लोकसभा चुनाव के पहले प्रदेश कांग्रेस के बड़े नेताओं के भाजपा में जाने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। बीजेपी पहले ही कांग्रेस पार्टी को क्लीन स्वीप करने का दबाव बनाए हुए है। इसी बीच कांग्रेस के एक और कद्दावर नेता ने पार्टी छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया है। इस बार पार्टी को झटका दिया है विदिशा से पूर्व विधायक शशांक भार्गव ने। आखिर क्या वजह रही कि दशकों से कांग्रेस के वफ़ादार रहे शशांक भार्गव ने इस्तीफ़ा दे दिया और क्या ये मान लिया जाए कि विदिशा लोकसभा सीट पर कांग्रेस हथियार डाल देगी? आइए जानते हैं…
विधानसभा चुनाव में करारी के सदमे से कांग्रेस उबर भी नहीं पाई थी कि लोकसभा चुनाव दरवाज़े पर दस्तक देने लगे। जिस पार्टी को रणनीतियाँ बनाकर जीत का प्रतिशत बढ़ाने पर ज़ोर देना चाहिए, वह अपने ही नेताओं की बगावत से परेशान है। ढेरों बैठकों, सभाओं, प्रलोभनों के बाद भी कोई न कोई नेता हर दिन पार्टी छोड़ ही देता है। इसी लिस्ट में मंगलवार को पूर्व विधायक शशांक भार्गव का नाम भी जुड़ा गया।
आपको बता दें कि शशांक भार्गव ही वो नेता हैं, जिन्होंने भाजपा का गढ़ कही जाने वाली विदिशा विधानसभा सीट पर 46 साल बाद कांग्रेस का झंडा फहराया था। 2018 में भार्गव ने वर्तमान विधायक मुकेश टंडन को शिकस्त दी थी। ये सीट 1980 के बाद से ही भाजपा का गढ़ मानी जाती है। वहीं दूसरी ओर आगामी लोकसभा चुनावों में पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान विदिशा से चुनाव लड़ने जा रहे हैं। सीट पर भाजपा के पुराने प्रभाव और विदिशा की जनता का मूड शिवराज को ही बढ़त प्रदान करता हुआ दिखा रहा है।
इस दावे की एक वजह ये भी है कि अब तक कांग्रेस इस सीट पर अपना प्रत्याशी तक घोषित नहीं कर पाई है। विदिशा समेत 6 सीटों को कांग्रेस ने अब तक होल्ड पर रखा हुआ है। सूत्रों की माने तो कांग्रेस इस सीट से शशांक भार्गव को ही अपना उम्मीदवार बनाने को लेकर विचार कर रही थी। लेकिन, ऐन वक़्त पर उन्होंने भाजपा का दामन थाम लिया।
अब आइए आपको विदिशा लोकसभा सीट की पिछले चुनाव की चिट्ठी भी पढ़कर सुना देते हैं। 2019 में हुए चुनाव में इस सीट से भाजपा के वरिष्ठ नेता रमाकांत भार्गव 8 लाख से अधिक वोटों से जीते थे। बहरहाल, आज यानि 27 मार्च बुधवार शाम को दिल्ली में कांग्रेस की केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक होनी है, जिसमें मध्यप्रदेश की बची हुई लोकसभा सीटों पर तस्वीर साफ़ हो सकती है। देखना ये होगा कि शशांक भार्गव के भाजपा में आने के बाद कांग्रेस किस नेता को शिवराज सिंह चौहान के सामने उतारती है।