एएसआई की टीम धार स्थित भोजशाला में 96 दिन का सर्वे पूरा कर चुकी है। टीम 2 जुलाई को अपनी विस्तृत रिपोर्ट कोर्ट में पेश करेगी तथा 4 जुलाई को कोर्ट में मामले पर सुनवाई होगी। जानकारी के मुताबिक, अब तक लगभग 1700 अवशेष मिल चुके हैं। इन अवशेषों में शंख, कीर्तिमुख, देवी-देवताओं की मूर्तियाँ, शिलालेख, स्तंभों के टुकड़े, तलवार, दीवारों के अवशेष आदि शामिल हैं।
विशेषज्ञ इस बात को मान चुके हैं कि भोजशाला परमारकालीन है। यानि कि इसका निर्माण 9वी से 11वी शताब्दी के बीच हुआ है। वहीं कुछ दिनों पहले एक 27 फीट ऊंची दीवार भी मिली है, जो ईंटों की बनी हुई है। पुरातत्वविदों का कहना है कि ऐसी दीवारें 9वी शताब्दी से भी शताब्दियों पहले बनाईं जाती थीं। इसका मतलब भोजशाला मोहनजोदड़ों सभ्यता के समय की भी हो सकती है।
बहुतायत में मिले सनातनी अवशेषों के अलावा भोजशाला की खुदाई में मुस्लिम व जैन धर्म से जुड़े कुछ अवशेष भी मिले हैं। कमाल मौलाना मस्जिद के भीतर तो एक दीवार पर गोमुख की आकृति, अंदर की ओर कुरान की आयतें, वहीं पास में जैन धर्म से जुड़ी मूर्तियाँ व शिलालेख भी मिले हैं। इसके अलावा परिसर की कुछ दीवारों पर भित्ति चित्र भी मिले हैं। इन चित्रों में योद्धा युद्ध लड़ते व युद्ध की तैयारी करते दिखाई दे रहे हैं। ऐसे भित्ति चित्र मोहनजोदड़ों सभ्यता के समय भी बनाए जाते थे।
एएसआई से जुड़े एक अधिकारी का कहना है कि 95 दिनों की खुदाई में हिंदू देवी देवताओं की मूर्तियाँ, शिलालेख, कुरान की आयतें, जैन धर्म के अवशेष आदि मिले हैं। अब तक के सर्वे के हिसाब से तो यही कहा जा सकता है कि ये एक परमार कालीन मंदिर है।
अब आपको संक्षेप में बताते हैं कि भोजशाला में किस जगह पर कौन से जरूरी अवशेष मिले हैं, जो कोर्ट में इस परिसर की धार्मिक स्थिति साबित करने में महत्वपूर्ण साबित होने वाले हैं:
– गर्भगृह के पीछे वाले हिस्से की खुदाई में लगभग 27 फीट ऊंची दीवार मिली है।
– सीढ़ियों के नीचे स्थित बंद कमरे में माँ वाग्देवी, हनुमान जी, गणेश जी समेत 79 अवशेष मिले हैं।
– परिसर के उत्तर पूर्वी कोने और दरगाह के पश्चिमी हिस्से में काले पत्थर से बनी वासुकी नाग और भगवान शिव की मूर्ति मिली है।
– उत्तर दक्षिणी कोने में प्राचीन तलवार, स्तंभ और दीवारों के करीब 150 अवशेष मिले हैं।
– भोजशाला द्वार के पास सनातनी आकृति वाले पत्थर मिले हैं।
– दरगाह के अंदर भी अंडरग्राउंड अक्कल कुइयां (कुआं) पाया गया है।
– भोजशाला के खंभों के केमिकल ट्रीटमेंट के बाद सीता-राम व ओम नमः शिवाय की आकृतियाँ दिखाई दी हैं।
सर्वे अपने आखिरी चरण पर है। आज से करीब 10 दिन बाद हाई कोर्ट में इस मामले पर सुनवाई होनी है। एएसआई की टीम अब भी परिसर की खुदाई कर रही है। वहीं सर्वे की रिपोर्ट तैयार करने में भी लगी हुई है। 4 जुलाई को कोर्ट में होने वाली सुनवाई पर सबकी नज़र रहने वाली है।