मध्यप्रदेश में शिव’राज’ खत्म होने और डॉ. मोहन यादव के नए मुख्यमंत्री के रूप में चुने जाने के बाद से ही लाड़ली बहना योजना के बंद होने को लेकर चर्चाएं तेज हैं। पूर्व सीएम शिवराज ने तो कहा है कि ‘ मैं लाड़ली बहना योजना को किसी हालत बंद नहीं होने दूंगा’। लेकिन नई सरकार के मुख्यमंत्री मोहन यादव से जब पूछा गया कि लाड़ली बहना योजना का क्या होगा, तो उन्होंने कहा कि मैं इसपर विचार करूंगा। इसके अलावा बीते बुधवार नव-नियुक्त विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर ने भी अपने अभिभाषण में लाड़ली बहना योजना का नाम नहीं लिया। इस पर विपक्ष की ओर से सरकार पर लाड़ली बहन योजना को बंद करने के आरोप लगाए जा रहे हैं।
प्रदेश की महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण के लिए शिवराज सरकार ने लाड़ली बहना योजना की घोषणा की, जिसके तहत गरीब परिवार की बहनों को प्रतिमाह 1 हजार रुपए दिए गए, चुनाव के पूर्व राशि बढ़ाकर 1250 रुपए प्रतिमाह की गई। शिवराज ने ये भी कहा कि इस राशि को बढ़ाकर 3000 तक ले जाने का मेरा लक्ष्य है। इसी योजना के अंतर्गत लाड़ली बहनों को आवास और 450 रुपए में गैस सिलिन्डर देने की बात भी की गई।
लेकिन, नई सरकार के आने के बाद से लगातार लाड़ली बहना योजना सवालों के घेरे में है। वर्तमान में मध्यप्रदेश सरकार पर पर 3.4 लाख करोड़ से ज्यादा का क़र्ज़ है। ऐसे में अगर इन योजनाओं को संचालित करना है, तो सरकार को अतिरिक्त 25 हजार करोड़ का कर्ज़ लेना होगा। इस वजह से सरकार लाड़ली बहना योजना पर अपना पक्ष साफ़ जाहिर नहीं कर पा रही है।
हालांकि, वरिष्ठ नेता कैलाश विजयवर्गीय ने कहा है कि अगर प्रदेश के विकास के लिए लोन लेना पड़े, तो ज़रूर लेंगे। यह कोई पाप नहीं। लेकिन, मुख्यमंत्री मोहन यादव से जब मीडिया ने इस बारे में सवाल किया, तो उन्होंने कहा कि वे आँकलन के बाद ही कुछ कह पाएंगे। इसके अलावा नव-नियुक्त विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर ने भी शपथग्रहण के बाद अपने पहले अभिभाषण के दौरान केंद्र और राज्य सरकार की अनेकों जन-कल्याणकारी योजनाओं का नाम लिया, लेकिन लाड़ली बहना योजना का नाम नहीं लिया।
इस पर सदन में मौजूद कांग्रेस विधायकों ने सवाल उठाना शुरू कर दिए कि क्या लाड़ली बहना योजना सच में बंद हो रही है? यही सवाल जब कैलाश विजयवर्गीय से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि किसी योजना को बंद करने का कोई विचार नहीं है।
बहरहाल, लाड़ली बहना योजना ने मध्यप्रदेश में बीजेपी की जीत में बड़ा रोल अदा किया है। ऐसे में इससे संबंधित कोई भी अप्रिय निर्णय आने से जनता में सरकार के प्रति असंतोष की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।