भारत में ऐसे कई मंदिर हैं जो अपनी विशेष परंपराओं के लिए विख्यात हैं। उनमें से कई ऐसे मंदिर भी हैं कहाँ केवल महिलाओं को ही प्रवेश मिलता है या महिलाओं को कुछ विशेष अधिकार मिलते हैं। एक ऐसा ही मंदिर मध्यप्रदेश के इंदौर शहर में भी है जहां पर महिलाओं को विशेष अधिकार दिया गया है। यह मंदिर है मोतीतबेला में स्थित माँ हरसिद्धि का मंदिर। जहां पूजा का अधिकार केवल बेटियों को ही मिलता है और पुत्री के वंश से पीढ़ी दर पीढ़ी बेटियाँ ही यहाँ पूजा-अर्चना करती है।
10 पीढ़ियों से बेटियाँ संभाल रही मंदिर व्यवस्था, नई पीढ़ी भी हो रही तैयार
हरसिद्धि मंदिर की इस विशेष परंपरा के अनुसार बेटी-दामाद को प्रधानता दी जाती है। यहाँ बेटियाँ ही मंदिर की पुजारी बनती है और मंदिर की व्यवस्थाओं से लेकर सभी जिम्मेदारी बेटी-दामाद ही संभालते हैं। बता दें कि अभी इस मंदिर में 10वी पीढ़ी की महिला पुजारी इसे संभाल रही हैं। फिलहाल इस मंदिर की आने वाली पीढ़ी भी तैयार हो रही है। मंदिर की भावी पीढ़ी की 11 और 8 वर्ष की दो बेटियाँ पूरी तल्लीनता से पूजन सीख रही हैं। वे ग्रह शांति पूजन, गणेश पूजन सीख चुकी हैं और यजुर्वेद की शिक्षा ऑनलाइन माध्यम से सीख रही हैं।
स्वप्न में दिए थे देवी ने दर्शन, बावड़ी में से निकाली मूर्ति
आपको बता दें कि यह मंदिर 258 साल पुराना है। सन 1766 में इसे इंदौर की महारानी लोकमाता अहिल्या बाई होल्कर ने बनवाया था। ऐसा बताया जाता है कि जनार्दन भट्ट के सपने में उन्हें देवी ने दर्शन दिए थे और देवी की प्रतिमा की जानकारी प्राप्त हुई थी। उसके बाद उनके सपने के आधार पर बावडी से खुदाई कर के देवी की प्रतिमा निकाली गई थी।
अहिल्याबाई से प्रेरित है परंपरा
ऐसा माना जाता है कि मंदिर की यह विशेष परंपरा भी लोकमाता अहिल्याबाई से ही प्रेरित है। अहिल्याबाई बालिकाओं को शिक्षित करने की ओर जोर देती थी और उन्हें प्रोत्साहित करती थी। जिससे प्रेरणा लेकर मंदिर में बेटियों को शिक्षा देकर पुजारी बनाने की परंपरा आरंभ हुई।