भाजपा द्वारा जारी की गई लोकसभा चुनाव के उम्मीदवारों की पहली सूचि में कई चौंकाने वाले चेहरे सामने आए हैं। ऐसा ही एक नाम है, मध्यप्रदेश की जबलपुर सीट से चुनाव लड़ने जा रहे आशीष दुबे का। आशीष दुबे को केंद्रीय नेतृत्व इतनी बड़ी ज़िम्मेदारी देगा, ये किसी ने सोचा भी नहीं था। जबलपुर के ग्रामीण अंचल पाटन से राजनीति की शुरुआत करने वाले आशीष ब्राह्मण समाज से आते हैं। पूर्व में जबलपुर भारतीय जनता युवा मोर्चा अध्यक्ष, बीजेपी नगर अध्यक्ष और प्रदेश मंत्री जैसे कई दायित्वों का निर्वहन कर चुके हैं। उन्हें गृह मंत्री अमित शाह और प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा का करीबी भी माना जाता है। इस रिपोर्ट में आइए जानते हैं उन्हें टिकट मिलने के इर्द-गिर्द की राजनीति के बारे में..
जबलपुर लोकसभा सीट पिछले कई चुनावों से भाजपा का गढ़ मानी जाती रही है। वर्तमान में प्रदेश सरकार के PWD मंत्री राकेश सिंह इस सीट से कई बार के सांसद रहे हैं। राकेश सिंह के विधानसभा जाने के बाद से ही यह सवाल सभी के सामने था कि अब लोकसभा चुनाव में क्या होगा? ये बात तो साफ थी कि कोई नया चेहरा ही आएगा। और जो भी आएगा, उसके लिए ये सीट जीतना उतना मुश्किल नहीं होगा। इसके पहला कारण ये कि यह सीट भाजपा का गढ़ है। दूसरा ये कि 2023 के विधानसभा चुनाव में जबलपुर में भाजपा ने अभूतपूर्व प्रदर्शन किया। भाजपा की लहर के चलते कांग्रेस केवल एक सीट ही निकालने में सफल हो पाई। इस बात का फायदा आशीष दुबे को ज़रूर मिलेगा।
कुछ दिनों पहले जबलपुर के महापौर और हाल ही में कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए जगत बहादुर सिंह ‘अन्नू’ का नाम भी लोकसभा उम्मीदवार के रूप में सुर्खियों में आया था। लेकिन, कुछ दिनों पूर्व ही पार्टी में आए अन्नू को टिकट देना भाजपा के पुराने कार्यकर्ताओं के साथ नाइंसाफी होती, इसलिए उन्हें टिकट नहीं दिया गया। हालांकि, उन्हें राज्य सरकार द्वारा जबलपुर नगर निगम का रोका हुआ पैसा जरूर मिल गया, जिससे कई रुके हुए कार्य हो पाए।
आशीष दुबे पर वापस आया जाए, तो ऐसा नहीं है कि राजनीति में वे बिल्कुल ही नया नाम हैं। वे 1990 से एक कार्यकर्ता के रूप में राजनीति में सक्रिय हैं। पिछले दो विधानसभा चुनावों में उन्होंने पाटन विधानसभा सीट से टिकट मांगने का प्रयास भी किया था। लेकिन, पाटन सीट कई वर्षों से विधायक अजय विश्नोई का गढ़ है, इसकी वजह से वे इसे छोड़ने के लिए कतई राज़ी नहीं थे।
पाटन विधायक अजय विश्नोई के समर्थकों ने विधानसभा चुनाव के दौरान आशीष दुबे पर आरोप भी लगाए थे कि उन्हें पाटन से टिकट नहीं मिला, इसलिए उन्होंने पार्टी के विरोध का कार्य किया। भाजपा नगर अध्यक्ष के रूप में अपने दायित्वों का निर्वहन नहीं किया। कुछ तो ये कहते हैं कि उन्होंने विश्नोई का विरोध करने के लिए कांग्रेस के प्रत्याशी को वोट भी डलवाए। ये बात सुनने में थोड़ी अटपटी ज़रूर लगेगी। लेकिन, आशीष दुबे को लोकसभा का टिकट मिलने के बाद अजय विश्नोई ने ही अपने फेसबुक अकाउंट से ये बात लिखी कि “आशीष दुबे को लोकसभा उम्मीदवार बनाए जाने के फैसले का हम स्वागत करते हैं। हमें यह भूलना होगा कि उन्होंने चुनाव में हमारे विरोध का काम किया था।”
बहरहाल, जब द जर्नलिस्ट की टीम ने अजय विश्नोई के करीबी, भाजपा कार्यकर्ता से बात की। तो उन्होंने बताया कि आशीष दुबे को टिकट मिलने का स्वागत है। 4-5 दिनों में मंडल की बैठक होने वाली है, जिसके बाद दुबे के प्रचार के संबंध में रणनीति बनाई जाएगी और पाटन क्षेत्र समेत पूरे जबलपुर में आशीष दुबे का जमकर प्रचार किया जाएगा।
कई वर्षों बाद लोकसभा प्रत्याशी के रूप में नया चेहरा सामने आने से बीजेपी कार्यकर्ताओं में उत्साह है। टिकट मिलने पर आशीष दुबे का कहना है कि पार्टी ने मुझ जैसे छोटे कार्यकर्ता को इतनी बड़ी जिम्मेदारी दी, इसके लिए मैं आभारी हूँ। ये कहना उचित होगा कि पिछले दो विधानसभा चुनावों से विधायक का टिकट मांग रहे आशीष दुबे को लोकसभा का टिकट देकर भाजपा संगठन ने उन्हें उनके धैर्य का फल दिया है। बता दें कि पिछले लोकसभा चुनाव में राकेश सिंह के सामने कांग्रेस ने राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा को उतारा था। जबलपुर में इस समय भाजपा की लहर है। ऐसे में कांग्रेस की ओर से भी कोई बड़ा चेहरा सामने आ सकता है।