विवादों में घिरे मध्यप्रदेश के धार जिले में भोजशाला पर हिंदू समुदाय के साथ तीसरी पार्टी के रूप में अब जैन धर्म याचिकाकर्ता ने कोर्ट में याचिका दायर की है कि भोजशाला जैन गुरुकुल है, और ASI द्वारा भोजशाला से निकली देवी की मूर्ति जिन्हे हिंदू पक्ष मां वाग्देवी(सरस्वती) बता रहे है। इस पर जैनों का कहना है ये उनकी आराध्य देवी अंबिका है और बहुत सी मूर्तियां जैन धर्म से संबंधित है।
जैन पक्ष के याचिकाकर्ता सलेकचंद्र जैन ने ये दलील पेश है कि भोजशाला की स्थापना राजा भोज के समय में हुई थी। राजा भोज कवियों को सम्मान देते थे और सर्व धर्म प्रेमी थे। उनके दरबार में कवि धनंजय जैन ने संस्कृत में लिखी अपनी पुस्तक के श्लोक सुनाए, जिससे राजा भोज प्रभावित हुए। धनंजय ने अपने गुरु आचार्य महंत मानतुंग की प्रशंसा की, जिन्हें राजा भोज ने बुलाने का आदेश दिया। आचार्य मानतुंग ने “भक्तामर स्तोत्र” की रचना की। बाद में राजा भोज ने जैन धर्म के मंदिर और भोजशाला का निर्माण किया, जहां सभी धर्मों के बच्चे पढ़ते थे।
हालंकि खुदाई में 94 मूर्तियां और 1700 अवशेष निकले जिसमें गणपति और भगवान विष्णु की मूर्तियां पत्नियों के साथ मिली है।साथ ही खुदाई में 106 स्तंभ, 82 भित्तिचित्रों और 31 सिक्के मिले है।ये तक्षशिला और नालंदा विश्वविद्यालय जैसा आवासीय संस्कृत विश्वविद्यालय जो उस वक्त का परंपरा और ज्ञान का केंद्र था। जबकि मुस्लिम पक्ष का मानना है की भोजशाला कमाल मौलाना मस्जिद है, जिसे सन 1514 में मेहमूद खिलजी द्वारा मस्जिद बनाने का प्रयास किया गया।
शुक्रवार 5 जुलाई को कोर्ट ने सुनवाई के दौरान जैन समुदाय की याचिका खारिज की थी क्योंकि वो निर्धारित प्रारूप में नहीं थी। इस पर कोर्ट ने फिर से निर्धारित प्रारूप पर याचिका लगाने का प्रावधान दिया था,जिसके द्वारा जैन समुदाय ने ये याचिका दायर की है। हालांकि,धार के जैन समाज ने ही इस याचिका का विरोध किया था,उन्होंने कहा था कि हम हिंदुओं के पक्ष में है