मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव 2023 में मालवा-निमाड़ की सीटों की बड़ी भूमिका होने वाली है। यहाँ जो पार्टी बढ़त बनाएगी, प्रदेश में उसकी सरकार बनने की संभावना अपने आप बढ़ जाएगी। मालवा-निमाड़ की कुछ सीटें ऐसी हैं, जिनपर सबकी नजर है। इस लिस्ट में शुजालपुर विधानसभा सीट का नाम भी आता है। भाजपा ने एक बार फिर इस सीट से इंदर सिंह परमार को मैदान में उतारा है, जो शिवराज सरकार में स्कूल शिक्षा मंत्री हैं। तो वहीं कांग्रेस ने रामवीर सिंह सिकरवार पर पुनः भरोसा जताते हुए उन्हें टिकट दिया है। लेकिन, शुजालपुर सीट की कहानी केवल इतनी नहीं है। इसमें प्रत्याशियों का खेल बिगाड़ने वाला एक और उम्मीदवार है, युवा और महिला वोट पाने की जद्दोजहद है और साथ ही PFI और हिंदुत्व वाला एंगल भी शामिल है।
सबसे पहले बात शुजालपुर से भाजपा प्रत्याशी इंदर सिंह परमार की, जिन्होंने 2018 विधानसभा चुनावों में मात्र साढ़े 5 हजार वोटों से जीत हासिल की थी। उन्हें शिवराज सरकार में स्कूल शिक्षा मंत्री का पद भी दिया गया था। इस बार उन्हें फिर से मौका दिया गया है। लेकिन, स्थानीय लोगों में इंदर सिंह परमार के प्रति नाराज़गी है। उनका कहना है कि चुनाव जीतने के बाद 5 सालों तक परमार ने शुजालपुर का मुँह भी नहीं देखा। हालांकि, स्कूल शिक्षा मंत्री होने के नाते क्षेत्र के गुलाना में CM राइज स्कूल बनवाया, लेकिन इसके अलावा क्षेत्र के विकास के लिए कोई ‘बड़ा कदम’ नहीं उठाया। इस नामभर की विधायकी के चलते कार्यकर्ताओं में भी उत्साह की कमी है। माना जा रहा है कि इस बार परमार को कड़ी टक्कर मिल सकती है।
ये टक्कर मिलेगी कांग्रेस के उम्मीदवार राम सिंह सिकरवार से। ख़बरों की मानें, तो सिकरवार उत्तर प्रदेश से ताल्लुक रखते हैं। पेशे से बड़े शराब व्यापारी हैं। प्रदेश में इनके कई शराब के ठेके होने के बावजूद जनता में इनकी छवि एक सज्जन नेता के रूप में बनी हुई है। पिछले चुनाव में परमार से मिली हार के बाद भी फिर से टिकट मिलने की सबसे बड़ी वजह क्षेत्र में इनकी सक्रियता को माना जा रहा है। चुनाव हारने के बाद भी सिकरवार ने विधानसभा नहीं छोड़ी। दिनभर गलियों की ख़ाक छानकर जनसंपर्क किया। मुंडन से लेकर नुक्ते की पंगतें जीमकर जनता के बीच अपना वर्चस्व बनाए रखा।
लेकिन, सिकरवार के लिए बीजेपी के इंदर सिंह परमार से बड़ा सिरदर्द अपनी ही पार्टी के एक नेता है। हम बात कर रहे हैं शुजालपुर सीट की राजनीति के मुख्य किरदार योगेंद्र सिंह की, जो बंटी बना के नाम से जाने जाते हैं। बंटी शाजापुर कांग्रेस जिलाअध्यक्ष हैं। क्षेत्र में ख़ासी लोकप्रियता रखते हैं। सिकरवार के पिछले चुनाव हारने के बाद बंटी 2023 चुनाव के प्रबल उम्मीदवार माने जा रहे थे। लेकिन, जब लिस्ट आई, तो पासा पलट गया। कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने बंटी को टिकट न मिलने को लेकर विरोध-प्रदर्शन किया, कई जगहों पर सिकरवार के पुतले भी फूंके गए। पर पार्टी ने निर्णय नहीं बदला।
