इस समय चैत्र नवरात्रि चल रहीं हैं। माँ की आराधना का 9 दिवसीय महापर्व भक्तों को हर दुख, हर संकट से मुक्ति दिलाकर उन्हें सफलता और समृद्धि से भरपूर कर देने वाला है। इन 9 दिनों में माँ के भव्य और दिव्य मंदिरों का दर्शन विशेष लाभ रखता है। ऐसा ही एक मंदिर मध्यप्रदेश के दतिया ज़िले में स्थित है। आज हम बात करेंगे दतिया के पीतांबरा पीठ की, जहां विराजित माँ बगलामुखी और माँ धूमावती के दर्शन पाने के लिए वर्षभर भक्तों का तांता लगा रहता है। इस पीठ की सबसे बड़ी बात ये है की यहाँ विराजमान माँ बगलामुखी को राजसत्ता कि देवी कहा जाता है। ऐसा क्यों है? जानेंगे विस्तार से इस खास रिपोर्ट में।
इस बार चैत्र नवरात्रि में करीब 2 लाख भक्तों के पीतांबरा पीठ आने की संभावना है। क्योंकि यह अति-आध्यात्मिक स्थल अपने सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व के साथ-साथ अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए भी जाना जाता है। इस परिसर में कई अनोखे मंदिर विद्यमान हैं।
पहला और सबसे प्रसिद्ध मंदिर है – माँ बगलामुखी मंदिर। भक्तों का ऐसा मानना है की माँ बगलामुखी के पास हर तरह कि बाधाओं पर काबू पाने की शक्ति है। मंदिर में माँ की सुंदर मूर्ति है, जो भक्तों द्वारा चढ़ाए गए गहनों व अन्य चढ़ावों से सुसज्जित रहती है। यह भव्य मंदिर अपनी वास्तुकला के लिए भी जाना जाता है, जो मराठा और राजपूत शैली का अद्वितीय मिश्रण है। इस मंदिर के सामने हरिद्रा सरोवर स्थित है। प्राचीन कथाओं के अनुसार, माँ बगलामुखी एक विनाशकारी तूफान को शांत करने के लिए ‘हरिद्रा सरोवर’ से ही प्रकट हुईं थीं।
पीतांबरा पीठ का दर्शन माँ धूमावती के दर्शन के बिना अधूरा माना जाता है। माँ धूमावती सभी सांसारिक मोह के बंधनों से मुक्त करके भक्तों को मोक्ष के द्वार तक ले जाने के लिए ख्याति प्राप्त हैं। दुनिया में माँ धूमावती के बहुत कम मंदिर हैं, जिनमें से यह एक है। कहानियों के अनुसार इस मंदिर का इतिहास भारत चीन युद्ध से जुड़ा हुआ है। माना जाता है की चीन से युद्ध में विजय के लिए इस मंदिर की स्थापना कि गई थी। साथ ही इस मंदिर की इतनी जटिल नक्काशी आज भी कई वास्तुकला विदों को आश्चर्य में डाल देती है। परिसर में गुरु स्मृति संग्रहालय और संस्कृत पुस्तकालय भी है, जहां विभिन्न साधनाओं और तंत्रों के गुप्त मंत्रों की व्याख्या करने वाली 6,000 से अधिक पुस्तकें उपलब्ध हैं।
अब आते हैं पीतांबरा पीठ की उस विशेषता पर, जिसके चलते यह देशभर में जाना जाता है। पीतांबरा पीठ में विराजित माँ बगलामुखी को राजसत्ता की देवी भी कहा जाता है। भक्तों का कहना है कि माँ बगलामुखी के आशीर्वाद से ही कुर्सी मिल जाती है। यही वजह है की राजनीति की देवी कही जाने वाली माँ बगलामुखी के दर्शन के लिए चैत्र नवरात्रि में केंद्र एवं प्रदेश के मंत्रियों समेत कई सांसदों व विधायकों का आना जाना लगा रहता है।
आपको बता दें कि प्रतिवर्षानुसार इस वर्ष भी यहाँ धूम-धाम से वार्षिक पारंपरिक मेले का आयोजन होगा। प्रदेशभर से दुकानदार हाथ की बनी वस्तुओं, देवी-देवताओं की छोटी-छोटी प्रतिमाओं, खिलौनों, गृहस्थी के सामान, सौंदर्य सामग्री व खान-पान की चीजें लेकर पधार रहे हैं, चबूतरों पर दुकानें सज चुकी हैं। प्रतीक्षा है तो केवल भक्तों की और माँ के आशीर्वाद की।
पीतांबरा पीठ कैसे पहुंचा जाए? आइए ये भी जान लेते हैं। पीतांबरा पीठ ग्वालियर से 75 किमी और झाँसी से 25 किमी दूर स्थित है। दतिया रेल्वे स्टेशन से परिसर का रास्ता 3 किलोमीटर का है। मंदिर दर्शन के बाद आप सोनगिरी के जैन मंदिर और दतिया महल भी देख सकते हैं।