पान की टपरियों, गलियों-नुक्कड़ों से लेकर शेयर मार्केट और कॉर्पोरेट ऑफिसों तक भले ही चुनावों के नतीजों को लेकर ढ़ेरों चर्चाएं क्यों न हो जाएं। लेकिन असली परिणाम तो मतगणना (Vote Counting) के बाद ही सामने आते हैं। चुनाव लोकसभा के हों या विधानसभा के, मतगणना के दिन हर कोई TV के सामने बैठ न्यूज़-चैनलों पर लगातार आ रही अपडेट्स को देखता रहता है। इस बीच कभी-कभी ये सोचने में भी आ जाता है कि आखिर वोटों की गिनती होती कैसे है? भारी पुलिस बल की तैनाती के बीच उन चाक-चौबंद कमरों में ये कार्य किया कैसे जाता है?
पोलिंग बूथों पर जाकर वोट डालने में सक्षम वोटर, इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) द्वारा वोट डालते हैं। लेकिन सैनिकों और विभिन्न देशों के भारतीय दूतावासों (Indian Embassy) में कार्यरत अधिकारियों को मतदान के लिए विशेष सुविधा दी जाती है, जिसे इलेक्ट्रॉनिकली ट्रांसमिटेड पोस्टल बैलट (ETPB) और पोस्टल बैलट (PB) सिस्टम कहा जाता है। मतगणना की शुरुआत इन्हीं वोटों को गिनने के साथ की जाती है। इसके आधे घंटे बाद EVM में डाले गए वोटों की गणना शुरू की जाती है। 14 EVM मशीनों में डाले गए वोटों की गिनती हो जाने पर एक काउंटिंग पूरी मानी जाती है, जिसके बाद तुरंत उस राउंड के रिजल्ट जारी किए जाते हैं। काउंट किए गए वोट कंट्रोल यूनिट में सेव होते जाते हैं, जिससे आखिर में जाकर विजेता की घोषणा की जा सके।
मतदान क्षेत्र में वोटिंग और वोटों की काउंटिंग कराने की जिम्मेदारी रिटर्निंग ऑफिसर (RO) की होती है। इन अधिकारियों को चुनाव आयोग राज्य सरकार की सलाह पर चयनित करता है। वोट काउंटिंग की पूरी प्रक्रिया RO की निगरानी में ही की जाती है। मतदान और मतगणना की तारीख का फैसला चुनाव आयोग करता है। लेकिन मतगणना कहाँ होनी है? इसका फैसला RO द्वारा लिया जाता है, जिसमें प्राथमिकता RO हेडक्वार्टर को दी जाती है। वरना कोई अन्य स्थान का चयन कर एक ही हॉल में काउंटिंग की जाती है।
मतदान के बाद जिस सुरक्षित स्थान पर EVM मशीनों को रखा जाता है, उसे स्ट्रॉन्ग रूम कहा जाता है। स्ट्रॉन्ग रूम में हाई-टेक CCTV कैमरे, डबल लॉकिंग सिस्टम की उपलब्धता के साथ कई सुरक्षा कर्मियों की तैनाती भी जाती है, ताकि कोई अनधिकृत व्यक्ति इनसे छेड़छाड़ न कर सके। मतगणना वाले दिन इन मशीनों को स्ट्रॉन्ग रूम से बाहर लाया जाता है। पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए उम्मीदवार या उनके प्रतिनिधियों की उपस्थिति में मशीनें खोली जाती हैं। इसके बाद रिटर्निंग ऑफिसर्स द्वारा नियुक्त किए गए काउंटिंग सुपरवाइजर्स इनकी गिनती करते हैं। इस दौरान उम्मीदवार अपने प्रतिनिधियों के साथ स्वयं हाल में मौजूद होते हैं।
इस बीच अगर मतगणना में कोई गड़बड़ी सामने आती है, तो चुनाव आयोग तुरंत मतगणना रद्द कर पुनः चुनाव करवाने के आदेश देता है। सभी EVM मशीनों की गिनती के बाद और कोई गड़बड़ी न पाई जाने पर RO स्वयं नतीजों की घोषणा कर देता है। बहरहाल, मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव 2023 की मतगणना 3 दिसंबर, रविवार को की जाएगी।