8 दिसंबर, 1897 को मध्य प्रदेश, भारत में जन्मे बालकृष्ण शर्मा नवीन एक प्रतिष्ठित हिंदी लेखक और कवि थे। उनकी साहित्यिक यात्रा ग्वालियर में स्कूली शिक्षा के दौरान शुरू हुई, जहाँ उन्हें हिंदी साहित्य के प्रति गहरा प्रेम विकसित हुआ। नवीन के शुरुआती कार्यों में अक्सर उनकी गहरी देशभक्ति और सामाजिक चेतना झलकती थी।
1936 में, उन्होंने अपना पहला कविता संग्रह, “रजत शैली में गीत” प्रकाशित किया, जिसे अपनी नवीन शैली और विषयगत समृद्धि के लिए आलोचनात्मक प्रशंसा मिली। नवीन की साहित्यिक क्षमता लगातार बढ़ती रही और उन्होंने “गीत तरंगिनी,” “गीत सरोवर” और “ज्ञान गंगा” सहित कई प्रशंसित रचनाएँ प्रकाशित कीं।
उनके लेखन की विशेषता इसके गहरे दार्शनिक आधार, मानवतावादी दृष्टिकोण और विचारोत्तेजक कल्पना थी। नवीन की कविताओं ने प्रेम, प्रकृति, आध्यात्मिकता और मानवीय स्थिति सहित विषयों की एक विस्तृत श्रृंखला की खोज की। हिंदी भाषा पर उनकी महारत और उनके छंदों में भावना और गहराई भरने की उनकी क्षमता ने उन्हें व्यापक प्रशंसा और प्रशंसा दिलाई।
साहित्य में अपने योगदान के अलावा, नवीन सामाजिक कार्यों में भी सक्रिय रूप से शामिल थे। उन्होंने जीवन भर शिक्षा, महिला सशक्तिकरण और सामाजिक न्याय का समर्थन किया।
बालकृष्ण शर्मा नवीन की विरासत हिंदी लेखकों और पाठकों की पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी। मानवीय अनुभव में उनकी गहन अंतर्दृष्टि और उनकी कालजयी कविता यह सुनिश्चित करती है कि वह भारत की साहित्यिक विरासत का एक अभिन्न अंग बने रहें।