प्राचीन काल से आधुनिक काल तक भारत में शिक्षा को हमेशा महत्व दिया गया है, फिर चाहे वह प्राचीनतम काल की गुरु-शिष्य परंपरा हो या आधुनिक काल में शिक्षक और विधार्थी का संबंध। इसी शिक्षा पद्धति को आगे बढ़ाने में भारत की धरती ने कई दिग्गज गुरूयओं और शिक्षकों को जन्म दिया। जिसमें भारत का मध्य भाग मतलब हमारे मध्य प्रदेश की भी अलग भूमिका रही है।
मध्यप्रदेश में हमेशा से शिक्षा को प्रावधान दिया गया है जिसकी वजह से आज मध्यप्रदेश में शिक्षा का दर 64.8% है। इस शिक्षा दर को बढ़ाने के लिए जिम्मेदार है इस राज्य के उच्च शिक्षक। आज उन्हीं में से, राज्य के पिछड़े क्षेत्र में शिक्षा का संचार करने वाले शिक्षक, राजनारायण राजोरिया की कहानी को जानते है।
प्रदेश में भीड़, बागी और बंदूक के लिए बदनाम क्षेत्र भिंड अबतक काफी पिछड़ा और संगीन माना जाता है। परंतु ऐसे क्षेत्र से एक शिक्षक ने स्वयं राष्ट्रपति से पुरुस्कार प्राप्त किया है, वह है राजनारायण राजोरिया। यह ऐसे शिक्षकों में से एक हैं जिन्होंने न केवल शिक्षा के क्षेत्र में अपना कदम बढ़ाया है, परंतु कहीं न कहीं समाज सुधारक के रूप में भी स्वयं को स्थापित किया है.
राजनारायण राजोरिया गणित विषय के विशेषज्ञ है, जिनका मुख्य उद्देश्य लोगों और बच्चों को गणित आसान भाषा में समझाना है. इन्होंने गणित को आसान बनाने के लिए कई एक्सपेरिमेंट किये और ऐसे उपकरण बनाये जो गणित को आसान भाषा में समझने की बौद्धिक शक्ति देगा। राजोरिया ने अब तक दो किताबें भी लिख डाली है जिसमें गणित को हल करने के सरल और मजेदार तरीके बताए हैं। उन्होंने घर से निकलने वाले वेस्ट जैसे लकड़ी, काँच, गत्ता, प्लास्टिक आदि के मदद से गणित की अवधारणा को आगे बढ़ाने वाले मथमेटिकल टूल्स को बनाया है, जिसकी मदद से वे बच्चों को गणित समझाने में मदद लेते हैं।
इनके पढ़ाने के इस जज्बे को सलाम करते हुए मध् प्रदेश सरकार ने इन्हें रामानुजन पुरुस्कार से सम्मानित किया है और केंद्र सरकार ने 2014 में राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया है। इनके टूल्स ही इनकी पहचान बन चुके हैं, जिससे प्रेरित होकर कई संस्थानों में इन टूल्स से पढ़ाने को बढ़ावा दिया है।
आज के समय राजोरिया सर को उन चुनिंदा लोगों की सूची में जोड़ा गया है जो भारत के शैक्षणिक और वैज्ञानिक क्षेत्र में प्रकाश डालेंगे। इन्हें देशभर के एक दर्जन रिसोर्स पर्सन की सूची में भी शामिल किया गया है। यही नहीं बल्कि देश-विदेश से राजोरिया सर को व्याख्यानों और वर्कशॉप के लिए बुलाया जाता है, जहाँ वे एक्सपेरिमेंटल टूल्स की श्रृंखला, गणित की आसानी और विज्ञान के क्षेत्र में किये जाने वाले एक्सपेरिमेंट को समझाते है। इन्होंने अब तक देश के 15 राज्यों में व्याख्यान दिया है।
आर्थिक, सामाजिक और शेक्षणिक रूप से पिछडे क्षेत्र चंबल से एक शिक्षक की कहानी ने हम सभी के लिए एक मिसाल कायम की है। यह एक ऐसे व्यक्तित्व है जिन्होंने अंधकार में एक प्रज्वलित दीये के रूप में काम किया है। ऐसे ही शिक्षकों के योगदान के सम्मान सम्मान में हम सभी शिक्षक दिवस मनाते हैं.
– श्रुति जैन