विदिशा में देवी माँ का एक 250 साल पुराना मंदिर है। इस मंदिर से कई अनोखी बातें जुड़ी हुई है। उनमें से एक यह है कि इस मंदिर पर पिछले 250 वर्षों से पक्की छत नहीं बनी थी। मान्यता थी कि देवी की मूर्ति के उपर पक्की छत नहीं बनाई जा सकती जिसके कारण ढाई दशकों से खुले आसमान के नीचे ही देवी की प्रतिमा रखी हुई थी। लेकिन अब इतने वर्षों के बाद परंपरा टूटी है। अब यहाँ देवी पक्की छत के नीचे विराजती है। बताया जाता है कि एक व्यक्ति के सपने में आकर देवी ने छत बनाने का आह्वान किया था। जिसके बाद से यहाँ पक्का निर्माण हो रहा है।
मराठा और पेशवाओं के जमाने का है मंदिर
मंदिर के बारे में कहा जाता है कि इसका मराठा इतिहास से सीधा संपर्क है। ऐसा माना जाता है कि पानीपत के तीसरे युद्ध के बाद जब पेशवाओं की सेना वापस आ रही थी तो इस स्थान पर उन्होंने पड़ाव डाल था। सैनिकों के लिए यहाँ बावड़ी भी बनाई गई थी तो वहीं सैनिक यहाँ देवी की पूजा भी करते थे। हालांकि कुछ लोग ऐसा मानते हैं कि मंदिर और भी पुराना हो सकता है।
मनोकामनाएं पूरी होने पर चढ़ती है घंटियाँ
यह मंदिर जिस बात के लिए सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है, वह यह है कि, यहाँ अपनी मनोकामना पूरी होने के बाद श्रद्धालु प्रसाद के साथ ही घंटियाँ चढ़ाते हैं। जिसके कारण पूरे मंदिर में हजारों घंटियाँ बंधी हुई है। यहाँ भक्त आकर देवी के दर्शन करते हैं और मनोकामना पूरी होने पर मंदिर में चयनित संख्या में घंटियाँ चढ़ाने का आव्हान भी करते हैं। कहते हैं यहाँ दर्शन करने के बाद माँ सभी मनोकामना पूरी कर देती है। जिसके कारण नवरात्रि में यहाँ भीड़ लगी रहती है।
मंदिर में दर्शन करने आता था शेर
इस मंदिर के बारे में रोचक बात यह है कि इसे ‘बाघ वाले मंदिर’ और ‘देवी का बाघ’ के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि यहाँ शेर आते थे। लोग बताते हैं कि जहां मंदिर स्थित है, वहाँ पहले घना जंगल था। यहाँ लोग दिन में भी आने में डरते थे क्योंकि यहाँ देवी के दर्शन करने शेर आया करते थे। आज भी कुछ पुराने लोग दावा करते हैं कि उन्होंने भी मंदिर में शेर को आते देखा है।