मध्यप्रदेश की जीवन रेखा नर्मदा के उद्गम स्थल अमरकंटक, बांधवगढ़ नैशनल पार्क व विध्यांचल के पर्वतों के लिए प्रसिद्ध शहडोल लोकसभा क्षेत्र का अपना महत्व है। लेकिन दशकों के आर्थिक विकास के बाद भी यह क्षेत्र गरीबी, बेरोज़गारी, पलायन, शिक्षा का अभाव, नशे की लत और हाथियों के हमले जैसी समस्याओं से जूझ रहा है। शहडोल एक आदिवासी बहुल इलाका है और नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से ही बीजेपी के हाथों में है।
2024 लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने यहाँ से वर्तमान सांसद और विरासत में राजनीत लिए चलने वाली हिमाद्री सिंह को उमीदवार बनाया है। तो वहीं कांग्रेस ने अपने एकमात्र और लगातार 3 बार से विधायक फुंदेलाल मार्को को मौका दिया है। लेकिन, शहडोल लोकसभा सीट की कहानी इतनी सरल नहीं है। यहाँ का चुनावी इतिहास ही इस क्षेत्र के विकास के जमीनी हालातों का बखान कर देगा। कैसे यहाँ की सांसद महोदया विधायक व पार्षद स्तर के कामों को अपने नाम से चलाती हैं, कैसे एक-एक करके सभी कांग्रेसी भाजपा में आ रहे हैं। ऐसी कई और बातें इस रिपोर्ट में आपको बताएंगे। साथ ही शहडोल के ग्राउंड जीरो पर उतरी हमारी टीम की मदद से जनता की ज़ुबानी आपको बताएंगे, सांसद हिमाद्री सिंह के पिछले 5 सालों के कार्यकाल की हकीकत के बारे में…
शहडोल लोकसभा सीट पर गोंड फैक्टर ही सबसे प्रभावी माना जाता है।1962 से लेकर अब तक हुए 17 लोकसभा चुनावों में गोंड जनजाति का प्रत्याशी ही जीता है। इसलिए बीजेपी हो या कांग्रेस, दोनों पार्टियां गोंड प्रत्याशी को ही मैदान में उतारती है। इस बार के दोनों प्रत्याशी यानि हिमाद्री सिंह और फुंदेलाल मार्को भी गोंड जनजाति से ही आते हैं। पिछले 3 चुनावों की बात की जाए तो 2019 में भाजपा की हिमाद्री सिंह 4 लाख वोटों से जीतीं, 2014 में भाजपा के दलपत सिंह परस्ते करीब डेढ़ लाख वोटों से जीते, तो वहीं 2014 में कांग्रेस की राजेश नंदिनी सिंह केवल 13 हज़ार 415 के मार्जिन से जीतीं थीं।
हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव 2023 की बात की जाए, शहडोल की 8 में से 7 सीटों पर भाजपा ने जीत हासिल की थी। केवल एक पुष्पराजगढ़ विधानसभा सीट से कांग्रेस के फुंदेलाल मार्को जीते और कांग्रेस ने उन्हें ही लोकसभा प्रत्याशी भी बना दिया। हालांकि, क्षेत्र में वे जमीनी पकड़ वाले नेता के रूप में पहचान भी रखते हैं। वहीं हिमाद्री सिंह के पिता दलबीर सिंह कांग्रेस से 3 बार के सांसद और मंत्री रहे और माँ राजेश नंदिनी सिंह भी सांसद रहीं। लेकिन, ये दोनों कांग्रेस से थे। बेटी हिमाद्री ने 2017 में भाजपा नेता नरेंद्र मरावी से शादी की और फिर भाजपा की ही होकर रह गई हिमाद्री कांग्रेस छोड़ भाजपा में आईं और माता-पिता के प्रभुत्व के चलते ही उन्हें 2019 में लोकसभा का टिकट मिला। वरना राजनीत के मामले में उन्होंने एक उपचुनाव ही लड़ा था, उसे भी वे हार गई थी।
