गुरुवार को इंदौर ने सातवीं बार स्वच्छतम शहर का खिताब जीता। दिल्ली स्थित भारत मंडपम में राष्ट्रपति मोहदया ने इंदौर और सूरत को संयुक्त रूप से भारत के सबसे स्वच्छ शहर का खिताब सौंपा। इसके अलावा महू को सबसे स्वच्छ छावनी का पुरस्कार प्राप्त हुआ। लेकिन, क्या लगातार सातवीं बार खिताब अपने नाम करना आसान था, कैसे इंदौर ने यह कीर्तिमान रचा? आइए जानते हैं……
सबसे स्वच्छ शहर का खिताब मिलने के कुछ महीनों पूर्व स्वच्छ सर्वेक्षण की टीम इंदौर पहुंची थी। टीम के सर्वे के बाद ही महापौर पुष्यमित्र भार्गव इस बात को लेकर आश्वस्त हो गए थे कि इंदौर 7वी बार भी नंबर 1 आएगा। खास बात ये रही कि इंदौर में हर जगह-हर स्तर पर प्रयास हुए, नवाचार हुए, जिसका फायदा शहर को मिला। पुलिस, प्रशासन, जनप्रतिनिधियों, सामाजिक व धार्मिक संस्थाओं, सफाईकर्मियों समेत आमजन ने भी अपनी भागीदारी मजबूती से निभाई।
टीम ने शहर की सबसे चर्चित फूड स्ट्रीट्स 56 दुकान और सराफा को खाद्य सुरक्षा के मानकों पर खरा पाया। वायु गुणवत्ता में शहर को पहली रैंकिंग मिली। खजराना गणेश मंदिर को खाद्य सुरक्षा के लिए प्रमाण पत्र मिला। इंदौर एयरपोर्ट को एयरपोर्ट की श्रेणी में प्रथम स्थान मिला। नेहरू पार्क में बरसों बाद टोय ट्रेन चली। चिड़िया घर में वन्य प्राणियों की संख्या बढ़ी। बैकलेन का कायाकल्प कर उसे खेल मैदान में परिवर्तित किया गया, जिसे देशभर में वाहवाही मिली। सड़कों पर हजारों स्ट्रीट लाइट्स लगाई गईं, डिवाइडरों पर पेड़ लगाए गए। इंदौर के जनप्रतिनिधियों द्वारा हर प्रयास को सोशल मीडिया पर साझा किया गया, जिससे भारी मात्रा में सोशल मीडिया इंफ्लुएंकर्स मुहिम से जुड़े।
इन प्रयासों के अलावा कई संस्थाओं ने भी मुहिम को सहयोग प्रदान किया। आईआईएम, आईआईटी, देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, एसजीएसआईटीएस, 56 दुकान आदि ने अपने अपने स्तर पर प्रयास किए। किसी ने पेड़ उगाए, किसी ने डस्ट्बिन वितरण किया, कहीं विद्यार्थियों द्वारा स्वच्छता अभियान चलाया गया, किसी ने शहर को प्लास्टिक मुक्त बानाने के लिए कपड़े के थैलों का वितरण किया।
इस जीत में कई तरह के नवाचारों (Innovations) ने भी बड़ी भूमिका निभाई, जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं –
– विश्राम बाग में 21 टन लोहे को पिघलाकर राम मंदिर की भव्य प्रतिकृति बनाई गई।
– मैं झोलाधारी अभियान चलाया गया, जिसके तहत लोगों को पॉलिथीन की जगह कपड़े से बने थैले का उपयोग करने के लिए प्रेरित किया गया।
– सैंकड़ों थ्री आर ज़ोन (रीयूज, रीड्यूस, रीकाइक्ल) खोले गए, जिनके चलते लोग कचरे के प्रबंधन को लेकर जागरूक हुए।
– इंदौर ई-बजट पेश करने वाला पहला नगर निगम बना, जिससे भारी मात्रा में कागज खर्च होने से बचे।
– नगर निगम की वर्कशॉप आयोजित हुई, जहां 85 प्रतिशत से भी कम लागत में स्क्रैप का उपयोग कर कई मशीनें बनाई गईं, जिससे स्वच्छता के इंफ्रास्ट्रक्चर में बढ़ोत्तरी हुई।
– महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने इंटर्नशिप विद मेयर शुरू की, जिससे सीमित अवधि के लिए युवाओं को प्रशासन के विभिन्न क्षेत्रों में काम करने और सीखने का मौका मिला, यह अपने आप मे नई पहल थी, जिसे देशभर में सराहा गया।
वो फैसले, जिनके चलते 7वी बार भी नंबर 1 हैं हम:
– गीले व सूखे कचरे का अलग-अलग रखाव
– कचरे से बायो सीएनजी फ्यूल बनाना, जिससे बसें चलाई गईं।
– 15 लाख टन कचरे के पहाड़ को खत्म किया गया।
– थ्री आर मॉडल (रीयूज, रीड्यूस, रीकाइक्ल) अपनाया।
– 5 स्टार व डबल ओडीएफ रेटिंग मिली।
– वाटर प्लस सिटी का खिताब जीता।
– 10 सीवरेज ट्रीट्मेंट प्लांट शुरू हुए।
– सिंगल यूज प्लास्टिक पर रोक।
– बायो सीएनजी प्लांट की शुरुआत।
– कार्बन क्रेडिट से लाखों की कमाई हुई।