हाल ही में वक्फ बोर्ड चर्चा में है. केंद्र सरकार द्वारा लाए गए वक्फ एक्ट संशोधन विधेयक 2024 के बाद वक्फ के कब्जे के अनेक प्रकरण इन दिनों सोशल मीडिया पर घूमते दिख जाते हैं. ऐसा ही एक प्रकरण इंदौर से आया है जहाँ एक बड़े मैदान को वक्फ बोर्ड ने अपनी संपत्ति घोषित कर दिया था, जिसके बाद नगर निगम ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. इस मामले में जो फैसला आया है वह वक्फ बोर्ड के खिलाफ है. जिसके बाद से नगर निगम को पुनः अपनी जमीन का मालिकाना हक़ मिल चुका है.
आइए विस्तार से जानते हैं पूरा मामला
दरअसल इंदौर शहर में प्रसिद्ध लालबाग के पास एक बड़ा मैदान स्थति है. इसे कर्बला मैदान भी कहा जाता है और धोबीघाट भी कहते हैं. यहाँ निकट ही कुछ रजक लोग रहते हैं जो यहाँ कपडे धोने का कार्य करते हैं. यह जमीन सरकारी है व इंदौर नगर निगम के अधीन आती है. बताया जा रहा है कि वक्फ बोर्ड ने इस जमीन को अपनी संपत्ति घोषित कर दिया और अवैध कागज भी बनवा लिए.
6.70 एकड़ जमीन पर किया था वक्फ ने कब्ज़ा
आपको बता दें कि नगर निगम ने वक्फ के अवैध कब्जे की इस 6.70 एकड़ जमीन के लिए कोर्ट में अपील दायर की थी. अपील को स्वीकारते हुए 15वे जिला न्यायाधीश नरसिंह बघेल की कोर्ट ने फैसला निगम के पक्ष में दिया. निगम ने इस विवाद में मुसलमान कर्बला मैदान कमिटी और वक्फ को पक्षकार बनाया था. बता दें कि निगम और वक्फ बोर्ड के बीच यह जमीनी विवाद 2019 से चल रहा है. निगम के पक्ष में फैसला आने के बाद निगमायुक्त का कहना है कि कोर्ट के आदेश के बाद ही उक्त भूमि पर कार्रवाही की जाएगी.
हिन्दू समाज ने किया था विरोध, कलेक्टर को ज्ञापन भी दिया था
इस विषय पर हाल ही में 11 सितम्बर को सर्व रजक समाज ने इंदौर के कलेक्टर कार्यालय पर धरना प्रदर्शन किया था एवं ज्ञापन भी सौंपा गया था. यह धरना कर्बला मैदान कमिटी द्वारा जमीन के फर्जी कागज़ प्रस्तुत करने और वक्फ बोर्ड के विरोध में किया गया था. इस धरने में सर्व रजक समाज के अलावा अन्य हिन्दू संगठन भी उपस्थित रहे थे. यहाँ समाज के लोग बता रहे थे कि वक्फ बोर्ड शहर के अन्य धोबीघाटों की जमीन पर भी अवैध कब्ज़ा करने की फिराक में है.