अब आते हैं शहडोल लोकसभा सीट की जमीनी कहानी और सांसद हिमाद्री सिंह के पिछले 5 वर्षों के कार्यकाल के रिपोर्ट कार्ड पर। चुनावी यात्रा के दौरान द जर्नलिस्ट की टीम शहडोल पहुंची, वहाँ जो बातें आम जनता, स्थानीय नेताओं व पत्रकारों ने बताई, वो आपको बताते हैं। विकास की बात करें तो हर किसी के ज़बान पर शहडोल के बस स्टैन्ड का ही नाम आता है। यह कार्य तो विधायक व पार्षद स्तर का है। लेकिन, सांसद महोदया इसे अपने नाम से ही चलाती रहती हैं। इसके अलावा सड़कें, स्वच्छता, स्वास्थ्य, शिक्षा समेत सारी व्यवस्थाएं बेहाल हैं। कई लोग तो हिमाद्री सिंह को जानते तक नहीं है। उनका कहना है कि 36 वर्षीय हिमाद्री सिंह की जीत के पीछे केवल दो कारण है। पहला – उनके माता-पिता का राजनैतिक इतिहास और दूसरा – प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता।
इसके अलावा उनके पति नरेंद्र मरावी पर भी पूर्व में हिमाद्री सिंह के नाम पर जबरन वसूली करने के आरोप लग चुके हैं। स्थानीय पत्रकार इस बात को दावे के साथ कहते हैं कि यदि सांसद जी की इतनी बातों को ही लेकर आप उनसे सवाल पूछ लें, तो उनके पास कोई जवाब नहीं मिलेगा। वहीं दूसरी ओर, कांग्रेस के पूर्व विधायक सुनील सर्राफ एक ओर ये तो कहते हैं कि कांग्रेस प्रत्याशी पिछली बार की तुलना में इस बार ज्यादा मजबूत है। लेकिन, उन्हीं की पार्टी के पूर्व जिला अध्यक्ष ब्रजेश सिंह ये कहते हैं कि धीरे-धीरे शहडोल कांग्रेस के नेता भाजपा में जा रहे हैं। कांग्रेस को अब इक्का दुक्का ही नए सदस्य मिल पाते हैं।
एक और बात ये कि बीजेपी इस बार भी ज़मीनी मुद्दों की जगह मोदी के नाम पर चुनाव लड़ रही है। 370 व राम मंदिर के राष्ट्रीय मुद्दों का जमकर प्रचार कर रही है। कांग्रेस के पास इन मुद्दों का तोड़ मौजूद ही नहीं है। वहीं गोंड समाज के सबसे बड़े नेता बिसाहूलाल, जो पिछले चुनाव में कांग्रेस के समर्थन में थे। वे भी अब भाजपा का दामन थाम चुके हैं। ऐसे में भाजपा इस सीट पर और मजबूत स्थिति में दिख रही है।
बहरहाल, इस सीट पर भाजपा के बड़े नेता लगातार जनसभाएं और रैलियाँ कर रहे हैं। 2 अप्रैल को पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा शहडोल आए थे। वो बात अलग है उनके कार्यक्रम के लिए भीड़ इकट्ठी करना मुश्किल हो गया था। और तो और समर्थक कार्यक्रम के बाद भाजपा के झंडे तक जमीन पर फेंक गए थे, जिन्हें उठाने वाला भी कोई नहीं था। 8 अप्रैल को राहुल गांधी भी शहडोल आए थे। शहडोल में उनके हेलिकाप्टर का फ्यूल खत्म होने की खबर चली, जिसके बाद वे महुआँ के खेत में आदिवासी महिलाओं से मिले। महुआँ बीना, चखा और फोटो भी खिंचवाई, जो खूब वायरल हुई। इसके अलावा भाजपा की ओर से सीएम मोहन यादव, पूर्व सीएम शिवराज और कांग्रेस की ओर से प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी और नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार भी यहाँ आ चुके हैं। आपको बता दें कि शहडोल में पहले फेज के तहत 19 अप्रैल को मतदान होना है। शहडोल लोकसभा सीट के कुल वोटरों की संख्या 17 लाख 72 हजार 929 है।