शुक्रवार को मौसम विभाग की भविष्यवाणी सत्य साबित हुई और इंदौर सहित आसपास के क्षेत्रों में जमकर पानी बरसा. इंदौर में सुबह से ही बरस रहा पानी शाम तक 6 इंच के आंकड़े तक छू गया. लेकिन इस पानी ने इंदौर की व्यवस्थाओं पर कई सवाल भी उठा दिए है. क्योंकि इस अतिवर्षा ने इंदौर की स्मार्ट सिटी की छवि पर पानी फेरा नहीं बल्कि उसे पानी में डुबो भी दिया.
इस वर्ष भी BRTS पर भर गया पानी
BRTS इंदौर का ऐसा अंग बन गया है जिसके बिना इंदौर के कई लोगों का जीवन ठप पड़ सकता है. इस रूट पर प्रतिदिन लाखों लोग सफ़र करते हैं जिसमें विशेषकर युवा, ऑफिस कर्मचारी और स्टूडेंट्स हैं. लेकिन हर साल की तरफ इस बार भी मानसून में इस सड़क पर जलजमाव हो गया. हर साल इस रूट के ड्रेनेज सिस्टम पर सवाल उठते हैं क्योंकि यहाँ पानी की निकासी का कार्य ठीक से नहीं हुआ है जिसके कारण सड़कें बारिश में तालाब बन जाती है. शुक्रवार को हुई अतिवर्षा में पुनः इस पर पानी भर गया लेकिन इस बार स्तर अधिक था. जब कुछ घंटों में 6 इंच पानी बरसा हो तो कल्पना कर सकते हैं कि BRTS पर कितना पानी जमा हुआ होगा. वैसे सोशल मीडिया पर यहाँ के वीडियो वायरल हो चुके हैं.
ट्राफिक जाम और वसूली से परेशान हुआ शहर
इस बरसते पानी में शहर की यातायात व्यवस्था चौपट हो चुकी थी. विजयनगर चौराहे पर तो गाड़ियाँ इस प्रकार गुत्थम-गुत्था हो गई थी कि जाम खुलने में करीब 2 घंटे लगे. शहर के सुपर कॉरिडोर और AB रोड़ के साथ-साथ कई मुख्य चौराहों पर ऐसी स्थितियां बनी रही. लेकिन ट्राफिक पुलिस हमेशा की तरह work from home की तरह ही बैठकर काम करती रही. इन परिस्थितियों में जब यातायात पुलिस की अधिक आवश्यकता थी तब भी वे मौजूद नहीं थी. ऐसा भी बताया जा रहा है कि इस बारिश का फायदा कई ऑटो वालों ने ‘आपदा के अवसर’ के रूप में भी उठाया. कई लोगों का कहना है कि इस भयंकर पड़ते पानी में ऑटो वालों ने 4-5 किलोमीटर के रेट 400-500 तक बताए. जिसके कारण शहरवासियों में नाराजी भी देखने को मिली.
निगम की टीम फील्ड में कर रही थी जलजमाव जमाव रोकने की कोशिश
महापौर पुष्यमित्र भार्गव और आयुक्त शिवम् वर्मा के निर्देश के बाद निगम के सभी जोन कार्यालय की टीम फील्ड पर काम कर रही थी, जहाँ कहीं भी जलजमाव हो रहा था टीम वहां निकासी के लिए भीगते हुए काम कर रही थी. लेकिन इसके बावजूद शहर में पानी भर गया.
दरअसल इंदौर में स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत कई कार्य चल रहे हैं जिसके कारण कई अतिक्रमण तोड़े गए हैं और सड़के खुदी हुई है. इस वजह से कई स्थानों पर नालियाँ और ड्रेनेज सिस्टम भी अस्त-व्यस्त हो गए हैं. शहर में विशेषकर निचली बस्तियों में पानी भरने की समस्या का समाधान आज भी नहीं हुआ है जबकि शहर को स्मार्ट सिटी कहा जा रहा है.
यह बारिश इंदौर के लिए एक रियलिटी चैक जैसी रही. जहाँ कुछ ठप पड़ती व्यवस्थाएं देखी गई तो कुछ सकारात्मक भी देखने को मिला. जहाँ इंदौर शहर में ट्राफिक और ड्रेनेज व्यवस्था पूरी तरफ चौपट होती दिखी तो सकारात्मक पहलू भी यह दिखा कि इतनी बारिश के बाद भी शहर में बत्तीगुल नहीं हुई और शहर अँधेरे के साए में नहीं रहा. इन सभी बातों से पता चलता है कि भले ही इंदौर पन्नों पर स्मार्ट सिटी कहलाए लेकिन धरातल पर शहर स्मार्ट सिटी नहीं बना है और इसे बनने के लिए कई और वर्ष लगेंगे. शहर में कंपनियों के investment आ रहे हैं, शहर एजुकेशन हब बन चुका है, जिसके कारण बढती आबादी के दबाव से व्यवस्थाएं हांफती नजर आती है. ऐसे में यह विषय सोचना आवश्यक हो गया है कि आज की तैयारी और विकास की राह को देखते हुए क्या वाकई आने वाले कुछ वर्षों के बाद इंदौर सिटी स्मार्ट शहर बन पाएगी!!
- अथर्व पंवार