ज्ञानवापी मामले में 90 दिनों से ज्यादा तक चले वैज्ञानिक सर्वे की रिपोर्ट ASI ने सोमवार को वाराणसी डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में पेश की है। बताया जा रहा है कि करीब 1500 पन्नों की यह रिपोर्ट ASI के अधिकारियों ने एक सीलबंद लिफ़ाफ़े में रखकर जज के सामने पेश की है। इसके बाद से ही सोशल मीडिया पर हर ओर यही चर्चाएं चल रहीं हैं कि आख़िर इस 1500 पन्नों की रिपोर्ट में ऐसा क्या है?
गौरतलब है कि इस रिपोर्ट में इमारत के धार्मिक इतिहास से जुड़े साक्ष्य, कार्बन डेटिंग, जीपीआर समेत सभी वैज्ञानिक प्रयोगों की विस्तृत रिपोर्ट है। हिंदू पक्ष के अधिवक्ता विष्णु साहंकार जैन ने आरोप लगाया है कि ASI द्वारा सीलबंद लिफ़ाफ़े में रिपोर्ट दायर करना सुप्रीम कोर्ट के फैसले का उल्लंघन है। उनका मानना है कि ASI की रिपोर्ट में इस बात की पुष्टि के सभी दस्तावेज़ हैं कि इमारत मंदिर ही है। फिर ऐसा क्या है जो ASI इसे छुपाना चाह रही है?
वहीं मुस्लिम पक्ष की ओर से अंजुमन इंतजमिया मस्जिद के अधिवक्ताओं ने आवेदन दायर कर रिपोर्ट को मीडिया में प्रकाशित होने से रोकने की मांग की है। इस बात से यह साफ ज़ाहिर है कि मुस्लिम पक्ष ये नहीं चाहता कि ASI की रिपोर्ट मीडिया मे प्रकाशित हो।
इस पूरे मामले पर ASI का कहना है कि हमने हर बात की अच्छे से जांच कर अपनी रिपोर्ट कोर्ट के समक्ष पेश की है। बहरहाल, कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुना है। सभी सबूतों, गवाहों और इस रिपोर्ट के आधार पर कोर्ट 21 दिसंबर को अपना फैसला सुनाकर नया आदेश देगी।