पूरे देश में ट्रेनों को बेपटरी किए जाने की साजिशें चल रही है. रेलवे ट्रेक पर सिलेंडर, लोके का पाइप, सीमेंट की बोरी, सरिये आदि रख कर ट्रेनों को नुकसान पहुँचाने का षडयंत्र रचा जा रहा है. इनमें से कई ट्रेनें बेपटरी हो चुकी हैं तो कई समय रहते होने से बच गई. इनमें मालगाड़ी और यात्रीगाडी दोनों शामिल हैं. रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव स्वयं कह चुके हैं कि ट्रेक पर इस तरह की वस्तुओं को रखकर योजनाबद्ध षड्यंत्र के तहत ऐसे कार्य किए जा रहे है.
ऐसा ही एक मामला मध्यप्रदेश के बुरहानपुर से भी सामने आया. चौंकाने वाली बात यह है कि इस बार निशाना सेना की स्पेशल ट्रेन को बनाया गया था. यहाँ रेलवे ट्रेक पर 10 डेटोनेटर बिछाकर ट्रेन को नुकसान पहुंचाने की साजिश रची गई थी. दरअसल यह मामला 18 सितम्बर का है जब सेना की ट्रेन खंडवा से तिरुअनंतपुरम का रही थी. लेकिन जब ट्रेन बुरहानपुर के नेपानगर और सागफाटा के बीच थी तो यहाँ ट्रेक पर रखे डेटोनेटर में से एक फट गया. इसका पता चलते ही खलबली मच गई और ट्रेन को सागफाटा स्टेशन पर रोक दिया गया.
इस घटना पर एनआईए, सेना, सीआरपीएफ, एटीएस आदि जांच एजेंसियां घटना की छानबीन में जुट गई है. बताया जा रहा है कि एजेंसियों ने एक ट्रैकमेन और चाबीदार से पूछताछ के लिए उन्हें हिरासत में लेने का रेलवे से अनुरोध किया है. एजेंसियां डॉग स्क्वाड का भी उपयोग ले रही है.
बताया जा रहा है कि सागफाटा स्टेशन के कण्ट्रोल रूम में नेपानगर ट्रेक पर डेटोनेटर मिलने की सूचना मिली थी जिसके बाद आधे घंटे तक ट्रेन को वहीँ रोका गया. ट्रेक पर 10 डेटोनेटर रखे थे जिनके बीच 1 मीटर तक दूरी थी. मालूम पड़ा है कि यह डेटोनेटर रेलवे के ही प्रयोग में लिए जाते हैं. यह डेटोनेटर 2014 के बताए जा रहे हैं व इनकी वैधता 5 वर्ष की ही होती है और 6वे साल में परिक्षण होता है.
रेलवे अधिकारी का कहना है कि यह डेटोनेटर रेलवे के ही प्रयोग में लाए जाते हैं व् इन्हें पटाखा कहा जाता है. उन्होंने बताया कि जब आगे अवरोधक या धुंध होती है तो इनका प्रयोग किया जाता है. इसकी आवाज बहुत तेज होती है जिससे पायलट को रुकने का सिग्नल मिल जाता है. लेकिन आखिर बिना किसी को बताए और बिना किसी कारण के ट्रेक पर डेटोनेटर क्यों बिछाए, यह सवाल इस घटना को एक साजिश के रूप में दर्शा रहा है.
गौरतलब है कि इस घटना को रेलवे ने भी गंभीरता से लिया है और वे जांच एजेंसियों का सहयोग कर रही है. बता दें कि इस ट्रेन में सेना के कई बड़े अफसर और कई हथियार भी ले जाए जा रहे थे.