मध्यप्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर है, सरकार को सबसे ज्यादा कमाई यहीं से होती है और इंदौर में भी सबसे ज्यादा जहाँ से कमाई होती है वह है इंदौर की 3 नंबर विधानसभा, विधानसभा जो इंदौर का केंद्र है, व्यापारियों का अड्डा है इसलिए विधानसभा ३ को फ़तेह करने के लिए बीजेपी और कांग्रेस दोनों पार्टियां, अपने तुर्रम खां को उतारती है, ताकि आवक होती रहे, जो आवक करवाता रहे, ताकि भंडारे चलते रहे, अपने – अपनों के -अपने दल के और सरकार बनी तो सरकार के भी भण्डार भरते रहें, इसलिए बीजेपी -कांग्रेस दोनों को बड़े उम्मीदवार यहाँ से उतारने पढ़ते है, 2018 में जब विधानसभा के चुनाव हुए थे, तब कैलाश जी के चिरंजीव आकाश भिया को विधायकी का टिकट बीजेपी ने दिया था, आकाश भिया विधायाक भी बने थे, इस बार फिर उसी विधानसभा से लड़ने की तैयारी थी, लेकिन पापा को ही इंदौर की एक नंबर से उतार दिया तो बीजेपी के नियमो के हिसाब से बेटे को टिकट मिलना असम्भव हो गया, दादा दयालु को 3 नंबर से टिकट इसलिए नहीं दे सकते क्योकि उन्होंने 2 नंबर पकड़ लिया, कैलाश जी को 1 नंबर की टिकट दे दी, तो फिर 3 नंबर ही बचा था, अब यहाँ किसी कद्दावर नेता को टिकट दिया जाना था , किसको देते, जिनकी चलती हो प्रदेश भर में, विशेषकर व्यापारियों में इस सीट के उम्मीदवार की चर्चा चलती रही और फिर जो नाम बीजेपी ने घोषित किया, उसने सबको चौंका दिया, लिस्ट आयी और लिस्ट में विधानसभा 3 वाले कॉलम के सामने लिखा था, राकेश गोलू शुक्ला
इस नाम ने सबको आश्चर्य से भर दिया, बहुत देर तक तो यही confusion बना रहा की ये राकेश गोलू शुक्ला कौन है, भिया के लोग भी नहीं समझ पाए, क्योकि भिया को तो सब गोलू शुक्ला के नाम से ही जानते थे, लेकिन जब मरीमाता पर पटाखे फूटने की आवाज गूंजने लगी, वीडियो आने लगे, तब सब समझ गए की हाँ वही वाले भिया है, जिनका हर बस पर नाम होता है, बाणेश्वरी वाले गोलू भिया
गोलू शुक्ला को टिकट मिलने से लोगो में ही नहीं, बीजेपी तक के भीतर भी कईयो की नींद उडी ही होगी, क्योकि आकाश भिया का टिकट कटने पर , इंदौर की बाकी सीट पर बीजेपी कैंडिडेट घोषित होने के बाद, इंदौर के बाकी उम्मीदवारों के लिए बस 3 नंबर ही बची थी, गोलू शुक्ला को टिकट मिलने से अचम्भा इसलिए भी सब जगह हुआ, क्योकि गोलू शुक्ला को कुछ महीने पहले ही IDA यानि इंदौर विकास प्राधिकरण का उपाध्यक्ष बनाया गया था। ये राज्य मंत्री का दर्जा होता है, ऐसे कई लोगों को आयोगों और कमीशनों का अध्यक्ष बनाया गया था और जिन्हे बनाया गया था, उनके टिकट लगभग कट ही गए थे। ऐसे नेताओं में गौरव रणदिवे, जयपाल सिंह चावड़ा और डॉ. निशांत खरे का नाम शामिल है। गोलू शुक्ला के बारे में भी यही था, लेकिन यहाँ तो उलटा ही हो गया।
गोलू शुक्ला को जब टिकट मिला, तो कांग्रेस के उम्मीदवार ने कहा की बीजेपी ने बाहरी को उतारा है, कैलाश विजयवर्गीय 2 नंबर में रहते है पर टिकट 1 से दिया है, गोलू शुक्ला का घर 1 नंबर में है पर चुनाव 3 नंबर से लड़ रहे है, गोलू शुक्ला ने कहा मैं नगर युवा मोर्चा का लम्बे टाइम तक अध्यक्ष रहा हूँ, IDA का उपाध्यक्ष हु, पूरा इंदौर घूमता हूँ तो मैं बाहरी कैसे हो गया, बाहरी तो कांग्रेस के कैंडिडेट पिंटू जोशी है जो 6 महीने इंदौर रहते है और 6 महीने महाराष्ट्र में।
गोलू शुक्ला ने विधायकी का चुनाव लड़ते समय सबको साधने का भी गजब ही काम किया है, आकाश विजयवर्गीय की जगह आये, लेकिन आकाश विजयवर्गीय के काम की तारीफ करते रहे, हर भाषण में यही कहा की मैं उनके विकास कार्यो को आगे बढ़ाऊंगा। गोलू शुक्ल कैलाश जी से सत्तन जी तक सबको सभाओ में बुला रहे है, उनके पाँव पड़ रहे है।
mp में एक ही परिवार है जो किसी भी पार्टी की सरकार बने सत्ता में रहेगा, वो है इंदौर का शुक्ला परिवार, अत्यंत अमीर शुक्ला परिवार, जिसके संजय शुक्ला कॉग्रेस से इंदौर 1 के उम्मीदवार है और गोलू शुक्ला इंदौर 3 से। भाजपा 1 ही परिवार के दो लोगो को टिकट तो नहीं देती पर 1 ही परिवार के 2 लोग अलग अलग पार्टियों से चुनाव लड़ सकते है और ये बढ़िया भी है