28 जनवरी, रविवार को मध्यप्रदेश और राजस्थान की सरकारों ने बड़े ही ऐतिहासिक दस्तावेज़ पर दस्तखत किए। यह एक ऐसी परियोजना का Memorandum of Understanding (MOU) था, जिससे सीधे तौर पर दोनों राज्यों के डेढ़ करोड़ लोग प्रभावित होंगे। आने वाले 5 सालों में 75 करोड़ की लागत से मध्यप्रदेश और राजस्थान में जो निर्माण कार्य होंगे, उनका प्रभाव पीढ़ियों तक महसूस किया जा सकेगा। यहाँ बात हो रही है मध्यप्रदेश-राजस्थान नदी जोड़ों परियोजना के बारे में
दोनों राज्यों में भाजपा की सरकार आते ही जल शक्ति मंत्रालय ने मध्यप्रदेश और राजस्थान के मध्य का चंबल और उसकी सहायक नदियों के बंटवारे का विवाद सुलझा लिया है। अब राजस्थान की ईस्ट राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट (ईआरपीसी) और मध्यप्रदेश की पार्वती-कालीसिंध-चंबल (पीकेसी) लिंक परियोजना को आपस में जोड़कर एक नई राष्ट्रीय परियोजना तैयार की जाएगी।
चंबल की सहायक नदियों पार्वती, कालीसिंध, क्षिप्रा, कूनो, लखुंदर, मेज, क्यूल, बनास आदि नदियों पर कुल 22 बांध और बैराज बनेंगे, जिसमें से 17 मध्यप्रदेश और 5 राजस्थान में बनेंगे। इस परियोजना का कुल खर्च 75 हजार करोड़ रुपए आएगा। इस राशि का 90 फीसदी सरकार देगी और बचा हुआ 10% दोनों राज्यों को वहन करना होगा।
बता दें कि दिल्ली में बुधवार को केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, एमपी सीएम डॉ. मोहन यादव और राजस्थान सीएम भजनलाल शर्मा ने रविवार को इस समझौते पर हस्ताक्षर किए। सीएम मोहन ने कहा कि यह परियोजना 5 सालों में आकार लेगी, जिससे दोनों राज्यों के लगभग डेढ़ करोड़ लोग सीधे तौर पर लाभान्वित होंगे। वहीं जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट ने कहा कि यह परियोजना मध्यप्रदेश के लिए बड़ी सौगात है। केंद्रीय मंत्री शेखावत ने बताया कि इस परियोजना से मध्यप्रदेश की कुल 4.12 लाख हेक्टर की कृषि भूमि सिंचित की जा सकेगी।
अब सवाल ये उठता है कि इस योजना से किसे सबसे ज्यादा फायदा होगा? तो इसका जवाब है सीएम मोहन यादव का गृह क्षेत्र उज्जैन, क्योंकि इससे उज्जैन की कुल 65 हजार हेक्टर कृषि भूमि की सिंचाई की जा सकेगी। वहीं शाजापुर की 46 हजार, धार की 10 हजार, इंदौर की 12 हजार और आगर मालवा की 4 हजार हेक्टर की सिंचाई व्यवस्था का प्लान बनाया गया है।
दूसरी ओर अगर पेयजल की बात की जाए तो मालवा क्षेत्र में इंदौर, उज्जैन, धार, आगर-मालवा और शाजापुर को 150 मिलियन घनमीटर पेयजल प्राप्त होगा। वहीं चंबल क्षेत्र के शिवपुरी, गुना, मुरैना, भिंड आदि को 20 मिलियन घनमीटर पेयजल की उपलब्धता होगी।
कहा जा रहा है कि गांधी सागर डैम के अपस्ट्रीम में चंबल नदी पर 5 नए बांध बनाए जाएंगे। एक एक बांध क्षिप्रा और गंभीर नदी पर बनेगा। इनमें से सबसे बाद उज्जैन के चित्तावर, गाँव में 200 एमसीएस जल भंडारण क्षमता का नया बांध बनेगा। सोचचिरी, रामबासा, पदुनिया, सेवरखेरी और सीकरी सुल्तानपुर में 6 छोटे बांध भी बनाए जाएंगे।