देश में 5 राज्यों में इस समय चुनावी माहौल है। मध्यप्रदेश में 17 नवंबर को मतदान हो चुका है। 3 दिसंबर को नतीजे भी आ जाएंगे। 230 विधानसभा सीटों के उम्मीदवारों की तकदीर का फैसला तो EVM मशीन मे बंद हैं, लेकिन पार्टियों ने अभी से ही अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स पर अपनी जीत का दावा करना शुरू कर दिया है। इसी बीच राजस्थान के फलोदी सट्टा बाजार के आंकड़ों ने प्रदेशभर में खलबली मचा दी है। यह देश का सबसे बड़ा सट्टा बाजार माना जाता है। फलोदी (Phalodi) के सटोरियों ने मध्यप्रदेश को लेकर जो आँकड़े दिए हैं, उनसे भाजपा और कांग्रेस दोनों पार्टियों के नेताओं के चहरों के हाव-भाव बदल सकते हैं। हैरत की बात तो ये है कि इस बेटिंग मार्केट द्वारा पिछले कई चुनावों के लिए की गई भविष्यवाणी सही साबित हुई है।
यूँ तो फलोदी राजस्थान का छोटा-सा जिला है। लेकिन, यहाँ के सट्टा बाजार की चर्चा पूरे भारत मे होती है। खबरों की मानें तो फलोदी सट्टा बाजार में पिछले 500 वर्षों से सट्टा लगाया जा रहा है। यहाँ बारिश, धान-सोयाबीन की फसल, क्रिकेट, चुनाव आदि छोटे-बड़े सभी विषयों पर सट्टा लगाया जाता है। चुनावों पर जाएं तो यहाँ केवल मध्यप्रदेश या भारत नहीं, बल्कि अमेरिका और ब्रिटेन के चुनावों पर भी सट्टा लगता है।
इन दिनों फलोदी के सट्टा बाजार की चर्चा का सबसे बड़ा कारण है – 5 राज्यों के विधानसभा चुनाव। फलोदी सट्टा बाजार के अनुसार राजस्थान मे भाजपा, तो छत्तीसगढ़ मे कांग्रेस को बढ़त मिलती दिखाई दे रही है। वहीं मध्यप्रदेश में बढ़त तो कांग्रेस को है, लेकिन दोनों पार्टियों मे जीत का अंतर केवल 4 सीटों का होगा। इसके अलावा शिवराज सरकार के कई मंत्रियों को हार का मुंह देखना पड़ सकता है। हालांकि, मतदान के पूर्व भाजपा आगे थी। लेकिन, अब भाजपा की सरकार मे वापसी का भाव 1रुपए और कांग्रेस की जीत का भाव 1.25 पैसे चल रहा है। फलोदी सट्टा बाजार के हिसाब से भाजपा को 105-107 और कांग्रेस को 115-119 सीटें मिलती दिखाई दे रही हैं।
फलोदी सट्टा बाजार मे सुबह से रात तक करोड़ों का सट्टा लगाया जाता है। यहाँ बड़े सटोरिये तो 20 से 25 ही हैं, लेकिन सैंकड़ों छोटे दलाल और सटोरिये भी हैं, जो गाँव की गलियों से लेकर अमेरिका की संसद तक में होने वाले छोटे-बड़े मुद्दों पर पैसा लगाते हैं। सट्टा बाजार के अलावा यहाँ की चौपालों और नुक्कड़ों पर भी सट्टा लगता है, जिसमें बच्चों से बड़ों तक सभी शामिल होते हैं।
माना जाता है कि यहाँ गुजरात, उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश के साथ-साथ दक्षिण के राज्यों के सटोरिये भी पैसे लगाते हैं। पुराने रिकॉर्ड्स की बात की जाए तो इसी साल कर्नाटक के चुनावों को लेकर फलोदी सट्टा बाजार ने भाजपा को 55 और कांग्रेस को 137 सीटें दी थी। कुछ ऐसा ही हुआ। भाजपा को 66 सीटें मिली और कांग्रेस को 136। इसी के साथ गुजरात मे भाजपा की वापसी और हिमाचल मे कांग्रेस की जीत की खबर की फलोदी सट्टा बाजार ने पहले ही दे दी थी। यहाँ के सटोरिये अपने अनुमान को लेकर इतने आश्वस्त रहते हैं कि पूछिए मत।
लेकिन, इसका कारण क्या है और फलोदी के सटोरिये इतनी सटीक भविष्यवाणी कैसे लेते हैं? इसका जवाब है उनकी तगड़ी रिसर्च और देशभर में फैला हुआ नेटवर्क। फलोदी सट्टा मार्केट मे सट्टा लगाने वाले किसी चुनाव के नतीजों पर पैसे लगाने से पहले उस प्रदेश की हर सीट का विश्लेषण करते हैं। सैंकड़ों अखबारों-पत्रिकाओं और मीडिया रेपोर्ट्स को खंगालते हैं। किस क्षेत्र मे किस पार्टी का दबदबा है, मतदान किस आधार पर किया जा रहा है, किस प्रत्याशी की लोकप्रियता ज्यादा है आदि सभी सवालों के जवाब ढूँढे जाते हैं। प्रमुख सीटों के ग्राउन्ड जीरों पर मौजूद सटोरियों के सहायक आम लोगों का भी मूड जानते हैं। इन सभी के आधार पर तय किया जाता है कि किसका माहौल है। कई बार फलोदी के सटोरियों की देखा-देखि कर देश के अन्य शहरों के सटोरिये भी पैसे लगाते हैं। क्योंकी, उन्हें मालूम है कि फलोदी सट्टा बाजार की शेयर बाजार के साथ-साथ देश और प्रदेश के बड़े सरकारी मंत्रालयों में भी दखल है, जिसके चलते उन्हें फायदा ही होगा।
भारत मे सट्टा गैर-कानूनी है। लेकिन, फलोदी सट्टा बाजार की धाक इतनी है कि आए दिन छापेमारी के बाद भी यहाँ का धंधा मंदा नहीं होता। अब देखना ये होगा कि फलोदी सट्टा बाजार ने मध्यप्रदेश को लेकर जो अनुमान लगाए हैं, वो कितने सटीक बैठते हैं।