भारतीय चुनावों को लोकतंत्र का महापर्व यूं ही नहीं कहा जाता। 2024 के लोकसभा चुनाव में इसकी कई वजहें आए दिन सामने आ रही हैं, जिनमें से एक बेहद दिलचस्प वजह हैं, मध्यप्रदेश की जबलपुर लोकसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी दिनेश यादव, जो बड़े ही अनोखे अंदाज़ में चुनाव प्रचार करते नज़र आ रहे हैं। वे जबलपुर की गलियों में घूम-घूमकर जनता से वोट के साथ नोट भी मांग रहे हैं। क्या है पूरी कहानी, आइए जानते हैं….
चुनावों में नेताओं द्वारा जनता के वोट खरीदना या जनता को वोट के बदले पैसे देने की खबरें तो आप कई बार सुन चुके होंगे। अब कुछ नया सुनिए। मध्यप्रदेश के जबलपुर में इसका ठीक उल्टा ही हो रहा है। यहाँ के कांग्रेस प्रत्याशी दिनेश यादव अपने अंदाज़ के लिए चर्चा में बने हुए हैं। उनके चुनाव प्रचार के कई वीडियो वायरल हो रहे हैं, जिनमें वे लोगों से वोट के साथ नोट की मांग भी कर रहे हैं।
जी हाँ! वे लोगों से 10 रुपए से लेकर 100 रुपए तक का सहयोग मांग रहे हैं। उनका कहना है कि देशभर में कांग्रेस पार्टी के कई खातों को फ्रीज़ कर दिया गया है। ऐसे में प्रत्याशियों के पास चुनाव लड़ने के लिए पैसे नहीं है। उनका कहना है कि जनता ही किसी प्रत्याशी को समर्थन देकर उसे अपना नेता चुनती है। इसलिए यादव जनता से ही आर्थिक सहयोग की भी अपेक्षा कर रहे हैं।
एक और खास बात ये है कि जनता उन्हें पैसे दे भी रही है। कुछ लोग तो 100 रुपए से ज्यादा भी दे रहे हैं। लेकिन उनका कहना है कि मेरे लिए इतने ही पर्याप्त हैं। अब दिनेश यादव का यही तरीका उनकी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने भी अपना लिया है। बीते रविवार उनका भी एक वीडियो चर्चाओं का हिस्सा बना, जिंसमें वे भोपाल के बाज़ारों में दानपात्र लेकर घूम रहे हैं और लोगों से सहयोग मांग रहे हैं।
बहरहाल, जबलपुर से कांग्रेस के लोकसभा प्रत्याशी दिनेश यादव एक मध्यम वर्गीय व्यापारी हैं। वे लंबे समय से राजनीति में सक्रिय हैं, इसलिए उनकी छवि एक राजनेता की है। हालांकि, आर्थिक रूप से वे उतने सम्पन्न नहीं हैं। दिनेश यादव वर्तमान में जबलपुर जिला कांग्रेस अध्यक्ष हैं। उनके सामने बीजेपी के आशीष दुबे मैदान में है। जबलपुर लोकसभा सीट पिछले कई सालों से भाजपा का गढ़ रही है। यहाँ से वर्तमान में पीडब्ल्यूडी मंत्री राकेश सिंह कई बार के सांसद हैं। विधानसभा चुनाव में भी यहाँ भाजपा का ही दबदबा रहा है। चुनावों में कांग्रेस के हाथ केवल एक ही सीट आई थी। अब देखना ये होगा कि कांग्रेस इस सीट बरसों के सूखे को खत्म कर पाती है या नहीं?