रविवार 11 फरवरी को प्रधानमंत्री मोदी झाबुआ आ रहे हैं। पीएम झाबुआ से लोकसभा चुनाव 2024 के प्रचार का शंखनाद करने वाले हैं। इस कार्यक्रम को ‘जनजातीय सम्मेलन’ नाम दिया गया है। झाबुआ आकर पीएम मोदी केवल मध्यप्रदेश ही नहीं, बल्कि राजस्थान और गुजरात के वोटरों को भी साधने का प्रयास करेंगे। यह कार्यक्रम कैसा होगा? कौन-कौन सम्मिलित होगा? किन बातों पर रहेगा पीएम मोदी का फोकस? क्या कुछ बड़ी घोषणाएं होंगी? और आखिर चुनावी शंखनाद के लिए झाबुआ को ही क्यों चुना गया? आइए जानते हैं इस खास रिपोर्ट में…
पीएम मोदी के झाबुआ कार्यक्रम की तैयारियों में प्रदेश भाजपा संगठन पिछले कई हफ्तों से जुटा हुआ है। कार्यकर्ताओं और स्थानीय लोगों को यह संदेश दिया जा रहा है कि राम मंदिर प्राण-प्रतिष्ठा के बाद पीएम पहली बार मध्यप्रदेश आ रहे हैं। इसलिए, उनका स्वागत भव्यता के साथ होना चाहिए। पीएम मोदी हेलिकाप्टर से कार्यक्रम स्थल पहुचेंगे। हेलीपैड से 500-700 मीटर दूरी पर मुख्य मंच मौजूद है। इसी रास्ते पर पीएम मोदी का छोटा रोड शो होगा। इसके बाद पीएम मोदी झाबुआ के जनजातीय समाज को संबोधित करेंगे।
बता दें कि झाबुआ की कुल आबादी का 90% हिस्सा जनजातीय समाज का है। यही कारण है कि झाबुआ पश्चिमी मध्यप्रदेश की आदिवासी राजनीति का केंद्र माना जाता है। झाबुआ रतलाम लोकसभा सीट के अंतर्गत आता है, जहां पिछली बार जीत तो भाजपा के गुमान सिंह डामोर ने दर्ज की थी, लेकिन उन्हें कांग्रेस प्रत्याशी और वरिष्ठ नेता कांतिलाल भूरिया से कड़ी टक्कत मिली थी। वहीं हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों में झाबुआ में कांग्रेस ने बढ़त बनाई थी और कांतिलाल भूरिया के बेटे विक्रांत भूरिया ने जीत हासिल की थी।
देखा जाए तो विधानसभा चुनावों में आदिवासी समाज ने कमल के निशान पर रिकॉर्डतोड़ वोट डाले। भाजपा ने पिछले 10 सालों में राष्ट्रीय स्तर पर आदिवासियों को साधने का भरसक प्रयास किया है। पेसा ऐक्ट, चरण पादुका योजना, जनजातीय गौरव दिवस जैसी बातों का जमकर प्रचार किया गया। यही वजह है कि मध्यप्रदेश के साथ-साथ राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भी आदिवासियों ने भाजपा का साथ दिया। पीएम मोदी झाबुआ से प्रदेश के आदिवासी समाज का आभार व्यक्त करने के साथ-साथ उनका भरोसा जीतने का प्रयास भी करेंगे।
लेकिन, ये आयोजन केवल मध्यप्रदेश की लोकसभा सीटों तक सीमित नहीं है। मध्यप्रदेश के धार और रतलाम के अलावा गुजरात के दाहोद, माहिसागर व पंचमहाल, राजस्थान के डुंगरपुर, बांसवाड़ा और प्रतापगढ़ जिले भी झाबुआ से लगे हुए हैं। ये सभी जिले भील आदिवासी बहुल इलाके हैं। लोकसभा चुनावों के लिहाज़ से देखें तो मध्यप्रदेश में आदिवासी समाज की 3, गुजरात की 2 और राजस्थान की 2 आरक्षित सीटें हैं।
प्रधानमंत्री मोदी के साथ आयोजन में मध्यप्रदेश के सीएम मोहन यादव और कई कैबिनेट मंत्री भी उपस्थित होंगे। मंत्रियों में चेतन कश्यप, निर्मला भूरिया, नागर सिंह चौहान, संपतिया उईके का आना संभावित है। भाजपा संगठन के बड़े पदाधिकारी भी कार्यक्रम में उपस्थिति दर्ज कराएंगे। इसके अलावा गुजरात और राजस्थान के भाजपा नेताओं और कार्यक्रताओं को भी आमंत्रण भेजा गया है।
झाबुआ आदिवासी सम्मेलन की तैयारियों पर प्रदेश संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा लगातार नजर बनाए हुए हैं। सम्मेलन में डेढ़ लाख लोगों के आने की संभावना है। 15 विधानसभा क्षेत्रों से 10-10 हजार लोगों को टार्गेट किया गया है।