Khajuraho Temple Sculptures । मध्यप्रदेश के खजुराहो में 85 मंदिर बनवाए गए थे, जिनमे से 26 मंदिर आज भी बहुत अच्छे हाल में है। मंदिरों के शहर खजुराहो मे 20 वर्ग किलोमीटर तक मंदिर फैले हुए है। खजुराहो में हिन्दू मंदिरों के साथ ही जैन तीर्थंकरों (Jain Tirthankar Temple Khajuraho) के मंदिर भी है और ये मंदिर अपनी वास्तुकला के लिए फेमस है।
इन मंदिरों में उकेरी गई “काम क्रीडा” (Sex Sculptures on Temples) की मूर्ति पूरी दुनिया मे पौपुलर है, मंदिरों की दीवारों पर “रति क्रीडा” की मूर्तियो का चित्रण है। इन मूर्तियों में नायक-नायिका के बीच अंतरंग संबंध प्रकट किए गए है। यहाँ मंदिरों की दीवारों पर सैकड़ों मूर्तियाँ उकेरी गई है। खजुराहो में मूर्तियों के बारे मे माहोल अधिक बनाया जाता है, वास्तविकता मे यहाँ मात्र 10 प्रतिशत प्रतिमाएं ही कामुक प्रतिमाएं हैं। जिनमे कामक्रीडा का चित्रण है, इन मंदिरों मे वर्ल्ड फेमस मंदिर है – कन्दरिया महादेव मंदिर, चौसठ योगिनी मंदिर, लक्ष्मण मंदिर, मतंगेसवार मंदिर और पार्श्वनाथ मंदिर है।
मध्यप्रदेश में नर्मदा किनारे ओंकारेश्वर मंदिर के साथ ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर पर भी है “कामुक प्रतिमाएं” (Sex Sculptures on Omkareshwar-Mamleshwar Temple)
मध्यप्रदेश मे दौ ज्योतिर्लिंग स्थित है, उज्जैन में विश्वप्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर (Mahakaleshwar Temple Ujjain) है और माँ नर्मदा के तट पर खंडवा जिलें में ओंकारेश्वर-ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग (Omkareshwar -Mamleshwar Jyotirling Khandwa) , ओंकारेश्वर -ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग में स्थित ममलेश्वर मंदिर अतिप्राचीन है, इस मंदिर पर कई प्राचीन आकृतियाँ उकेरी गई है, ध्यान से देखने पर पता चलता है कि ये “काम क्रीडा” से संबंधित प्रतिमाये है, जिनमे नायक काम-क्रीडा कर रहें है।
खजुराहो या ममलेश्वर ही नहीं, देश के अनेकों मंदिर है जहां काम-क्रीडा से संबंधित प्रतिमाएं मंदिरों की दीवारों पर उकेरी गई है
खजुराहो या ममलेश्वर ही नहीं, देश के अनेकों मंदिर है जहां काम-क्रीडा से संबंधित प्रतिमाएं मंदिरों की दीवारों पर उकेरी गई है, इनमे राजस्थान में भंड देव का मंदिर (Bhand Dev Temple, Baran Rajasthan) है, जहां हूबहू खजुराहो की तरह ही काम क्रीडा की प्रतिमाये उकेरी गई है, इसी कारण इसे छोटा खजुराहो (Chota Khajuraho) भी कहा जाता है। ये मंदिर राजस्थान के बारा मे स्थित है, ये मंदिर खजुराहो के मंदिरों के निर्माण की अवधि मे ही बनाए गए थे।
कोणार्क का सूर्य मंदिर (Sun Temple, Konark Rajasthan) – उड़ीसा में स्थित विश्वप्रसिद्ध कोणार्क सूर्य मंदिर है, यहाँ पर 100 फुट ऊंचा रथ है, इस मंदिर की दीवारों पर कामक्रीडा मे रत प्रतिमाये उकेरी गई थी, प्रांगण मे कई और मंदिर भी थे, लेकिन अब प्रमुख मंदिर ही दिखाई देता है।
मंदिरों पर ही क्यों उकेरी जाती थी, कामुक प्रतिमाएं
खजुराहो या ऐसे मंदिर जहां इस तरह की प्रतिमाये उकेरी गई है, यहाँ जाने पर श्रद्धालुओं के मन मे एक ही प्रश्न आता है कि आखिर क्यों मंदिरों की दीवारों पर ही ऐसी कामुक प्रतिमाये उकेरी गई, जो बाते बेडरूम की है, आखिर क्यों उन्हे हमारे पवित्र देवस्थानों पर उकेरा गया, कुछ लोग इस तरह की प्रतिमाओ को देखकर खिन्न हो जाते है और यह भी कहते है कि मंदिर बनाने वालों ने हिन्दू धर्म का अपमान किया है ।
- पौराणिक कहानी – चंद्रमा की कामुकता (Khajuraho Temple Statue)
मंदिरों पर कामुक प्रतिमाओ के निर्माण के विषय में कई तरह के तथ्य दिए जाते है, जितने भी मंदिरों मे कामुक प्रतिमाएं है, वहाँ पौराणिक कहानी जरूर बताई जाती है, जैसे खजुराहो के मंदिर के बारें मे कहानी आती है कि खजुराहो मे हेमावती नाम की लड़की से चंद्रमा को प्यार हो गया और जब दोनों के बीच मे संबंध बनें तो एक बालक का जन्म हुआ, जिसका नाम चंद्रवर्मन रखा गया, लेकिन चंद्रवर्मन को समाज ने अपनाने से मना कर दिया, इसपर हेमावती ने अपने बेटे चंद्रवर्मन को आदेश दिया कि वो मंदिरों पर ऐसी कामुक आकृति बनाए कि लोगों के मन की वो कामुक भावनाए सामने आए जो वो दबाकर रखते है। - काम भी समाज का अंग है – काम (Sex) को भी हिन्दू धर्म के चार पुरुषार्थ धर्म,अर्थ, काम, मोक्ष ( Four Purushartha of Hinuism) मे से एक माना गया है। काम को जीवन का महत्वपूर्ण अंग माना गया है। इसीलिए इसे मंदिरों की दीवारों पर स्थापत्य और कला के रूप मे उकेरा गया था। लेकिन मंदिरों की दीवारों पर कामुक प्रतिमाएं केवल 10 प्रतिशत ही है, इसके अलावा अन्य प्रतिमाएं है, इसका अर्थ है कि जीवन मे भी काम का हिस्सा केवल 10 प्रतिशत ही होना चाहिए।
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