मध्यप्रदेश के राजनैतिक गलियारों में आई एक खबर ने भाजपा-कांग्रेस दोनों पार्टियों को हैरत में डाल दिया है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व में सांवेर से विधायक रहे प्रेमचंद गुड्डू ने मध्यप्रदेश में तीसरी सबसे मजबूत पार्टी बनाने का दावा किया है। हाल ही में कांग्रेस द्वारा निष्कासित किए जाने के बाद उन्होंने पूर्व सीएम कमलनाथ को खरी-खोटी सुनाते हुए कहा है कि कांग्रेस के उपेक्षित विधायक और कई भाजपाई उनके संपर्क में हैं। वे जल्द ही नई पार्टी का ऐलान कर सकते हैं।
बता दें कि विधानसभा चुनावों में प्रेमचंद गुड्डू को कांग्रेस से टिकट नहीं दिया गया था, जिसके बाद उन्हें आलोट सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ना पड़ा। हालांकि, वे चुनाव हार गए। उनके चुनाव में उतारने से आलोट से कांग्रेस की सीट पर चुनाव लड़े कांग्रेस प्रत्याशी को नुकसान हुआ और भाजपा ने जीत हासिल की। इसी तरह उनकी बेटी रीना बौरासी भी कांग्रेस की टिकट पर सांवेर सीट से चुनाव लड़ी थी। लेकिन वे भी भाजपा के तुलसी सिलावट से हार गईं।
चुनाव के नतीजों के बाद कांग्रेस कमेटी ने 50 से अधिक ऐसे नेताओं को बाहर का रास्ता दिखाया, जिन्होंने कांग्रेस के अधिकृत प्रत्याशी के खिलाफ चुनाव लड़कर पार्टी को नुकसान पहुंचाया। इन नेताओं में प्रेमचंद गुड्डू भी शामिल थे। अपने निष्कासन के जवाब में गुड्डू ने प्रेस नोट जारी करते करते हुए कहा कि तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने निजी फ़ायदों के लिए पार्टी के निष्ठावान कार्यकर्ताओं की उपेक्षा करते हुए गैर राजनैतिक लोगों और भाजपा से कांग्रेस में आए लोगों को टिकट बेचे, जिसका मैंने विरोध किया और पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देते हुए आलोट सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला किया।
गुड्डू ने बताया कि चुनाव के पहले ही वे कमलनाथ को अपना इस्तीफा सौंप चुके थे, फिर चुनावों के बाद उनके निष्कासन का आदेश जारी करना बचकाना फैसला है। उन्होंने कमलनाथ पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि कमलनाथ ने भाजपा के साथ साँठगांठ पर कांग्रेस को बर्बाद किया है। लेकिन, वर्तमान नेतृत्व भी इस बर्बादी से संतुष्ट नहीं है और कमलनाथ के ही नक्शे कदम पर चलकर ऐसे फैसले ले रहा है।
नई पार्टी पर प्रेमचंद गुड्डू ने कहा कि वे कांग्रेस से निष्कासित सभी नेताओं को अपने साथ जोड़ने का प्रयास करेंगे। कई भाजपा के नेता भी उनके संपर्क में है। गुड्डू की पार्टी का नाम, चिह्न आदि अभी तय नहीं है। इसलिए वे लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे। लेकिन उनके हिसाब से जो अच्छे प्रत्याशी होंगे, उनका समर्थन किया जाएगा।