2018 के विधानसभा चुनाव निकट थे. चारों ओर चुनावी वातावरण था. इसी के बीच एक संगठन अचानक लाइमलाईट में आ गया . यह संगठन आदिवासियों के अधिकारों और मांगों को पूरा करने के उद्देश्य से बना था. इस संगठन की चुनाव के ठीक पहले आई गतिविधियाँ ऐसी थी जिसने 15 वर्षों की भाजपा सरकार को बेकफुट पर ला दिया. इसी के प्रयासों के कारण कांग्रेस कुछ समय की ही, लेकिन सत्ता में वापसी कर पायी. लेकिन जिस संगठन ने कांग्रेस को सत्ता तक पहुंचा दिया था वह चुनाव के बाद कांग्रेस की B टीम या उसके द्वारा पोषित दल के रूप में जाना जा रहा था.
पिछले 6 वर्षों में इस संगठन ने कई उतार-चढ़ाव भी देखे हैं. लेकिन आज वह भाजपा की बी टीम कहा जा रहा है . आदिवासी बहुल क्षेत्र में अपनी पैठ बना चुका जय आदिवासी युवा संगठन यानी जयस आज पहले से बहुत बदल गया है . और अब इसकी पहचान भाजपा की B टीम के रूप में बन रही है.
जयस की स्थापना 16 मई 2013 को की गई थी. इसके संस्थापक सदस्यों में डॉक्टर आनंद राय, हीरालाल अलावा, महेंद्र सिंह कन्नौज, राजू सोलंकी, लोकेश मुजाल्दा और कई लोग थे. लेकिन इसका प्रभाव किसी कालोनी की संस्था की तरह ही था. अर्थात इसे चंद लोगों के अलावा कोई नही जानता था. लेकिन 5 वर्षों में इसे इस तरह खड़ा कर दिया कि यह मध्यप्रदेश में भाजपा और कांग्रेस के बाद तीसरी राजनीतिक पार्टी समझा जाने लगा.
2018 के विधानसभा चुनावों तक यह संगठन जनजाति वर्ग के युवाओं में पैठ बना चुका था. स्थिति यह थी कि कोई भी पीला पट्टा पहना व्यक्ति यह समझा जाता था कि वह अवश्य ही जयस का सदस्य होगा. विधानसभा चुनावों में मालवा-निमाड़ की आदिवासी बहुल सीटों पर जयस का दबदबा बन गया था. लेकिन इस समय जयस ने प्राथमिकता आदिवासी कार्य ना करके कांग्रेस को सत्ता में पहुंचाने को दी. और इसका परिणाम यह हुआ कि मध्यप्रदेश में जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित 47 सीटों में से 30 कांग्रेस ने जीती और इनमें से मालवा-निमाड़ यानी जयस के कोर एरिया से सबसे ज्यादा 22 सीटें जीती. इन चुनावों में कांग्रेस को बहुमत मिली और 15 सालों के भाजपा के राज के बाद कमलनाथ की मुख्यमंत्री के रूप में वापसी हुई. इसी चुनाव में जयस के संस्थापक हीरालाल अलावा ने मनावर से चुनाव लड़ा और विजयी भी हुए. बहरहाल बाद में उन्होंने कांग्रेस की सदस्यता ले ली और आधिकारिक रूप से अर्थात ऑफिशियल कांग्रेसी के रूप में कार्य करने लगे.
लेकिन इसके बाद प्रदेश से लेकर पृथ्वी तक बहुत उथल-पुथल हुई. जहाँ विश्व में कोरोना का संकट आया तो वहीँ प्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भाजपा में अपने 22 विधायकों के साथ आकर कांग्रेस की सरकार को संकट में ला दिया. जिसके कारण सवा साल की कांग्रेस सरकार गिर गई और हीरालाल अलावा और डॉक्टर आनंद रॉय जो आदिवासियों के भेस में कांग्रेस का प्रचार कर रहे थे, उनकी मेहनत बर्बाद हो गई.
इसके बाद से ही जयस टूटने लगा. इसके संस्थापक सदस्यों में बढ़ते विवाद सोशल मीडिया पर आए दिन दिखने लगे. आनंद राय ने तो हीरालाल अलावा को अपने फेसबुक से ऐसा काफी कुछ कहा जो बताता था कि जयस में सबकुछ ठीक नहीं है. इसका परिणाम यह हुआ कि एक ही जयस में कई फाड़ हो गयी. एक जयस वो हो गई जो कांग्रेस के प्रति सहानुभूति रखती थी तो एक वह जो केवल अपना हित देखना चाहती थी और एक वह जो केवल आदिवासियों से सम्बंधित मुद्दों को लेकर ही समाज में जाना चाह रही थी. आज 6 वर्षों बाद स्थिति यह हो गई है कि जयस के कई फाड़ों के साथ-साथ इसके संस्थापक सदस्य भी इसे छोड़कर अलग-अलग पार्टियों में जा चुके हैं. लेकिन आज भी कहते दीखते हैं कि वह जयस का साथ नहीं छोड़ेंगे.
हीरालाल अलावा के कांग्रेस में जाने के बाद, आनंद राय ने विधानसभा चुनाव 2023 के पहले तेलंगाना के केसीआर की बीआरएस पार्टी की सदस्यता ले ली. और इसी वर्ष लोकसभा चुनावों के बाद 19 जुलाई को एक और संस्थापक महेंद्र सिंह कन्नौज भी भाजपा से जुड़ गए. महेंद्र सिंह कन्नौज की योग्यता का पता इस बात से चलता है कि उन्हें सदस्यता दिलवाते समय नए मुख्यमंत्री मोहन यादव और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष वी डी शर्मा भी मंच पर उपस्थित रहे.
आज के समय में देखें तो जयस के अधिकांश लोग अब भाजपा से जुड़ चुके हैं . महेंद्र सिंह कन्नौज के भाजपा में जाने से कई पदाधिकारी और कार्यकर्ता भी भाजपा से जुड़ते जा रहे हैं . कई लोग ऐसे भी हैं जो समझ चुके हैं कि उनके ग्राउंडवर्क का कांग्रेस ने कैसे उपभोग किया था, जिसके कारण वह अब कांग्रेस की विचारधारा से मोह भंग करके भाजपा में अपना भविष्य तलाशते दिख रहे हैं . सूत्रों का मानें तो आने वाले समय में कई और बड़े जयस नेता भी भाजपा में आने वाले हैं. इसका कारण जयस में पॉवर लेने ही होड़, उसका टूटना, कांग्रेस का प्रभाव, संस्थापकों की महत्वाकांक्षा ; कुछ भी हो, लेकिन इसका परिणाम यह हुआ है कि जयस अब इतना बंट गया है जितना कद्दू भी न बंटता होगा. और इसी कारण अब राजनीतिक और सामाजिक भविष्य के लिए जयस भाजपा से जुड़ रहा है और इसीलिए वह अब कहलाया जा रहा है “भाजपा की B टीम”
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