नर्सिंग घोटाले को व्यापम के बाद मध्यप्रदेश का सबसे घोटाला माना जा रहा है। मामला प्रदेश में नर्सिंग कॉलेजों को फर्जी तरीके से मान्यता एवं संबद्धता दिलाने का है। जैसे-जैसे घोटाले की परतें खुल रही हैं, वैसे-वैसे ये तथ्य निकलकर सामने आ रहा है कि इस घोटाले में पूरा सिस्टम ही लगा हुआ था। लाखों विद्यार्थियों के भविष्य को दांव पर लगा देने वाले इस घोटाले में कॉलेजों, अधिकारियों और सरकार की मिलीभगत सामने आई है। घोटाला इतना बड़ा था कि हाई कोर्ट की निगरानी में देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी सीबीआई को इसकी जांच सौंपी गई, लेकिन सीबीआई जांच में ही फर्जीवाड़ा हो गया। सीबीआई अधिकारी ही रिश्वत लेते हुए धरा गए।
इस घोटाले की शुरुआत 2021 में हुई थी। जब विद्यार्थियों की शिकायत के आधार पर मध्यप्रदेश के नर्सिंग कॉलेजों पर सवाल उठने शुरू हुए। आरोप लगाए गए कि सभी सरकारी नियमों की धज्जियां उड़ाकर कॉलेजों को मान्यता दी गई है। कहीं-कहीं तो 2-3 कमरे के अस्पताल चल रहे हैं। इनमें न तो लैब है और न ही 100 बिस्तर वाला अस्पताल। कई कॉलेजों में तो फैकल्टी के ही अते-पते नहीं हैं। मामला ग्वालियर हाईकोर्ट पहुंचा। कोर्ट के निर्देश के बाद 363 नर्सिंग कॉलेजों की जांच सीबीआई को सौंपी गई। सभी को आस थी कि जांच में कुछ बड़े खुलासे होंगे, लेकिन जांच करने वाले सीबीआई अफ़सर ही भ्रष्ट निकले। सीबीआई अफसरों ने अपने ही अफसरों को घूस लेते पकड़ लिया। जानकारी मिली कि ये अफ़सर मोटी रकम लेकर कॉलेजों को जांच में क्लीन चिट दे रहे थे। इसमें मुख्य रूप से सीबीआई अफ़सर राहुल राज को 10 लाख रुपए की घूस लेते पकड़ा गया। राहुल को तत्काल प्रभाव से बर्खास्त किया गया। कुछ दिनों तक अखबारों में खबरें लगीं। अन्य अफ़सर सस्पेंड हुए। कुछ कॉलेज संचालक, प्राचार्य दलाल भी पकड़े गए और फिर विधानसभा चुनावों के मद्देनजर मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। लेकिन, अब यह फिर से उजागर हो चुका है।
एक तरफ मीडिया और विपक्षी दलों की ओर से सरकार पर लाखों रुपए लेकर कॉलेजों को जांच में सही बताने के आरोप लग रहे हैं। वहीं दूसरी ओर सरकार अब इस मामले में ठोस कार्रवाई करती नजर आ रही है। सरकार ने कई कॉलेजों की मान्यता रद्द करने के निर्देश दिए हैं।`19 डिप्टी कलेक्टर रैंक के अफसरों को कारण बताओ नोटिस भेजा है। इन अधिकारियों को 2022 के बाद नर्सिंग काउंसिल ने जांच टीम में शामिल किया था। इन्होंने 66 अपात्र नर्सिंग कॉलेजों की मान्यता के लिए गलत तरह से जांच कर रिपोर्ट सौंपी थी। वहीं नर्सिंग काउंसिल के रजिस्ट्रार अभिषेक दुबे के मुताबिक, 17 राजस्व अधिकारी और 19 डिप्टी कलेक्टर को नोटिस जारी करने के लिए GAD को पत्र लिखा गया है। इसके अलावा 111 डॉक्टर्स और नर्सिंग ऑफ़िसरों पर भी कार्रवाई की जाएगी। इन्होंने निरीक्षण के दौरान गलत रिपोर्ट बनाकर दी। CBI जांच में 66 नर्सिंग कॉलज अपात्र मिले। संबंद्धता के दौरान 85 डॉक्टर्स और निजी नर्सिंग कॉलेज की फैकल्टी ने गड़बड़ी की। कुछ दिनों पहले सीबीआई की जांच में मदद करने वाले इन्स्पेक्टर सुशील मजोका को भी रिश्वत लेते पकड़ा गया था, जिन्हें फिर सीएम मोहन ने बर्खास्त कर दिया था।
लोकसभा चुनाव के बीच उजागर हुए इस घोटाले ने मध्यप्रदेश की मोहन सरकार को बैकफुट पर ला दिया है। अब सरकार ऐसा कोई रिस्क नहीं लेना चाहती, जिससे उसकी छवि खराब हो। CBI प्रदेश में नर्सिंग डिप्लोमा कोर्स कराने वाले 470 नर्सिंग कॉलेजों की जांच करेगी। इसके लिए मप्र नर्सेस रजिस्ट्रेशन काउंसिल ने डिप्लोमा कोर्स वाले 470 कॉलेजों की लिस्ट भी CBI को सौंप दी है।
मध्यप्रदेश नर्सिंग घोटाले ने विपक्ष को सरकार पर हावी होने का मौका दे दिया है। पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने प्रधानमंत्री मोदी को पत्र भी लिख दिया है। उन्होंने पत्र में तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री विश्वास सारंग को भी जांच के दायरे में लेने की मांग की है। वहीं विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार अपने ट्विटर अकाउंट से कई बार मंत्री विश्वास सारंग को एमपी नर्सिंग घोटाले का ‘सरगना’ बता चुके हैं।
हाल ही में हुई एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान जब मुख्यमंत्री मोहन यादव से नर्सिंग घोटाले पर सवाल पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन चुनाव से संबंधित सवालों का जवाब देने के लिए किया गया है। सरकार से जुड़े मुद्दों पर कभी ओर बात कर लेंगे। सरकार 5 साल की है, आप थोड़ा धैर्य रखिए। हालांकि, सीएम ने ये भी कहा कि जांच एजेंसी पूरे मामले की जांच कर रही है। सीबीआई जो भी निर्णय लेती है, हम उसके साथ खड़े हैं।