Indore High Court का ऐतिहासिक फैसला! Gyanvapi की तर्ज पर Dhar की Bhojshala का वैज्ञानिक सर्वे करेगा ASI, परिसर की खुदाई और Videography समेत 6 हफ्तों के भीतर सौंपेगा रिपोर्ट

11 मार्च, सोमवार को मध्यप्रदेश हाई कोर्ट की इंदौर बेंच द्वारा एक ऐतिहासिक निर्णय जारी किया जाता है, जिसे धार और मालवा-निमाड़ समेत देशभर के हिंदुओं के स्वाभिमान के प्रतीक और माँ वाग्देवी के भक्तों के बरसों के इंतज़ार के फलस्वरूप देखा जाता है। यह निर्णय धार की भोजशाला से संबंध रखता है। दरअसल, हाई कोर्ट ने ज्ञानवापी की तर्ज पर पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (ASI) को धार स्थित कमाल मौलाना मस्जिद समेत संपूर्ण भोजशाला परिसर के वैज्ञानिक सर्वे के आदेश जारी कर दिए हैं। कोर्ट ने ASI से 6 हफ्तों के भीतर इस सर्वे की रिपोर्ट मांगी है। इस फैसले से हिंदू समाज के लोगों में उत्साह की लहर है। यह फैसला क्या है, ASI किस तरह से सर्वे करेगा और इस मामले में आगे क्या होगा, आइए जानते हैं इस खास रिपोर्ट में… 

धार भोजशाला मामले में हाई कोर्ट में दायर याचिकाओं पर 19 फरवरी को सुनवाई होने के बाद हाई कोर्ट की इंदौर बेंच ने निर्णय सुरक्षित कर लिया था, जिसे सोमवार को जारी किया गया। कोर्ट ने हिंदू पक्ष की याचिका को स्वीकार करते हुए पूरे परिसर के वैज्ञानिक सर्वे कराए जाने की मांग को स्वीकृति दी। हाई कोर्ट ने अपने निर्णय में कहा कि कमाल मौलाना मस्जिद और भोजशाला का सर्वे नई वैज्ञानिक पद्धति से किया जाएगा, जिसमें आधुनिक उपकरणों का इस्तेमाल किया जाएगा। ⁠उत्खनन और सर्वे  GPS GPR तकनीक के साथ कार्बन डेटिंग तकनीक से होगा, ⁠भोजशाला परिसर की बाउंड्रीवाल से 50 मीटर की दूरी तक सर्वे किया जावेगा, यह सर्वे ASI के वरिष्ठ अधिकारियों की कमेटी की निगरानी में होगा , ⁠उत्खनन एवं सर्वे की वीडियोग्राफी कराई जावेगी, परिसर के सभी बंद पड़े कमरों, खुले परिसर तथा सभी खंभों का विस्तार से सर्वे होगा।

हिंदू फ्रन्ट फॉर जस्टिस की ओर से हिंदू पक्ष की बात रखने के लिए अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन उपस्थित हुए। आपको बता दें कि विष्णु शंकर जैन ने ही ज्ञानवापी का केस लड़ा था। उन्होंने कहा कि 1902-03 में ASI द्वारा किए गए सर्वे में भोजशाला की जानकारी है, जिसके अनुसार परिसर में कमल का फूल, शंख, कीर्तिमुख व संस्कृत के कई श्लोक पाए गए थे। हम चाहते हैं कि इसकी वैज्ञानिक ढंग से खुदाई और जांच हो, जिससे परिसर की धार्मिक स्थिति साफ़ हो सके। हम कोई स्वामित्व, टाइटल या कब्जा नहीं मांग रहे हैं। 1958 के प्लेसेस ऑफ वर्शिप ऐक्ट के तहत हमारी यह मांग है कि हमें पूजा का अधिकार मिले। जैन के साथ अधिवक्ता विनय जोशी भी उपस्थित थे।

सोमवार को हाई कोर्ट द्वारा निर्णय जारी किए जाने के बाद विष्णु शंकर जैन के कहा कि मैं हाई कोर्ट के इस आदेश का स्वागत करता हूँ। भोजशाला के धार्मिक स्वरूप को तय करने के लिहाज़ से यह फैसला एक मील का पत्थर है। 

इस निर्णय के बाद समूचे हिंदू समाज में उत्साह, प्रसन्नता और संतोष की लहर है। इंदौर में राजबाड़ा पर हिन्दूजागरण मंच ने भोजशाला को लेकर खूब जश्न मनाया, जयघोष भी किए और जमकर आतिशबाजी भी हुई। इंदौर के महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने इस निर्णय का स्वागत किया और अपने ट्विटर अकाउंट पर वीडियो जारी करते हुए कहा कि भोजशाला में माँ वाग्देवी की प्रतिमा स्थापित हो और हिंदू अपनी आस्था के साथ उसमें पूजा करे, इसको लेकर बड़े समय से जो संघर्ष चल रहा था, उस संघर्ष पर इंदौर हाई कोर्ट का यह फैसला बड़ा सुखद है। हमें विश्वास है कि इस सर्वे में जो सच है वह सामने आएगा।

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