शनिवार शाम भाजपा ने आगामी लोकसभा चुनावों के लिए 195 उम्मीदवारों की अपनी पहली सूचि जारी की, जिसमें मध्यप्रदेश के 24 नाम शामिल थे। बची हुई 5 सीटों को फिलहाल होल्ड पर रखा गया है, इसमें से एक सीट इंदौर भी है। इस सीट पर वर्तमान में भाजपा के शंकर ललवानी सांसद हैं। लेकिन, अब मध्यप्रदेश के सियासी गलियारों में इस बात की हलचल हो रही हैं कि इस बार ललवानी का टिकट काटकर किसी और को दिया जा सकता है।
इंदौर सीट विगत 35 वर्षों से भाजपा के पास है। इसलिए भाजपा इस सीट पर प्रयोग करती रहती है। खबरें ये भी हैं कि 33 प्रतिशत महिला आरक्षण के अपने फैसले पर टिके रहते हुए भाजपा किसी महिला उम्मीदवार को टिकट दे सकती है। ऐसे में डॉ. दिव्या गुप्ता और कविता पटीदार प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं। ये भी संभव है कि पार्टी किसी बिल्कुल ही नए अथवा युवा चेहरे को मैदान में उतारे।
कुछ दिनों पूर्व प्रदेश भाजपा संगठन ने प्रत्येक सीट पर 3-4 उम्मीदवारों का पैनल बनाकर दिल्ली भेज था। इंदौर सीट के पैनल में सांसद शंकर लालवानी के अलावा कैलाश विजयवर्गीय, पुष्यमित्र भार्गव, रमेश मेंदोला, गौरव रणदिवे जैसे नेताओं के नाम थे। इसके अलावा भी पार्टी कुछ नामों पर विचार कर सकती है। जैसे – भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष जीतू जिराती, पूर्व एमपी युवा आयोग अध्यक्ष और मालवा-निमाड़ की विधानसभा सीटों पर भाजपा की जीत के सूत्रधार माने जाने वाले डॉ. निशांत खरे।
अगर लालवानी का टिकट कटता है तो इसके पीछे कुछ संभावित वजहें हो सकती हैं। राजनीतिक विश्लेषक बताते हैं कि लालवानी शुरुआत से ही शिवराज गुट का हिस्सा रहे हैं। किंतु, अब प्रदेश का राजनैतिक परिदृश्य बदल चुका है। ऐसे में लालवानी को इस बात का खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। आपको बता दें कि भाजपा की ओर से पहली बार साल 1989 में सुमित्रा महाजन ने लोकसभा चुनाव जीता था। लगातार 8 बार चुनाव जीतकर वे लोकसभा स्पीकर के पद तक गई थीं। इसके बाद 2019 में पार्टी ने शंकर ललवानी को मौका दिया।
ये बात तो तय है कि इस बार इंदौर से किसी दूसरे चेहरे को टिकट दिया जाएगा। अगर लालवानी ही होते, तो उनके नाम की घोषणा आज ही कर दी जाती। अब देखना ये होगा कि किन राजनैतिक समीकरणों को ध्यान में रखकर भाजपा इंदौर से सांसद पद के उम्मीदवार का चयन करती है।