बंटी कहाँ चुप बैठने वाले थे। उन्होंने सैंकड़ों कार्यकर्ताओं के साथ भोपाल पहुंचकर प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ के बंगले के सामने प्रदर्शन किया। हद तो तब हुई जब न्याय न मिलने पर उन्होंने 26 अक्टूबर की सुबह साढ़े 10 बजे अकोदिया स्थित तहसील कार्यालय की ओर कुच कर दी,बंटी बना की नामांकन रैली में इतने लोग आए कि ढाई तीन घंटे तक यातायात व्यवस्था तार-तार हो गई। कार्यालय पहुंचकर उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में नामांकन दाखिल किया। उन्होंने कहा कि मुझे 15 सालों से आश्वासन दिया जा रहा है। संगठन ने मुझे हर तरह से परखने के बाद भी सीट नहीं दी। लेकिन, मैं मानता हूँ कि मेरी मेहनत बेकार नहीं जाएगी।
कुल मिलाकर बात ये निकलकर आती है कि बंटी प्रत्याशी के रूप में तो नहीं, लेकिन शाजापुर कांग्रेस जिलाध्यक्ष होते हुए सिकरवार का खेल बिगाड़ सकते हैं। क्योकि अगर सिकरवार इस बार भी चुनाव हारते हैं, तो अगले चुनावों में बंटी को टिकट दिया जा सकता है।
ऐसा ही कुछ इंदौर संभाग की महू सीट में भी हो रहा है। जहाँ कांग्रेस के अंतर सिंह दरबार टिकट न मिलने के चलते निर्दलीय चुनाव लड़ने जा रहे हैं। ऐसे में कांग्रेस के वोट बंट जाएंगे, जिससे भाजपा प्रत्याशी को फायदा होना लाज़मी है। आपको बता दें कि महू और शुजालपुर दोनों सीटों पर भाजपा ने अपने कैबिनेट मंत्रियों को उतारा है। परमार की तरह उषा ठाकुर भी एक सीट से दो बार कभी नहीं जीतीं। फिर भी पार्टी ने दूसरी बार मैदान में उतारा है। दोनों क्षेत्रों में कांग्रेस के पास जीत दर्ज करने के कई रास्ते थे। लेकिन, आतंरिक गुटबाजी के चलते वोट कटने संभावना बढ़ गई है। ये दोनों घटनाएं कांग्रेस के संगठन की खामियों को दर्शाती हैं।
भाजपा को वोट मिलने की एक और वजह शुजालपुर में हिंदुत्व के प्रभाव को भी माना जा सकता है। जनता का मानना है कि वादे पूरे हो न हो, लेकिन, सरकार भाजपा की होगी, तो राष्ट्र विरोधी तत्वों से सुरक्षा मिलती रहेगी। राष्ट्रविरोधी तत्वों से समीउल्लाह खान का नाम याद आता है, जो शाजापुर से पार्षद था। जब ख़ुफ़िया एजेंसी NIA ने इस्लामिक कट्टरपंथी संगठन PFI के खिलाफ देशभर में छापेमारी की, तब शाजापुर PFI अध्यक्ष समीउल्लाह खान को भी गिरफ्तार किया गया था। बाद में पता चला की समीउल्लाह खान शुजालपुर में PFI के ट्रेनिंग कैम्प्स चलाता था, जिसके चलते उसपर रासुका के तहत मुकदमा चलाया गया।
शुजालपुर में एक ओर जहाँ किसानों से कमलनाथ सरकार ने कर्जमाफ़ी के वादे तो किए, लेकिन कर्ज माफी नहीं हुई। वहीं महिलाओं को शिवराज सरकार की लाड़ली बहना योजना का खासा लाभ मिल है। शाजापुर के युवा इंदौर, भोपाल आदि बड़े शहरों में पढ़ने या नौकरी करने के लिए रहते हैं। ऐसे में अगर मतदान के लिए वे वापस नहीं लौटे, तो दोनों प्रत्याशियों के वोट बैंक प्रभावित हो सकते हैं।
शुजालपुर में कई समीकरण बैठ रहे हैं। टक्कर एकतरफा नहीं होने वाली। इन सभी कारणों के चलते शुजालपुर मध्यप्रदेश चुनाव 2023 की सबसे बड़ी हॉट सीटों में से एक बन चुकी है।