मोहन ने गृह मंत्रालय अपने पास रखा है। इसका मतलब ये कि भविष्य में वे किसी प्रकार की अव्यवस्था होते ही तुरंत एक्शन ले सकें। उन्हें कहीं न कहीं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से प्रेरित बताया जाता है। योग भी ढेरों धार्मिक घोषणाएं करते रहते हैं, हिन्दुत्ववादी नेता की छवि बनाकर रखते हैं और अधिकारियों के प्रति ज़ीरो टॉलरेंस की नीति अपनाते हैं। उन्हें यूपी के साथ देशभर में पसंद किया जाता है। यह संभव है कि राष्ट्रीय राजनीति के मद्देनजर भाजपा हिन्दी भाषी राज्यों में अपनी विचारधारा के प्रसार के लिए मुख्यमंत्रियों को फायरब्रांड फॉर्मूला अपनाने को कह रही है।
सीएम मोहन के आगे बढ़ते कर्ज़, विभागों में तालमेल, भाजपा के चुनावी घोषणा पत्र में लिखे वादों को पूरा करने जैसी कई चुनौतियाँ हैं। देखना यह होगा कि वे आने वाले 5 वर्षों में किस तरह सरकार चलाते हैं।