मध्यप्रदेश में कल मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के मंत्रिमंडल में 28 मंत्री बनाए गए हैं। 18 ने कैबिनेट और 10 ने राज्यमंत्री के रूप में शपथ ली है। जिसमे पूरी तरह से निमाड़ क्षेत्र के प्रतिनिधित्व को नकारा गाया है, जिस वजह से पूर्वी व पश्चिमी निमाड़ के लोग मन मसोसकर मौन हो गए ।
दरअसल हर किसी को विश्वास था की विशाल निमाड़ क्षेत्र को मंत्री मंडल में अवश्य मौक़ा दिया जाएगा लेकिन, निमाड़ क्षेत्र को इतना दरकिनार कर दिया जैसे निमाड़ नामक कोई क्षेत्र या वहाँ के मतदाता ही न हो मध्यप्रदेश की विधानसभा में, जो सभी निमाड़वसीयो के लिए चिंतन का विषय बन गया है। वही 2018 में कमलनाथ सरकार में कांग्रेस ने निमाड़ के सबसे ज्यादा 5 विधायकों को मंत्री बनाया था साथ ही मुख्यमंत्री भी इसी क्षेत्र के थे।
वहीं 2020 में शिवराज सरकार में बीजेपी ने निमाड़ के 2 विधायकों को मंत्री बनाया था। लेकिन इस बार मोहन सरकार में बीजेपी ने मात्र 1 विधायक को ही मंत्री बनाया है। वही निमाड़ क्षेत्र के दमदार किसान नेता माने जाने वाले बालकृष्ण पाटीदार के मंत्रिमंडल में आने की अटकने लगाई जा रही थी साथ ही गत बार भी चुनाव समीपता को मध्य नज़र रखते हुए उन्हें राज्य मंत्री बनाया था साथ ही निमाड़ के अनेकों सहनशील राजनीतिज्ञ केवल संगठन के कारण ये नकारता को सहन किए बैठे है ।
परंतु सियासत के गलियारों में उड़ाने वाली हवा कब पलट जाए किसे पता होता है, और इसी सियासत ने निमाड़ के अनेकों मतदाताओं और जनप्रतिनिधियों को एक घेरा घाव दिया है । दलित व आदिवासियों के उत्थान की बात करने वाली सरकारों को ऐसे क्षेत्र के लोगो को सभी के समांतर प्रतिनिधित्व देना होगा अन्यथा सरकार के लिए निमाड़ क्षेत्र समस्या का विषय बन सकता है ।