सिंधिया राजघराने के बारे में कौन नहीं जानता? इस घराने को लेकर कई कहानियाँ, कई किताबें लिखी गई हैं। इनमें से कुछ भ्रांतियाँ हैं, अववाहें हैं, जिनपर आज भी आए दिन चर्चाएं होती रहती हैं। ऐसी ही एक बहुचर्चित किस्सा है सिंधिया परिवार के चमत्कारी शिवलिंग का, जिसका संबंध पानीपत के तीसरे युद्ध से है। यूं तो इस शिवलिंग की बात खबरों में ज्यादा नहीं उठीं, लेकिन ग्वालियर-चंबल अंचल के निवासी और सिंधिया परिवार को बरसों से जानने वाले लोगों में इस कथित चमत्कारी शिवलिंग की बातें आज भी की जाती हैं। इस शिवलिंग के बारे में केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने हाल ही में जो बातें कहीं और इस पर इतिहास में क्या कुछ दर्ज है, आइए जानते हैं…
सैंकड़ों साल पुराना यह शिवलिंग सिंधिया राजघराने के लिए काफी महत्व रखता है। सिंधिया परिवार में इस शिवलिंग को पीढ़ी दर पीढ़ी ट्रांसफर किया जाता है। इंटरव्यू में सिंधिया ने यह माना कि वह शिवलिंग आज भी सिंधिया राजघराने में ही मौजूद है। इसके पीछे की कहानी बताते हुए सिंधिया ने कहा कि पानीपत के तीसरे युद्ध में अहमद शाह अब्दाली ने सिंधिया परिवार के 32 पूर्वजों के सर काटे थे। इस युद्ध में माराठा सैनिकों का बर्बरता के साथ कत्लेआम किया गया था।यदि मराठा सेना यह लड़ाई जीती होती, तो भारत में मुगल, ब्रिटिश या अन्य आक्रांता नहीं घुस पाते।
पानीपत की लड़ाई में सिंधिया के सिर्फ एक पूर्वज बचे थे, जिनका नाम महादजी सिंधिया था। उनका एक पैर युद्ध में कट गया था और वे रणभूमि में खून से लथपथ गिरे हुए थे। उस समय उन्होंने जो पगड़ी पहनी थी, उसमें एक छोटा शिवलिंग था। माना जाता है कि इसी वजह से उनकी जान बची। तथा इस लड़ाई के बाद महादेव के आशीर्वाद से 10 महादजी सिंधिया ने 10 बरस के भीतर मराठा साम्राज्य और सेना को फिर से खड़ा किया। ऐसा उन्होंने अपने और अपनी पत्नी के गहने और अन्य बेशकीमती सामानों को बेचकर किया।
वह शिवलिंग अब कहाँ है? इस सवाल का जवाब देते हुए सिंधिया ने कहा कि वह परिवार के पास ही है। किसके पास है? इसके बारे में उन्होंने कुछ नहीं कहा। कुछ वर्षों पहले यह खबर भी आई थी कि शिवलिंग को लेकर राजमाता विजयराजे सिंधिया और माधावराव सिंधिया के बीच संघर्ष रहा। इस सवाल पर सिंधिया ने कुछ न कहते हुए इतना कहा कि शिवलिंग परिवार के पास ही है।