मध्यप्रदेश की सीधी लोकसभा सीट, जो विधानसभा चुनाव के पूर्व पेशाब कांड के चलते चर्चा में आई थी। यह मामला इतना फैला कि खुद पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को डैमेज कंट्रोल के लिए उतरना पड़ा। लेकिन, लोकसभा चुनाव के पहले इसका असर पूरी तरह से खत्म हो चुका है। 2023 के विधानसभा चुनाव में 8 में से 7 सीटें जीत चुकी भाजपा ने लोकसभा चुनाव के लिए डॉ. राजेश मिश्रा को टिकट दिया है। वहीं कांग्रेस की ओर से कमलेश्वर पटेल मैदान में है। लेकिन, असली खेल तो भाजपा के पूर्व राज्यसभा सांसद ने खेल दिया है। क्या है पूरी कहानी, आइए विस्तार से जानते हैं।
सीधी के जातीय समीकरण पर नज़र डाली जाए तो यहाँ ब्राह्मणों की संख्या सर्वाधिक है। तो वहीं ठाकुर इनके राजनैतिक प्रतिद्वंदी हैं। ओबीसी में कुर्मी पटेलों की खासी आबादी है। इसके अलावा सिंगरौली में ज्यादातर वोटर यूपी-बिहार के हैं। आज़ादी के बाद से अब तक इस सीट पर 17 लोकसभा चुनाव हुए हैं, जिनमें से 7 कांग्रेस, 6 भाजपा और बाकी अन्य पार्टियों व निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीते हैं। पिछले 3 चुनावों से तो यहाँ भाजपा का ही बोलबाला है। 2019 लोकसभा चुनाव में सीधी से भाजपा की रीति पाठक 2 लाख 86 हज़ार से अधिक वोटों से जीतीं थीं।
सीधी जीतना भाजपा के लिए कितना ज़रूरी है इसका अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि भाजपा ने यहाँ से तत्कालीन सांसद रीति पाठक को ही विधायक का चुनाव लड़वा दिया था। हालांकि, इस बात से पूर्व विधायक केदारनाथ शुक्ला खासे नाराज भी हुए थे। लेकिन, इसका प्रभाव चुनावी नतीजों पर नहीं पड़ा। इस सीट पर मोदी मैजिक कुछ इस तरह छाया हुआ है कि 2023 विधानसभा चुनाव तो ठीक, बल्कि 2009, 2014 और 2019 लोकसभा चुनाव के दौरान भी क्षेत्र की 8 में से 7 विधानसभा सीटों पर भाजपा का कब्ज़ा था। यही वजह है कि भाजपा इस बार आत्मविश्वास से भरी हुई है।
दूसरी ओर कांग्रेस प्रत्याशी कमलेश्वर पटेल को पार्टी के एकमात्र विधायक और पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह राहुल का भरपूर साथ मिल रहा है। अजय सिंह राहुल का कहना है कि सीधी जिले की 4 विधानसभा सीटों पर कांग्रेस मजबूत है। इन सीटों पर कांग्रेस केवल 30-35 हजार वोटों से पीछे रही थी।
एक और खेल भाजपा से पूर्व राज्यसभा सांसद रहे अजय प्रताप सिंह ने खेल दिया है, सांसदी का चुनाव लड़ने के लिए गोंडवाना गणतंत्र पार्टी में जाकर। बात दें कि अजय प्रताप सिंह ने पूर्व में भाजपा से लोकसभा का टिकट मांगा था। लेकिन, भाजपा ने डॉ. राजेश मिश्रा को तरजीह दी। अजय किसी भी हालत में लोकसभा चुनाव लड़ना चाहते थे। लिहाज़ा, उन्होंने पार्टी ही छोड़ दी। कांग्रेस इस सीट से ओबीसी, मुस्लिम के साथ-साथ ठाकुर वोटों को भी अपना मान रही है। मगर, अजय प्रताप सिंह के गोंगपा से चुनाव लड़ने के चलते कांग्रेस के ठाकुर वोट कटने की पूरी संभावना है। ये बात खुद कांग्रेस विधायक अजय सिंह राहुल भी मानते हैं।
भाजपा के ही एक पूर्व विधायक का कहना है कि पूर्व में अनूपपुर जिला प्रभारी रहे डॉ. राजेश मिश्रा को क्षेत्र के कई लोग जानते तक नहीं है। ऐसे में पार्टी इस बार मोदी लहर के ही भरोसे है। बीच में ऐसी खबरें भी आईं थीं कि डॉ. मिश्रा की व्यावसायिक अप्रोच के चलते ब्राह्मण समेत अन्य वर्गों के कुछ लोग उनसे नाराज़ भी हैं। भाजपा को लाड़ली बहना योजना और पिछले दशकों में विधानसभा और लोकसभा दोनों में बहुमत रखते हुए बनाए गए मजबूत संगठन का लाभ जरूर मिलेगा। तो वहीं कमलेश्वर पटेल को अपनी साफ छवि का लाभ मिल सकता है। इसके अलावा सीधी लोकसभा सीट पर बसपा, आरएसपीएस और भाकपा जैसे दल भी चुनाव लड़ रहे हैं, लेकिन उनका खासा प्रभाव अब तक के चुनावों में देखने को नहीं मिल पाया।
चुनाव प्रचार की बात कि जाए तो राजनाथ सिंह सीधी आकर सभा कर चुके हैं। गृह मंत्री अमित शाह भी आएंगे। कांग्रेस की ओर से राहुल गांधी और प्रियंका गांधी कि सभाएं 10 से 17 अप्रैल के बीच प्रस्तावित हैं। बहरहाल, सीधी में पहले चरण के तहत 19 अप्रैल को मतदान होना है। इस लोकसभा सीट के कुल वोटर 20 लाख 21 हजार 392 हैं।